कार्रवाई पर सवाल : कोर्ट ने कहा-अप्रासंगिक मामलों के आधार पर तड़ीपार नहीं कर सकते

Question on action: Court said - can not seek relief on the basis of irrelevant cases
कार्रवाई पर सवाल : कोर्ट ने कहा-अप्रासंगिक मामलों के आधार पर तड़ीपार नहीं कर सकते
कार्रवाई पर सवाल : कोर्ट ने कहा-अप्रासंगिक मामलों के आधार पर तड़ीपार नहीं कर सकते

डिजिटल डेस्क, नागपुर। याचिकाकर्ता की आपराधिक प्रवृत्ति को देखते हुए 26 अक्टूबर 2020 को बल्लारपुर एसडीएम ने  नागपुर, चंद्रपुर, गोंदिया, भंडारा, गड़चिरोली व वर्धा जिले से तड़ीपार घोषित कर दिया था। उस पर वर्ष 2006 से 2019 के बीच कुल 17 अपराधिक मामले दर्ज हुए थे। याचिकाकर्ता के वकील राजेंद्र डागा ने कोर्ट में इस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए। महज 4 मामले भारतीय दंड विधान व महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के तहत दर्ज किए गए है। शेष मामले महाराष्ट्र प्रतिबंधक अधिनियम के तहत दर्ज किए हैं। आखिरी मामला जून 2019 को दर्ज किया गया था, जिसके 16 महीने बाद तड़ीपारी का आदेश जारी किया है। ऐसे में यह सिद्ध नहीं हो रहा कि याचिकाकर्ता की ऐसी आपराधिक पृष्ठभूमि है, जिससे जनता को खतरा हो। 

कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा 

हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिकाकर्ता की दलील को सही माना। कोर्ट का निरीक्षण रहा कि तड़ीपारी के लिए पुलिस ने महाराष्ट्र प्रतिबंधक अधिनियम के तहत दर्ज जिन मामलों का उल्लेख किया है उनका और तड़ीपारी के फैसले का अापस में कोई संबंध नहीं है। न ही उनसे याचिकाकर्ता की हिंसक प्रवृत्ति सिद्ध होती है। सरकारी पक्ष ने इस मामले में यह कह कर गवाह प्रस्तुत नहीं किए कि गवाही देने पर उनकी जान को खतरा हो सकता है। लेकिन कोर्ट ने माना कि यह दलील तब ही सही मानी जाती, जब यह एकदम ताजा मामला होता। अब 16 महीने बाद भी गवाहों की जान को खतरा है, यह तथ्य पचा पाना मुश्किल है। चूंकि आरोपी ने बीते 16 महीनों से कोई आपराधिक घटना नहीं की है। लोगों मंे उसका भय कम होना चाहिए था। ऐसे में सरकारी पक्ष के केस को कमजोर मानते हुए हाईकोर्ट ने तड़ीपारी का आदेश रद्द कर दिया। 
 

Created On :   8 Feb 2021 11:07 AM GMT

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