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कचरे की व्यवस्था पर उठ रहे सवाल, पुराने संकलन केंद्रों पर अभी भी ढेर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कचरा संकलन की नई पद्धति में कचरे का जमीन से संपर्क नहीं होने देने की शर्त रखी गई है। यानी संकलन किया गया कचरा एक वाहन से दूसरे वाहन में भरकर प्रक्रिया केंद्र ले जाना अपेक्षित है। शहर में 25 ट्रांसफर यूनिट बनाए गए हैं। वहीं, एक वाहन से दूसरे वाहन में कचरा भरने की व्यवस्था दी गई है। नई एजेंसियों के साथ करार में यह शर्त रखी गई है। पुरानी पद्धति में 170 कचरा संकलन केंद्र थे। इसे बंद कर वहां स्वच्छता की जिम्मेदारी नई एजेंसियों पर तय की गई है। नई एजेंसियों को कचरा संकलन की जिम्मेदारी संभाले डेढ़ महीना हो गया है। अभी तक कचरा संकलन व्यवस्था पटरी पर नहीं आई है। शहर में 30 से 40 पुराने संकलन केंद्रों पर अब भी कचरे के ढेर लग रहे हैं। उत्तर नागपुर के कड़बी चौक और आवले बाबू चौक तथा अन्य पुराने संकलन केंद्रों पर कचरे के ढेर लगाए जा रहे हैं।
शहर के कचरा संकलन के लिए एजी एन्वायरो और बीवीजी दो नई एजेंसियां नियुक्त की गई हैं। दोनों एजेंसियों को पांच-पांच जोन में कचरा संकलन की जिम्मेदारी दी गई। नई पद्धति से कचरा संकलन के लिए पुरानी एजेंसी के मुकाबले नई एजेंसियों को प्रति मीट्रिक टन 500 रुपए अधिक भुगतान किया जा रहा है। पुरानी पद्धति में घरों से संकलित कचरा किसी एक जगह जमा किया जाता था। उसे बड़े वाहन में भरकर डम्पिंग यार्ड पहुंचाया जाता था। नियमित कचरा नहीं उठाए जाने पर कचरा वहीं सड़ जाता था। इसमें बदबू उठकर परिसर में फैल जाने से परिसर का वातावरण प्रदूषित होने का खतरा बना हुआ था। कचरे में सब्जियों के डंठल, बचा हुआ अनाज रहता था। मवेशी इसमें अपना खाद्य खोजने के लिए कचरे को तितर-बितर कर देते थे। सड़कों तक कचरा फैल जाने से शहर की सुंदरता में दाग लग रहा था। इस दाग को मिटाकर शहर में बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाने नई पद्धति से कचरा संकलन व्यवस्था लाई गई। इसके अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं।
एक वाहन से दूसरे वाहन में कचरा भरने के लिए 30 ट्रांसफर यूनिट बनाए गए हैं। पुराने 170 संकलन केंद्र थे। धीरे-धीरे इसे बंद किया जा रहा है। अभी तक लगभग सवा सौ केंद्र बंद किए गए हैं। -डॉ. प्रदीप दासरवार, स्वास्थ्य अधिकारी (स्वच्छता), मनपा
Created On :   30 Dec 2019 12:39 PM IST