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खसरा की नकल पाने कतार, कई गाँवों के रिकार्ड ही गायब
कलेक्ट्रेट की रिकार्ड शाखा में ज्यादातर को यही मिलता है जवाब कि नहीं हैं दस्तावेज, भटक रहे जरूरतमंद
डिजिटल डेस्क जबलपुर । जमीन का क्रय-विक्रय होने के बाद रिकार्ड में नाम दर्ज कराने जब लोग पहुँचते हैं तो पता चला कि दस्तावेजों में कुछ कमी है इसके लिए रिकार्ड खँगाला जाता है लेकिन कलेक्ट्रेट के राजस्व रिकार्ड रूम में ज्यादातर लोगों को यही जवाब मिलता है कि इस गाँव का रिकार्ड गायब है। आदमी परेशान होता रहता है लेकिन उसे दस्तावेज नहीं मिलते हैं। खसरा की नकल पाने वह हर दिन कतार में खड़ा रहता है और आखिरी में उससे यही कहा जाता है कि रिकार्ड गुम गये हैं या मिसिंग हैं जिसके बाद आम आदमी सिर्फ चक्कर लगाता रहता है लेकिन उसे रिकार्ड नहीं मिलता है।
10 रुपए के काम के लिए हजारों खर्च
प्रतिलिपिकार शाखा से वैसे तो 10 रुपये में नकल मिल जाती है लेकिन कई बार रिकार्ड पाने लोगों को हजारों रुपये भी खर्च करने पड़ते हैं। रिकार्ड ढूँढऩे कोई तैयार नहीं होता है। यही कारण है कि जो दस्तावेज आसानी से मिल जाते हैं वे तो मिल जाते हैं लेकिन पुराने रिकार्ड के लिये लोगों को परेशान किया जाता है।
ऑनलाइन किया जाना था रिकार्ड
राजस्व शाखा में वैसे तो वर्ष 1954-55 से रिकार्ड उपलब्ध हैं लेकिन जमीनों में हेरफेर करने वालों ने िरकार्ड रूम से कई बीच-बीच के वर्षों के रिकार्ड गायब कर दिये हैं। वहीं दूसरी तरफ वर्ष 2000 के बाद से अभी तक का रिकार्ड ऑनलाइन किया गया है लेकिन इसमें भी 2000 से 2005 के बीच का कुछ रिकार्ड नहीं है। इसी तरह वर्ष 1960 से 1965 का व वर्ष 1985 से 1990 के बीच का भी कुछ गाँवों का रिकार्ड नहीं मिल रहा है।
कुंडम और बरेला से आते हैं लोग
खसरे की नकल लेने के लिये लोग सुबह आवेदन करते हैं और फिर शाम को उन्हें नकल देने का प्रावधान है। वैसे तो सभी तहसील कार्यालयों के क्षेत्र का रिकार्ड रखने के आदेश हैं और सभी जगह रिकार्ड रूम भी बनाये गये हैं। इसके बाद भी लोग कलेक्ट्रेट पहुँचते हैं और रिकार्ड के लिये परेशान होते हैं। बरेला, कुंडम, शहपुरा सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों से लोग पहुँचते हैं लेकिन उन्हें भटकाया जाता है। कई बार तो यहाँ कर्मचारी मिलते ही नहीं हैं जिससे भी वे परेशान होते हैं।
पटवारियों ने नहीं पहुँचाया रिकार्ड
इनका कहना है
कुछ तहसील क्षेत्रों का कुछ वर्षों का रिकार्ड हमारे यहाँ नहीं है। कर्मचारियों का कहना है कि पटवारियों ने रिकार्ड पहुँचाया ही नहीं है। जो भी रिकार्ड होगा तहसील कार्यालय से मिलेगा। यहाँ जो रिकार्ड है वह रजिस्टर में दर्ज है उसे देखकर ही बताया जाता है कि कौन से दस्तावेज मिल सकते हैं और कौन से नहीं हैं। अगर किसी को परेशान किया जा रहा है तो कार्यवाही की जायेगी।
अनुराग तिवारी, डिप्टी कलेक्टर
Created On :   26 Feb 2021 2:08 PM IST