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रेलवे ने भी सिटी अस्पताल से नाता तोड़ा, अब नहीं भेजे जाएँगे मरीज
कहा - रेल अस्पताल में साढ़े सात सौ पॉजिटिव कर्मचारियों का हुआ इलाज
डिजिटल डेस्क जबलपुर । नकली रेमडेसिविर मामले में घिरे सिटी अस्पताल से रेलवे ने भी नाता तोड़ लिया है। रेलवे द्वारा भी इससे संबद्धता रद््द कर दी गई है, अब वहाँ रेलवे से मरीज नहीं भेजे जाएँगे। उक्त जानकारी रेलवे द्वारा शुक्रवार को आयोजित पत्रकारवार्ता में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एके मिश्रा ने एक सवाल के जबाव में दी। इस दौरान उन्होंने बताया कि सिटी अस्पताल रेलवे की संबद्धता सूची में जुड़ा था जिसके चलते कई बार गंभीर स्थिति में मरीजों को रेल चिकित्सालय से सिटी अस्पताल रेफर किया जाता था। इस दौरान पत्रकारों से ऑनलाइन चर्चा करते हुए मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) संजय विश्वास ने बताया कि रेल प्रशासन द्वारा लोगों तक 19 ऑक्सीजन ट्रेनों के माध्यम से 58 टैंकर प्राण वायु पहुँचाने का कार्य किया गया। इसके लिए 24 घंटे में भेड़ाघाट, झुकेही, मकरोनिया में बोर्ड द्वारा रेम्प बनाने का कार्य भी किया गया। रेल चिकित्सालय में 5278 मरीजों की जाँच की गई, कुल 2116 कर्मचारियों के आरटीपीसीआर टेस्ट किए गए व 760 कर्मचारी पॉजिटिव पाए जाने पर उनका इलाज भी किया गया है। इसके अलावा उन्होंने जुर्माने की कार्यवाही, ट्रांसपोर्टिंग, स्पीड बढाने संबंधी भी जानकारी दी।
ये रहे उपस्थित7 इस दौरान ऑनलाइन रूप से अपर मंडल रेल प्रबंधक दीपक कुमार गुप्ता, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक विश्व रंजन तथा मंडल वाणिज्य प्रबंधक देवेश सोनी भी उपस्थित रहे।
अधिक कीमत पर रेमडेसिविर बेचने वालों पर हो कार्रवाई
जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व सचिव मनीष मिश्रा ने अधिक कीमत पर रेमडेसिविर बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग की है। उन्होंने कहा है कि निजी अस्पतालों ने आपदा को अवसर बनाते हुए प्रशासन से सस्ती दरों में रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदकर मरीजों को महँगे रेट पर बेचे हैं। इस मामले में निजी अस्पतालों के मेडिकल स्टोर की जाँच कर कार्रवाई की जानी चाहिए। इस मामले की जाँच का दायरा बढ़ाने की भी माँग की गई है।
Created On :   29 May 2021 5:21 PM IST