रेलवे का डीजल इंजन बना इतिहास

Railways diesel engine became history
रेलवे का डीजल इंजन बना इतिहास
नागपुर रेलवे का डीजल इंजन बना इतिहास

डिजिटल डेस्क, नागपुर. रेलवे की मुख्य पहचान में शामिल डीजल इंजन भी अब भापवाले इंजन की तरह इतिहास में शामिल हो गया है। मध्य रेलवे व दपूम रेलवे नागपुर विभाग सभी सेक्शन इलेक्ट्रिफिकेशन से लैस हो गए हैं। अब उन्हें डीजल इंजन की जरूरत नहीं है। इसी तरह छोटी लाइन भी केवल 110 ही शेष बची है, जो दपूम रेलवे नागपुर के अंतर्गत आने वाली इतवारी-नागभीड़ लाइन है। इसे भी जल्द ही बड़ी लाइन में तब्दील किया जाने वाला है। इसके बाद डीजल इंजन की तरह छोटी लाइन भी इतिहास में शामिल हो जाएगी। 
पहले कोयला और फिर डीजल इंजन रेलवे की मुख्य पहचान रही है। कोयले से चलने वाले भापवाले इंजन बंद हुए जमाना हो गया है, लेकिन डीजल इंजन मध्य रेलवे नागपुर मंडल के कुछ सेक्शन में अब तक चल रहे थे। हाईटेक युग में अब रेल लाइनों का भी विद्युतीकरण किया गया है। नागपुर मंडल अंतर्गत विद्युत लोको का ही राज चल रहा है। नई नरखेड़-अमरावती, आमला-छिंदवाड़ा व वणी-पिंपलकुटी के बीच इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा हो गया है। अब इन लाइनों पर भी इलेक्ट्रीक इंजन चलने से डीजल इंजन को बाहर कर दिया है। डीजल इंजन का उपयोग अब केवल आपातकालीन स्थिति पर ही हो सकता है।

केवल 110 किमी की छोटी लाइन शेष 

कुछ समय पहले छोटी लाइन पर भी गाड़ियों का संचालन होता था, लेकिन इसमें समय की बर्बादी होती थी। रेलवे ने बड़ी लाइन शुरू की है। धीरे-धीरे छोटी लाइन को खत्म करने की कवायदें शुरू हो गई हैं। मध्य रेलवे नागपुर मंडल के अंतर्गत एक भी छोटी लाइन का सेक्शन नहीं है। दपूम रेलवे नागपुर मंडल में अभी तक बालाघाट-समनापुर, जबलपुर-सुक्रीमंगला,  सुक्रीमंगला-घनसौर, नैनपुर-चिरायडोंगरी, छिंदवाड़ा-भंडारकुंड, समनापुर-नैनपुर, चिरायडोंगरी-मंडलाफोर्ट, नैनपुर-छिंदवाड़ा, भंडारकुंड-इतवारी लाइन पर काम शुरू था, जो पूरा हो गया है। इस विभाग में केवल नागपुर-नागपुर 110  किमी की लाइन ही बची है जिसका काम भी जल्द ही शुरू किया जाएगा।                

Created On :   24 April 2022 6:04 PM IST

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