रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य औषधि पादप बोर्ड अब छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के नाम से जाना जाएगा
डिजिटल डेस्क, रायपुर।, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य स्तरीय वैद्य सम्मेलन में छत्तीसगढ़ की आदिवासी एवं स्थानीय स्वास्थ्य परम्पराओं को सहेजने और पूर्व की भांति प्रचलन में लाने के लिए हर्बल मेडिसिनल बोर्ड के गठन की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य औषधि पादप बोर्ड को छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परम्परा एवं औषधि पादप बोर्ड के नाम से पुनर्गठित किया गया है। बोर्ड के गठन से राज्य के आदिवासी समुदाय की पारंपरिक एवं प्रचलित स्वास्थ्य परंपराओं तथा परंपरागत उपचारकर्ताओं के ज्ञान को सहेजने संवर्धित करने का काम तेजी से हो पाएगा। गठन उपरांत बोर्ड कार्यालय का नाम परिवर्तित हो गया है। छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परम्परा एवं औषधि पादप बोर्ड रायपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बताया कि संस्था के कार्यो में वनौषधि के विकास के लिए शोध और अनुसंधान कराना, केन्द्रीय औषधि पादप बोर्ड या राज्य शासन द्वारा वित्त पोषित तथा राज्य के विभिन्न विभागों, संगठनों द्वारा क्रियान्वित, उपार्जन, भण्डारण, प्रसंस्करण एवं विपणन की योजना बनाना, औषधि पौधों की पहचान एवं संसाधनों का सर्वेक्षण, औषधि वनस्पतियों का प्रसंस्करण (कुटीर उद्योग एवं लघु उद्योगों की स्थापना) तथा वनौषधियों के निर्माण तथा उत्पादों के निर्यात एवं विपणन की योजना बनाना, औषधि पौधों की मांग एवं आपूर्ति का आकलन कराना तथा औषधि पौधों के कृषिकरण को प्रोत्साहित करना, प्रदेश की वनौषधि जैव विविधता को सुरक्षित रखने हेतु औषधीय पौधों का संरक्षण, संवर्धन, विनाश विहीन विदोहन, प्रसंस्करण एवं औषधीय पौधों के उपयोग तथा जनजातीय एवं स्थानीय स्वास्थ्य परम्परागत ज्ञान को जन सामान्य में जागरूकता के लिए प्रचार-प्रसार करना शामिल है। साथ ही औषधि पौधों के विकास के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से सहयोग प्राप्त करना, जनजातीय एवं स्थानीय परंपरागत उपचारकर्ताओं की पहचान करना, क्षमता विकास के कार्य, सर्वेक्षण एवं प्रशिक्षण का आयोजन कर आदिवासी एवं स्थानीय स्वास्थ्य परंपराओं का अभिलेखीकरण, उपचार केन्द्र की स्थापना, संचालन, जनजातीय एवं स्थानीय परंपरागत उपचारकर्ताओं तथा समुदाय के औषधि पौधों के ज्ञान एवं उपयोग को पेटेंट करने एवं पेटेंट उपरांत उत्पादन एवं व्यवसायीकरण के प्रयास, जनजातीय और स्थानीय मानव, पशुओं एवं पादपों के स्वास्थ्य और पोषण संबंधी परंपरा और प्रथाओं के ज्ञान का अभिलेखन कर, उनके बौद्धिक संपदा को लिपिबद्ध का कार्य, जनजातीय एवं स्थानीय परंपरागत उपचारकर्ताओं के उत्थान के लिए नीति एवं योजना बनाना, औषधीय पौधों के वैज्ञानिक उपयोग के आधार पर जनजातीय एवं स्थानीय परंपराओं के द्वारा राज्य में सार्वभौमिक स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए प्रयास, राज्य में सर्वेक्षण द्वारा स्थानीय स्वास्थ्य एवं आहार परंपराओं जिसमें स्थानीय समुदाय एवं परिस्थितिकीय विशिष्ट घरेलू उपचार, आहार विधियों एवं इनके मौसमी उपयोगिता के आधार पर एटलस तैयार करना, जनजातीय एवं स्थानीय स्वास्थ्य परंपरागत ज्ञान, औषधीय पौधों से संबंधित अन्य अनुषांगिक कार्य शामिल है।
Created On :   5 Jan 2021 2:48 PM IST