रायपुर : वन अधिकार पट्टे ने खोला बिरहोर केंदाराम के लिए तरक्की का रास्ता

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
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रायपुर : वन अधिकार पट्टे ने खोला बिरहोर केंदाराम के लिए तरक्की का रास्ता

डिजिटल डेस्क,रायपुर।, 26 जुलाई 2020 शासन की योजना से छत्तीसगढ़ में विशेष पिछड़ी जनजाति में शुमार रायगढ़ जिले के विकासखंड धरमजयगढ़ के ग्राम खलबोरा निवासी बिरहोर जाति के श्री केंदाराम बिरहोर को शासन की योजना से 1.580 हेक्टेयर काबिज भूमि में कृषि कार्य हेतु वन अधिकार पत्र मिला जिसने उनकी उन्नति के मार्ग खोल दिए। उन्होंने इस खरीफ वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 80 हजार रूपए का धान बेचा। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रारंभ की गई ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना‘ से न्यूनतम समर्थन मूल्य 2500 रूपए प्रति क्विंटल के मान से अंतर राशि की प्रथम किस्त उन्हें मिल चुकी है। आलू और मक्का से 20 हजार रूपए की आमदनी पृथक से होती है। इस राशि से अपनी आजीविका स्त्रोत को बढ़ाते हुये 20-20 डबरी में मछली पालन भी शुरू किया है। साथ ही बकरी पालन का कार्य भी प्रारंभ किया है। परंपरागत वन निवासियों को वन अधिकार पत्र प्रदान कर शासकीय योजनाओं से जोड़ते हुये उनके जीवन में व्यापक परिवर्तन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बिरहोर जनजाति मूलरूप से वनांचलों में रहकर जीवन निर्वाह के लिए जानी जाती है। वन अधिकार पत्र में उन्हें खेती-किसानी से जोड़ते हुए समाज की मुख्यधारा में शामिल कर लिया है। लम्बे समय से वन्य क्षेत्रों में निवासरत् लोगों को उनकी पैतृक भूमि और निवास के वन अधिकार को शासकीय दस्तावेज में दर्ज करने से लोगों के जीवन में जबरदस्त बदलाव देखने को मिल रहा है। श्री केंदाराम ने बताया कि वे मूलतः धरमजयगढ़ विकासखण्ड के ओंगना ग्राम के निवासी थे, सन् 1980-81 में खलबोरा आकर बस गए। शुरूआत में जीविकोपार्जन के लिये वन्य संसाधनों पर ही निर्भर थे। उन्होंने धीरे-धीरे वन क्षेत्र के बीच जमीन साफ कर खेती प्रारंभ की और कोदो-कुटकी जैसे मोटे अनाज उगाना शुरू किया। सन् 1984 से नियमित रूप से कृषि कार्य कर रहे है, किन्तु जमीन कहीं दर्ज नहीं होने की वजह से शासकीय योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा था। वह मौसम आधारित एक फसलीय खेती ही कर पा रहे थे। सिंचाई की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं थी और खाद व बीज भी खुले बाजार से लेना पड़ रहा था। श्री केंदाराम ने बताया कि वन अधिकार पत्र मिलने के पश्चात शासन की विभिन्न महत्वपूर्ण आय संवर्धन से जुड़ी योजनाओं का लाभ मिलने लगा। सिंचाई हेतु कुआं, बोरवेल (सोलर पम्प) डबरी निर्माण कार्य हुआ। उच्च गुणवत्ता के बीज एवं खाद भी शासन द्वारा दिया जाने लगा। मनरेगा के तहत भूमि का समतलीकरण किया गया। उसके बाद खरीफ और रबी दोनों फसल लेने लगे। श्री केंदाराम खरीफ में धान की फसल उगाते है तथा रबी में मक्का और आलू की उपज ले रहे है। शासन की इस योजना ने केंदाराम को आर्थिक रूप से पहले से काफी सशक्त बनाया है। श्री केंदाराम कहते है कि पिछले 40 वर्षों से खेती कर रहे जमीन का मालिकाना हक मिल जाने से बड़ा सुकून है। इससे वह अपनी उपज आसानी से बेच सकते है। जमीन से बेदखल किये जाने का भय भी मन से समाप्त हो गया है। वे अपने पोतो को छात्रावास में रखकर अच्छी तालिम भी दिलवा रहे है। उन्होंने जीवन में इस बदलाव के लिए छत्तीसगढ़ शासन का आभार व्यक्त किया। क्रमांक: 2838/चतुर्वेदी

Created On :   27 July 2020 4:27 PM IST

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