रायपुर : गौठान और गोधन न्याय योजना ग्रामीणों की अपनी योजना: इन योजनाओं की पूरे देश में चर्चा : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
रायपुर : गौठान और गोधन न्याय योजना ग्रामीणों की अपनी योजना: इन योजनाओं की पूरे देश में चर्चा : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल

डिजिटल डेस्क, रायपुर । मुख्यमंत्री ने कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में की तैयारियों की समीक्षा हरेली पर गौठानों में समारोह पूर्वक होगी ’गोधन न्याय योजना’ की शुरूआत चरणबद्ध रूप से सभी ग्राम पंचायतों-गांवों में बनेंगे गौठान रायपुर, 17 जुलाई 2020 मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि गोधन न्याय योजना के संचालन और निगरानी की पूरी जिम्मेदारी जिला कलेक्टरों की है। इस योजना की पूरे देश में चर्चा है, पूरे देश के अर्थशास्त्रियों और सामाजिक संगठनों की निगाह इस योजना पर है। इस योजना से गोबर एक कीमती वस्तु बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में पहले से संचालित समर्थन मूल्य में धान खरीदी, लघु वनोपजों की खरीदी और तेंदूपत्ता संग्रहण का काम जिस कुशलता और व्यवस्थित ढंग से किया जा रहा है। आने वाले समय में ऐसी ही व्यवस्था गोबर खरीदी और इससे तैयार वर्मी कम्पोस्ट की मार्केटिंग की करनी होगी। श्री बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठान छत्तीसगढ़ की परंपरा का हिस्सा है, जिन्हें आधुनिक स्वरूप देकर व्यावसायिकता से जोड़ा जा रहा है। जिससे गौठानों के माध्यम से ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो सके और उन्हें आय का जरिया मिल सके। उन्होंने कहा कि गौठान और गोधन न्याय योजना मूलरूप से ग्रामीणों की अपनी योजना है। इस योजना को प्रारंभ करने के लिए राज्य सरकार द्वारा सभी संसाधन और व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई जा रही है। आने वाले समय में ग्रामीण स्वयं इन योजनाओं का संचालन करेंगे। श्री बघेल ने कहा कि 20 जुलाई हरेली पर्व से राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना की प्रदेशव्यापी शुरूआत होगी। राज्य में पूर्ण हो चुके गौठानों में 20 जुलाई से अलग-अलग तिथियों में कार्यक्रम आयोजित होंगे। कार्यक्रम में राज्य सरकार के मंत्री, सांसदीय सचिव, पंचायती राज संस्थाओं और नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधि शामिल होंगे। मुख्यमंत्री ने जिला कलेक्टरों से कहा कि गौठानों में जिले के प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से गौठान समितियों का गठन कर उन्हें सक्रिय करें। गौठानों में काम करने वाले स्व-सहायता समूहों को चिन्हित कर लिया जाए। श्री बघेल ने कहा कि गोबर खरीदी और वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने का कार्य उन्हीं लोगों को सौंपा जाए, जिन्हें हाथ से गोबर उठाने में संकोच न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रथम चरण में ग्रामीण क्षेत्रों के 2408 और शहरी क्षेत्रों के 377 गौठानों में गोबर की खरीदी प्रारंभ की जाएगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सभी गांवों में गोधन न्याय योजना प्रारंभ करने की मांग आएगी। इसलिए चरणबद्व रूप से सभी 11 हजार 630 ग्राम पंचायतों और फिर 20 हजार गांवों में गौठान तैयार करने होंगे। इसके लिए भी कलेक्टर भूमि के चिन्हांकन का काम प्रारंभ कर दें। उन्होंने स्व-सहायता समूहों के प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्व-सहायता समूहों को कृषि विभाग, वेटनरी, कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने कॉन्फ्रेंस में फसलों की गिरदावरी की तैयारियों, वृक्षारोपण अभियान की प्रगति, श्रमिकों के कौशल उन्नयन और उनके रोजगार की स्थिति तथा क्वॉरेंटाइन सेंटर में रुके हुए श्रमिकों से सम्बंधित विषयों की समीक्षा भी की। उन्होंनेे कहा कि हर गौठान समिति का सहकारी बैंक में खाता अनिवार्य रूप से खोला जाए। गोबर बेचने वाले हर व्यक्ति का एक कार्ड बनाया जाए। जिसकी एक प्रति विक्रेता के पास और दूसरी प्रति गौठान समिति के पास रखी जाए। कार्ड पर गौठान के गोबर संग्रहणकर्ता के हस्ताक्षर कराए जाएं। उन्होंने कहा कि गौठानों में रूकने वाले पशुओं के गोबर पर चरवाहे का अधिकार होगा। उसे भी दो रूपए प्रति किलो की दर पर खरीदा जाएगा। इन योजनाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। श्री बघेल ने कहा कि इस वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मना रहे हैं। बापू ने ग्राम स्वराज का सपना देखा था। गौठानों को आजीविका सेंटर और रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित करने की योजना है। जिससे ग्राम स्वराज का सपना साकार हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि दैनिक उपयोग संबंधी छोटी छोटी वस्तुएं बाहर से आती हैं कोरोना संकट की वजह से विदेशों से सामान की आपूर्ति आने वाले समय में कम रहेगी। इसकी पूर्ति स्थानीय स्तर पर वस्तुएं तैयार करा कर की जा सकती हैं। जिला कलेक्टर अपने जिलों के व्यावसायिक संगठनो%8

Created On :   18 July 2020 3:48 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story