रायपुर : छत्तीसगढ़ के कोसा सिल्क की चमक पहुंची सात समुंदर पार: मंत्री गुरु रूद्रकुमार
डिजिटल डेस्क, रायपुर। अफ्रीकी देशों के व्यापारिक प्रतिनिधियों से हुई वर्चुअल परिचर्चा अफ्रीकी देशों के व्यवसायी छत्तीसगढ़ के कोसा सिल्क उत्पादों के हुए मुरीद रायपुर, 20 अक्टूबर 2020 राज्य शासन की मंशा के अनुरूप ग्रामोद्योग और वनोपज आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने और उनके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने हर संभव प्रयास किये जा रहें है। एक ओर जहां इन उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया गया है, वहीं ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्रकुमार की पहल पर छत्तीसगढ़ कोसा सिल्क की चमक अब सात समुंदर पार अफ्रीकी देशों तक जा पहुँची है। कल दिनांक 19 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारियों की अफ्रीका महाद्वीप के जांबिया, मोरक्को, गिनीबिसाओं, सेनेगल आदि देशों के व्यवसायिक प्रतिनिधियों से आनलाइन व्यापारिक परिचर्चा हुई है। इस परिचर्चा के दौरान सेनेगल में भारतीय राजदूत श्रीनिवास राव की वर्चुअल उपस्थिति में श्री सुधाकर खलखो संचालक ग्रामोद्योग ने छत्तीसगढ़ के कोसा सिल्क धागों के धागाकरण, रंगाई एवं कोसा सिल्क व्यापार के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए कोसा सिल्क के विभिन्न उत्पादों के फोटोग्राफ्स सहित सभी उत्पादों की उपयोगिता की शानदार प्रस्तुति दी गई। संचालक श्री खलखो ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में चाइनीज और कोरियन यार्न की अनुपलब्धता और इनके मुकाबले छत्तीसगढ़ के कोसा सिल्क धागे आकर्षक, मजबूत और किफायती होने के कारण दूसरे राज्यों के साथ-साथ अन्य देशों में इसकी मांग बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि परिचर्चा के दौरान कोसा सिल्क उत्पादों की प्रस्तुतीकरण से ही अफ्रीकी व्यापारिक संस्थान इनके मुरीद हो गए और अफ्रीकी व्यापारिक संस्थाओं द्वारा कोसा सिल्क के उत्पादों में विपणन को लेकर बड़ी उत्सुकता दिखाई है। श्री खलखो ने बताया कि ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्रकुमार के मार्गदर्शन में ग्रामोद्योग के उत्पादों का अंतरराष्ट्रीय क्रेता- विक्रेता सम्मेलन में, जहां विभिन्न देशों के साथ एमओयू किया गया। उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में ग्रामोद्योग का ट्रायफेड के साथ एमओयू होने से राज्य की शिल्पकला को एक नई पहचान मिली है, और अन्य राज्यों के लोगों की पहली पसंद भी बन गया है। इससे छत्तीसगढ़ में ग्रामोद्योग से जुड़े ग्रामीणों का जीवन स्तर और आर्थिक स्थिति सुधर रही है। क्रमांक-4543/चन्द्रवंशी
Created On :   21 Oct 2020 3:20 PM IST