रायपुर : लेमरू एलीफेंट रिजर्व से किसी का नहीं होगा विस्थापन, गांवों और वनवासियों के अधिकार रहेंगे बरकरार: वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
रायपुर : लेमरू एलीफेंट रिजर्व से किसी का नहीं होगा विस्थापन, गांवों और वनवासियों के अधिकार रहेंगे बरकरार: वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर

डिजिटल डेस्क, रायपुर। वन अधिकार संरक्षित रहेंगे: लघु वनोपज संग्रहण में नहीं होगी कोई बाधा कोयला खनन, बड़े उद्योग और वन्य प्रणियों का शिकार प्रतिबंधित होगा कंजरवेशन रिजर्व के प्रबंधन के लिए बनने वाली समिति में पंचायत प्रतिनिधियों का भी समावेश होगा पंचायतों को मानव हाथी संघर्ष को रोकने के लिए मिलेगी अलग से राशि रायपुर, 19 अक्टूबर 2020 वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने कहा है कि लेमरू एलीफेंट रिजर्व से किसी का विस्थापन नहीं होगा। गांवों और वनवासियों के अधिकार बरकरार रहेंगे। वन अधिकार संरक्षित रहेंगे और लघु वनोपज संग्रहण में किसी प्रकार की बाधा नहीं होगी। वन मंत्री ने यह स्पष्ट किया है कि लेमरू एलीफेंट रिजर्व के बारे में गांव के विस्थापन, वनअधिकारों में कटौती, लघु वनोपज संग्रहण में बाधा और अन्य जितनी भी अफवाहे फैलाई गई हैं, उनका कोई आधार नहीं है। एलीफेंट रिजर्व बनने के बाद भी उक्त समस्त अधिकार जारी रहेंगे और किसी का विस्थापन नहीं होगा। साथ ही अन्य क्षेत्रों के हाथियों को यहां लाकर नहीं बसाया जाएगा अर्थात् जो स्थिति आज है वैसी ही व्यवस्था बनी रहेगी। वन मंत्री ने यह भी साफ किया है कि तमिलनाडु के मामलें में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर जो भ्रम फैलाया जा रहा है, उसमें भी कोई सच्चाई नहीं है। तमिलनाडु में एलीफेंट रिजर्व नहीं बनाया गया बल्कि एलीफेंट कॉरीडोर के लिए भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की गई थी। लेमरू के लिए वन विभाग किसी प्रकार का भूमि अधिग्रहण नहीं करने वाला है और अधिसूचना में केवल शासकीय भूमि ही शामिल होगी अर्थात् निजी भूमि के स्वामित्व, खरीद फरोख्त पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लग रहा है। श्री अकबर ने कहा है कि झारखण्ड और उड़ीसा राज्य में पहले से एलीफेंट रिजर्व बने हुए हैं और उनके अंदर आने वाले गांव तथा निवासियों के किसी अधिकार की कटौती नहीं हुई है और न ही किसी गांव का विस्थापन हुआ है। छत्तीसगढ़ में भी सरगुजा क्षेत्र में तमोर पिंगला, सेमरसोत और बादलखोल अभ्यारण्य होने के साथ-साथ एलीफेंट रिजर्व 2011 से है परन्तु किसी गांव का विस्थापन नहीं हुआ है। उक्त तीनों अभ्यारण्य है जबकि लेमरू एलीफेंट रिजर्व का गठन कंजरवेशन रिजर्व के रूप में हो रहा है जिसमें अभ्यारण्य के मुकाबले सारे अधिकार गांवों के और वनवासियों के बरकरार रहेंगे। उन्होंने कहा है कि कतिपय तत्वों द्वारा निहित स्वार्थ के तहत एलीफेंट रिजर्व के बारे में अफवाहें और दुष्प्रचार किया जा रहा है जबकि इसमें कोयला खनन, बड़े उद्योग और वन्य प्रणियों का शिकार तथा जंगल में आग लगाना आदि ही मात्र प्रतिबंधित होने वाला है। कंजरवेशन रिजर्व के प्रबंधन के लिए जो समिति बनेगी, उसमें पंचायत प्रतिनिधियों का भी समावेश किया जाएगा और उनकी राय के बगैर कोई कार्य नहीं होगा। पंचायतों को मानव हाथी संघर्ष को रोकने के लिए राशि अलग से मिलेगी। कुल मिलाकर लेमरू एलीफेंट रिजर्व का गठन वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 36 (ए) के तहत होने से वन, वनवासी और वन्य प्राणी तीनों के हित पूरी तरह सुरक्षित होंगे। 

Created On :   20 Oct 2020 2:35 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story