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रायपुर : पढ़ई तुंहर दुआर के नवाचारों को किया साझा : राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन के मुद्दों की समीक्षा

डिजिटल डेस्क, रायपुर। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा आज राज्यों के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से संबंधित मुद्दों पर समीक्षा की गई। छत्तीसगढ़ द्वारा कोविड-19 के वजह से स्कूलों के लॉकडाउन होने से लागू किए गए मॉडल ’पढ़ई तुंहर दुआर’ के अंतर्गत किए जा रहे नवाचारों को साझा किया गया। बैठक में राज्यों को शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के परिप्रेक्ष्य में किए जा रहे नवाचारों, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में आ रही चुनौतियों एवं अभी तक राज्यों द्वारा इस दिशा में किए गए कार्यों को साझा किया गया। बैठक में भारत सरकार शिक्षा मंत्रालय, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की सचिव सुश्री अनीता करेवाल, संयुक्त सचिव श्री मनीष गर्ग और संचालक सुश्री राशि शर्मा उपस्थित थी। छत्तीसगढ़ राज्य के संचालक लोक शिक्षण संचालनालय श्री जितेन्द्र शुक्ला और संचालक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद श्री डी. राहुल वेंकट ने वर्चुअल समीक्षा बैठक में बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत प्रस्तावित विभिन्न क्षेत्रों जैसे डिजिटल लर्निंग, कक्षा शिक्षण के तकनीकी का उपयोग, वालेंटियर के माध्यम से सीखने में सहयोग, आकलन में सुधार, शिक्षण-प्रशिक्षण में ब्लेंडेड पद्धति का उपयोग, बच्चों की भाषा में सिखाने का प्रयास, मूलभूत पठन और गणितीय कौशलों में विशेष ध्यान देकर कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा विभिन्न सुझावों को राज्य में पढ़ई तुंहर दुआर के अंतर्गत लागू किया गया है। छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और चुनौतियों के संबंध में फाउंडेशनल लिटरेसी में निर्धारित लक्ष्य को समय पर प्राप्त करने, स्कूलों में मध्यान्ह भोजन के साथ-साथ सुबह का नास्ता देेने के प्रावधान, इसमें लगने वाला समय और संसाधन, स्कूलों का सुबह 10 बजे खुलना और नास्ता वितरण में विलंब होना प्रमुख हैं। इसके अलावा स्कूलों में विद्यार्थियों को विशेष चयन में लचीलापन होने पर योग्यता के अनुसार योग्य शिक्षकों की मांग के आधार पर उपलब्धता सुनिश्तिच करना, बच्चों की मातृभाषा में कक्षा 5वीं एवं उसके आगे की कक्षाओं की शिक्षा संबंधित मुद्दों पर ठोस रणनीति की आवश्यकता है। छत्तीसगढ़ राज्य में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। इसके अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए टास्क फोर्स गठित की गई है।
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Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।