रायपुर : वन धन विकास केन्द्र के समूहों में उद्यमिता विकास के लिए प्रशिक्षण जारी : राज्य में वनोपजों के प्रसंस्करण के लिए 139 वन धन विकास केन्द्र स्थापित
डिजिटल डेस्क, रायपुर। 16 अक्टूबर 2020 वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर की पहल पर छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा राज्य में वन धन विकास केन्द्र के समूहों में उद्यमिता विकास के लिए प्रशिक्षण जारी है। विगत 13 अक्टूबर से शुरू हुए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आगामी 7 दिसम्बर तक चलेगा। ट्रायफेड के माध्यम से ऑनलाईन संचालित प्रशिक्षण में औषधि, खाद्य, लाख तथा इमली आदि वनोपजों के प्रसंस्करण से जुड़े स्व-सहायता समूहों के हितग्राही शामिल होंगे। इस संबंध में प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ श्री संजय शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में लघु वनोपजों के प्राथमिक प्रसंस्करण कार्य के लिए 139 वन धन विकास केन्द्र संचालित हैं। यहां प्रत्येक केन्द्र में कम से कम 10 महिला स्व-सहायता समूहों को वनोपजों के प्रसंस्करण कार्य के लिए जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण आई.आई.टी. कानपुर द्वारा दिया जा रहा है। इसमें वन धन विकास केन्द्र के अंतर्गत लघु वनोपजों के प्रसंस्करण से जुड़े स्व-सहायता समूहों में उद्यमिता का विकास करने तथा उच्च गुणवत्ता के उत्पाद निर्माण और इसके विक्रय एवं ब्रांडिंग आदि के लिए प्रशिक्षण जारी है। इसके तहत समूहों को प्रशिक्षण के साथ-साथ तकनीकी तथा विपणन संस्थानों से जोड़ा (टाई-अप) भी जाएगा। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य में चालू सीजन के दौरान अब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 112 करोड़ 21 लाख रूपए की राशि के 4 लाख 74 हजार 667 क्विंटल लघु वनोपजों की खरीदी की गई है। ट्राईफेड नई दिल्ली द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में लघु वनोपज क्रय करने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा प्रदेश में लगभग तीन हजार 500 ग्रामों तथा 866 हाट-बाजारों को लघु वनोपजों के संग्रहण के लिए चयन कर महिला स्व-सहायता समूह द्वारा क्रय करने की व्यवस्था की गई है। उल्लेखनीय है कि राज्य में चालू वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत 31 लघु वनोपजों का संग्रहण किया जा रहा है। संग्रहित लघु वनोपजों में इमली (बीज सहित), पुवाड़ (चरोटा), महुआ फूल (सूखा), बहेड़ा, हर्रा, कालमेघ, धवई फूल (सूखा), नागरमोथा, इमली फूल, करंज बीज तथा शहद शामिल हैं। इसके अलावा बेल गुदा, आंवला (बीज रहित), रंगीनी लाख, कुसुमी लाख, फुल झाडु, चिरौंजी गुठली, कुल्लू गोंद, महुआ बीज, कौंच बीज, जामुन बीज (सूखा), बायबडिंग, साल बीज, गिलोय तथा भेलवा लघु वनोपजें भी इसमें शामिल हैं। साथ ही वन तुलसी बीज, वन जीरा बीज, इमली बीज, बहेड़ा कचरिया, हर्रा कचरिया तथा नीम बीज को भी शामिल किया गया है।
Created On :   17 Oct 2020 2:09 PM IST