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राजू बिरहा को फांसी की सजा, पान टपरी की जगह को लेकर विवाद में की थी हत्या
डिजिटल डेस्क, नागपुर. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी.वाय.लाडेकर ने बुधवार को तिहरे हत्याकांड के दोषी कुख्यात राजू चुन्नालाल बिरहा (47, नि.गुमगाव, हिंगना, नागपुर) को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने उसे भादवि 302 के तहत हत्या का दोषी पाया है। उसे फांसी और 5 हजार रुपए जुर्माने की सजा दी गई है। वहीं, मामले में उसके साथी कमलेश झरिया (24, नि. पिंढारोही, मध्यप्रदेश) को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया गया है। उसे 15 हजार रुपए का पी.आर.बांड भरने का आदेश दिया गया है। इस मामले में सरकारी वकील कल्पना पांडे ने कोर्ट को बताया कि आरोपी के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, प्रतिबंधित हथियारों के उपयोग के कई मामले दर्ज हैं। उक्त हत्याकांड में सुनील कोटांगले नामक व्यक्ति की हत्या के बाद राजू बिरहा ने अपने साथी कमलेश की बाईक पर बैठ कर और दो लोगों का पीछा किया और उन्हें भी मौत के घाट उतार दिया। यह आरोपी की आपराधिक और क्रूर मानसिकता को दर्शाता है। मामले में सभी पक्षों को सुनकर कोर्ट ने यह फैसला दिया है। प्रकरण में कमलेश की ओर से एड.अशोक भांगडे ने पक्ष रखा।
यह था विवाद : हिंगना पुलिस में दर्ज मामले के अनुसार, यह घटना 17 नवंबर 2015 की रात 9 से 10 बजे के बीच मौजा वागधरा शिवार में घटी थी। दरअसल, कई दिनों से राजू बिरहा और सुनील कोटांगले के बीच पान टपरी की जगह को लेकर विवाद चल रहा था। घटना के वक्त जब सुनील अपने मित्र आशीष ऊर्फ गोलू गायकवाड़ और कैलाश बहादुरे खड़े होकर आपस में बात कर रहे थे, तभी बिरहा अपने साथी कमलेश के साथ वहां आ पहुंचा। उसने सत्तूर से सुनील पर हमला करके उसे वहीं ढेर कर दिया। इस दौरान आशीष और कैलाश जब भागने लगे, तो उसने बाइक पर बैठकर दोनों का पीछा किया और उन्हें भी मौत के घाट उतार दिया।
बुधवार को जब अदालत फैसला सुना रही थी, तो बिरहा बड़े ध्यानपूर्वक सब कुछ सुन रहा था। उसे फांसी की सजा की उम्मीद नहीं थी, लेकिन जैसे ही अदालत ने फांसी की सजा का एलान किया, शांत खड़ा बिरहा अचानक परेशान हो उठा। इतना कि वह स्वयं अदालत के समक्ष गिड़गिड़ाने लगा कि उसे फांसी न दी जाए। अपने बचाव में बिरहा दलील देने लगा कि वह पिछले 7 वर्षों से जेल में है और वरिष्ठ अदालतों के कई फैसले ऐसे हैं, जिसमें इतने लंबे समय तक जेल में रहने वाले दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती, लेकिन बिरहा का यह पैंतरा काम नहीं आया। अदालत में उसके ट्रायल से जुड़े वकील बताते हैं कि बिरहा काफी उग्र स्वभाव का है। एक बार सुनवाई के दौरान जब उसके वकील को अदालत में पहुंचने में जरा सी देर हो गई, तो बिरहा भड़क उठा, उसने अपने ही वकील को भरी अदालत में गंदी-गंदी गालियां दी थी।
सात साल में दूसरी बार फांसी की सजा
गौरतलब है कि अदालत द्वारा केवल -"रेयरेस्ट ऑप रेयर" मामलों में ही फांसी की सजा सुनाई जाती है। बिरहा के पूर्व चर्चित युग चांडक हत्याकांड के दो आरोपियों को भी करीब सात वर्ष पूर्व सत्र न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई थी।
कड़ा संदेश देना जरूरी
एड.कल्पना पांडे, सरकारी वकील के मुताबिक अदालत नेे दोषी की आपराधिक पृष्ठभूमि पर भी गौर किया। इस तिहरे हत्याकांड को काफी बर्बर तरीके से अंजाम दिया गया था। हमने ठोस सबूत पेश करके उसका अपराध साबित किया। अदालत ने भी फांसी जैसी सजा देकर गुनहगारों को एक संदेश दिया है।
Created On :   29 Dec 2022 5:11 PM IST