राज्यसभा : मनमाड से नांदेड रेलवे लाइन के विद्युतीकरण, गंभीर बीमारियों में दमा-मोटापा शामिल करने की मांग

Rajya Sabha: Demanded electrification of Manmad - Nanded railway line
राज्यसभा : मनमाड से नांदेड रेलवे लाइन के विद्युतीकरण, गंभीर बीमारियों में दमा-मोटापा शामिल करने की मांग
राज्यसभा : मनमाड से नांदेड रेलवे लाइन के विद्युतीकरण, गंभीर बीमारियों में दमा-मोटापा शामिल करने की मांग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सांसद फौजिया खान ने शुक्रवार को राज्यसभा में मनमाड से नांदेड रेलवे लाइन के दोहरीकरण और विद्युतीकरण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि माल ढुलाई और अंतर-राज्य ट्रेनों की आवाजाही का यह एक व्यस्त मार्ग है। लिहाजा समय और पैसे की बचत के लिए इस मार्ग का दोहरीकरण और विद्युतीकरण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मराठवाडा में नांदेड, परभनी, जालना, हिंगोली, बीड और लातूर इन जिलों में कृषि आधारित उद्योग ज्यादा है। इसे देखते हुए उन्हें निर्यात हब के रुप में विकसित करने के लिए सरकार से आग्रह है कि वह मनमाड से नांदेड रेलवे लाइन के दोहरीकरण और विद्युतीकरण की मांग पर गौर करें।

गंभीर बीमारियों में शामिल हो दमा और मोटापा 

शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कोरोना टीकाकरण के लिए गंभीर बीमारियों की सूचि में दमा और मोटापा को भी शामिल करने की मांग उठाई है। उन्होने कहा कि टीकाकरण के दूसरे चरण में गंभीर बीमारियों से ग्रसित 45 वर्ष से ज्यादा आयु के लोगों को शामिल किया गया है, लेकिन दमा और मोटापा को गंभीर बीमारियों की श्रेणी में शामिल नहीं किया गया है। जबकि सच्चाई यह है कि कोरोना से होने वाली मौतों में दमा और मोटापा बड़े कारक बनकर उभरे हैं। प्रियंका चतुर्वेदी ने यह मसला शुक्रवार को राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान उठाया। उन्होने कहा कि दमा और मोटापे को इस श्रेणी में लाने से ज्यादा-से-ज्यादा लोगों का टीकाकरण हो सकेगा। इसके साथ ही शिवसेना सांसद ने साधु-संतों, पीर-पादरियों को टीकाकरण में प्राथमिकता देने की मांग की है, जिनके पास आधार कार्ड नहीं है। ये एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहते हैं और इन्हें टेक्नोलॉजी का ज्ञान भी कम है। उन्होने यह भी कहा कि सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि देश में सभी लोगों को जल्द-से-जल्द टीका लग सके।

राजीव सातव ने उठाई जनगणना में ओबीसी की गिनती की मांग

कांग्रेस सांसद राजीव सातव ने जनगणना में अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) की अलग से गिनती में हो रही देरी का मसला राज्यसभा में उठाया। उन्होने सरकार से पूछा कि जब जानवरों और पेड़ोंकी गिनती हो सकती है, तो समाज के महत्वपूर्ण घटक ओबीसी की गिनती क्यों नहीं हो सकती? राजीव सातव ने यह मसला शुक्रवार को शून्य काल के दौरान उठाया। उन्होने कहा कि ओबीसी जनगणना की मांग वर्षों से की जा रही है। पूर्व में भाजपा के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे भी लोकसभा में यह मांग पुरजोर ढंग से उठा चुके हैं। उन्होने कहा कि वर्ष 2018 और 2019 में सरकार ने ओबीसी जनगणना कराने को लेकर आश्वासन दिया था। लेकिन अभी जनगणना में ओबीसी कॉलम ही हटा दिया गया है। उन्होने कहा कि अगर ओबीसी को सही लाभ देना है तो इसकी गणना जरूरी है। सांसद ने सरकार से मांग की कि 2021 की जनगणना में ओबीसी की गिनती अनिवार्य रूप से कराई जाए।
 

Created On :   19 March 2021 9:52 PM IST

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