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रेंजर पुष्पा सिंह उमरिया डिवीजन अटैच, जांच के लिए कमेटी गठित , 7 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी
रेत कारोबारी व अफसरों का वायरल ऑडियो का मामला
डिजिटल डेस्क शहडोल । छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश के बड़े रेत कारोबारी नवाब खान से गोहपारू की महिला रेंजर से बातचीत का कथित ऑडियो वायरल होने के मामले में कड़ा कदम उठाते हुए सीसीएफ पी.के. वर्मा ने पुष्पा सिंह को तत्काल प्रभाव से रेंजर के प्रभार से हटा दिया है। उन्हें उमरिया डिवीजन में अटैच किया गया है। इसके अलावा दो सदस्यीय जांच कमेटी भी बुधवार को गठित की गई, जो सात दिन में अपनी रिपोर्ट सीसीएफ को सौंपेगी। इस कमेटी मेंं सोहागपुर और राजेेंद्रग्राम के एसडीओ को शामिल किया गया है।
पूरे कंटेंट की जांच करेगी कमेटी7सीसीएफ पी.के. वर्मा के अनुसार वायरल ऑडियो में जो बातें कही गई हैं और जो-जो बात सामने आई है, उन सभी कंटेंट की जांच कमेटी करेगी।जरूरत पड़ी तो जांच में अन्य विभागों का भी सहयोग लिया जाएगा। श्री वर्मा ने बताया कि जांच किसी तरह से प्रभावित न हो इसलिए रेंजर पुष्पा सिंह को उमरिया डिवीजन में अटैच कर दिया गया है। पहले जांच के लिए 15 दिन का समय दिया गया था, अब 7 दिन में ही जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सोनटोला खदान से जुड़ा है मामला 7वायरल ऑडियो में जिस रेत खदान को लेकर बात हो रही है वह गोहपारू और सोहागपुर के बॉर्डर पर सोन नदी स्थित सोनटोला रेत खदान है। बातचीत के दौरान एक बार सोनटोला का जिक्र भी आया है। पांच एकड़ से कम क्षेत्र की श्रेणी में शामिल सोनटोला खदान मार्च 2020 के पहले तक पंचायत के सुपुर्द थी और वन विभाग ने भी यहां खनन की एनओसी जारी की थी। जबपंचायतों के माध्यम से सोनटोला सहित जिले की अन्य रेत खदानों का संचालन हो रहा था, तब से नवाब खान का शहडोल सहित समीपी छत्तीसगढ़ राज्य की रेत खदानों पर खासा दबदबा होने की चर्चा आम थी। जिले की हर खदान में नवाब के नाम की ही चर्चा होती थी।
नया ठेका होते ही सच सामने आया 7सूत्रों के मुताबिक सूबे में नई रेत नीति लागू होते ही जिले की रेत खदानों के समूह का एकजाई ठेका होने के बाद वन विभाग ने सोनटोला रेत खदान में अपत्ति लगा दी। विभाग ने सोनटोला खदान क्षेत्र में 250 मीटर क्षेत्र फॉरेस्ट का होने की बात कहते हुए खदान को निरस्त करने की अनुशंसा की हुई है। इस बात की पुष्टि खनिज अधिकारी फरहत जहां भी करती हैं। सूत्रों के मुताबिक यही एक ऐसा मुद्दा है जो जांच को नई दिशा देगा। क्योंकि जिस खदान का 250 मीटर क्षेत्र फॉरेस्ट में आता हो, उस खदान में पंचायती राज में खनन की अनुमति कैसे दे दी गई?
Created On :   24 Sept 2020 2:59 PM IST