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राशन वितरण मशीनों के चक्कर में एमपी सरकार को 46 करोड़ का चूना !
सौरभ सोनी, भोपाल। MP में जिस POS मशीन के कारण राशन वितरण की व्यवस्था लंबे अरसे से तकनीकी चुनौतियां झेल रही है। उन मशीनों के किराए के बतौर MP सरकार पांच साल में 46 करोड़ 32 लाख 56 हजार 442 रुपए कंपनी को देगी। यह राशि कंपनी को मशीनों के संचालन और मेटेंनेंस के लिए दी जाएगी।
डिजिटल इंडिया के तहत MP सरकार ने शहरी और ग्रामीण अंचलों में शासकीय राशन दुकानों के लिए POS मशीनें किराए पर ली है। जितना किराया मशीनों के संचालन पर कंपनी को दिया जा रहा है, उतनी राशि में मशीनें खरीदकर सरकार राशन वितरण की बेहतर व्यवस्था कर सकती थी।
इन दो कंपनियों को दिया है ठेका
दरअसल MP स्टेट इलेक्ट्रानिक डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड की तरफ से दो कंपनियों को ठेका दिया गया है। इनमें एक पुणे की DSK डिजिटल टेक्नोलॉजिक्स प्राइवेट लिमिटेड और दूसरी है हैदराबाद की लिंकवेल टेलीसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड। इन कंपनियोंं को 5 साल का ठेका दिया गया है। हैदराबाद की लिंकवेल टेलिसिस्टम कंपनी जहां सात जिलों में काम कर रही है तो वहीं DSK को 8 जिले दिए गए हैं।
इन जिलों का हाल कुछ यूं है
इनमें DSK द्वारा अशोक नगर, भिंड दतिया, गुना, ग्वालियर, मुरैना श्योपुर और शिवपुरी जिले में कुल 2879 POS मशीनों का संचालन किया जा रहा है। इसके लिए सरकार द्वारा 1200 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से 34 लाख 29 हजार 752.70 रुपए दिए जा चुके हैं। इसी तरह 7 जिलों को भी 12 सौ रुपये के हिसाब से 42 लाख 91 हजार 188 रुपये दिये गये हैं।
इंटरनेट के कारण मशीनें भी बेकार
इस भुगतान के बावजूद आलम यह है कि फिलहाल राशन का वितरण रजिस्टर में इंट्री के माध्यम से किया जा रहा है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है सरकार ने मशीनें तो दे दी लेकिन ग्रामीण अंचलों में इंटरनेट की व्यवस्था नही है। अधिकांश ग्रामीण अंचलों के राशन वितरक तो शहर में आकर POS मशीनों में डाटा फीड कर रहे हैं।
इन जिलों में चल रही POS मशीनें
जिला शहरी ग्रामीण मशीनें
अनूपपुर 28 295 323
रीवा 101 707 808
सतना 86 729 815
शहडोल 39 378 417
सीधी 22 404 426
सिंगरौली 42 339 381
उमरिया 16 236 252
कुल 334 3088 3422
मशीनों को समझने में लगेगा समय
स्टेट आईटी सेंटर के डिप्टी चीफ जनरल मैनेजर विमल सिंह अरोरा ने कहा कि मशीनों को समझने में राशन वितरकों को समय लगेगा। केंद्र सरकार भी आधार में हर दिन नया अपडेट करती है, ऐसे में मशीनों में भी अपडेट करना होता है इसलिए POS मशीनों को ठेके पर संचालित अपडेट करने का भी कार्य कंपनी को दिया गया है।
गांव में इंटरनेट ही नहीं है
युवा कांग्रेस के स्टेट आरटीआई प्रमुख पुनीत टंडन ने कहा कि गांव में इंटरनेट नहीं है, ऐसे में ग्रामीण अंचलों में POS मशीनें उपयोगहीन है। प्रदेश में राशन घोटाला से भी बड़ा राशन वितरण में लगाई गई POS मशीनों का घोटाला साबित हो रहा है। इसकी जांच होनी चाहिए। कंपनियों को ठेके पर दी जाने वाली राशि में सरकार मशीनें खरीद कर स्वयं संचालन कर सकती है।
Created On :   10 Aug 2017 11:01 AM IST