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सुप्रीम कोर्ट के फैसला का हवाला- डांस बार में सिर्फ मौजूदगी के चलते नहीं दर्ज कर सकते मामला
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बांबे हाईकोर्ट ने उस शख्स को राहत प्रदान की है जिसके खिलाफ पुलिस ने सिर्फ इसलिए आपराधिक मामला दर्ज किया गया था क्योंकि वह उस समय डांस बार में मौजूद था जब महिलाएं वहां अश्लील नृत्य कर रही थी । हाईकोर्ट ने कहा कि मामले से जुड़े तथ्य व सबूत आरोपी के खिलाफ किसी अपराध का खुलासा नहीं करते हैं। इसलिए उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर व आरोपपत्र को खारिज किया जाता है। कोर्ट के इस आदेश के साथ ही आरोपी के कनाडा जाने का रास्ता भी साफ हो गया है। मामला मुंबई निवासी नरेश स्वामी (परिवर्तित नाम) से जुड़ा है। जिसके खिलाफ जोगेश्वरी पुलिस ने महानगर के लोटस बार में छापेमारी के बाद आपराधिक मामला दर्ज किया था। पुलिस ने इस मामले में स्वामी सहित डांस बार के मैनेजर, कैशियर, बार बालाओं व गायकों सहित 29 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 294 (अश्लील हरकत व गाना) व 34 के तहत एफआईआर दर्ज की थी। आरोपी के मुताबिक पुलिस ने शुरुआत में उसे सिर्फ पुलिस स्टेशन चलने को कहा था। जहां पर उससे कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराके छोड़ दिया गया था। कुछ समय बीतने के बाद जब आरोपी ने कनाडा जाने के लिए पुलिस क्लियरंस सर्टिफिकेट (पीसीसी) के लिए आवेदन किया। तब उसे अपने खिलाफ कोर्ट में दायर आरोपपत्र की जानकारी मिली।
आरोपी के अनुसार पुलिस ने उसे झूठे मामले में फंसाया है। चूंकि छापेमारी के दौरान मैं वहां मौजूद पाया गया। इसलिए पुलिस ने मेरे खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया है। मैं उस वक्त बार में न तो कोई अश्लील हरकत कर रहा था और न ही वहां पर पैसा लूटा रहा था। फिर भी पुलिस ने मेरे खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर लिया। इस मामले के चलते वह कनाडा में नौकरी के लिए नहीं जा पा रहा है। जबकि इस मामले में उसके खिलाफ कोई मामला नहीं बनाता है। यदि उसके खिलाफ इस आपराधिक मामले को रद्द नहीं किया गया तो वह कनाडा की नौकरी से भी वंचित हो जाएगा। इससे पहले आरोपी ने निचली अदालत में खुद को इस मामले से मुक्त किए जाने की मांग को लेकर आवेदन दायर किया था जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसलिए आरोपी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने आरोपी की डांस बार में मौजूद होने की पुष्टी की। आरोपपत्र पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं जो उसके खिलाफ अपराध का खुलासा करते हो। इस तरह खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए उसके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया।
Created On :   17 Sept 2022 6:39 PM IST