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सोने के गहनों के लिए हॉलमार्क की अनिवार्यता पर रोक लगाने से इंकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोने के गहने पर हॉलमार्क की अनिवार्यता से जुड़े आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि उपभोक्ताओ के सरंक्षण व अनुचित व्यापार व्यवहार को रोकने के लिए हॉलमार्क जरूरी है। अवकाशकालीन न्यायमूर्ति एस जे काथावाला व न्यायमूर्ति एसपी तावड़े ने कहा कि केंद्र सरकार को हॉलमार्क की अनिवार्यता से जुड़े आदेश को लागू करने के लिए पर्याप्त हॉलमार्क केंद्र व इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। इसलिए ज्वेलर्स को कड़ी कार्रवाई से राहत प्रदान की जाती है। किन्तु ज्वेलर्स यह कोशिश करें जहां हॉलमार्क केंद्र हैं, वहां से गहनों में हॉलमार्क लगवाएं।
देश के 741 जिलों में से सिर्फ 236 जिलों में हॉलमार्क केंद्र
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल अंतुड़कर ने खंडपीठ को बताया गया कि देशभर में स्थित 741 जिलों में से सिर्फ 236 जिलों में ही हॉलमार्क केंद्र हैं। जबकि महाराष्ट्र के 36 में से 14 जिलों में हॉलमार्क केंद्र नहीं है। बुलढाणा, भंडारा व बीड़ में एक भी हॉलमार्क केंद्र नहीं है। जबकि इन इलाकों में तीन हजार से अधिक ज्वेलर्स हैं। ऐसे में हॉलमार्क केंद्र के अभाव को देखते हुए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्स (बीआईएस) की ओर से जारी किए गए आदेश पर रोक लगाई जाए। पुणे सराफ एसोसिएशन ने इस बारे में हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में इस विषय पर जारी की गई 14 जून 2018 को जारी अधिसूचना व बीआईएस के आदेश को चुनौती दी है।
ठगी से बचाने अनिवार्य किया है हॉलमार्क
वहीं बीआईएस की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अर्श मिश्रा ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि हॉलमार्क की अनिवार्यता का आदेश आर्थिक सुधार से जुड़ा है। इसके अलावा उपभोक्ताओं को ज्वेलर्स की ठगी से बचाने के लिए केन्द्र सरकार के उपभोक्ता विभाग ने हॉलमार्क के विषय निर्णय लिया है और बीआईएस ने आदेश जारी किया है। जिसके तहत हॉलमार्क से जुड़े नियम का पालन न करने पर एक साल तक कि सजा का प्रावधान है। इसके अलावा ज्वेलर्स को किसी भी जिले के हॉलमार्क केंद्र में जाकर हॉलमार्क हासिल करने की छूट है। उन्होंने कहा कि जैसे ही कोरोना नियंत्रण के बाद स्थिति सामान्य होगी वैसे ही हॉलमार्क केंद्र स्थापित करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने व हॉलमार्क की अनिवार्यता से जुड़े उद्देश्य पर विचार करने के बाद खंडपीठ ने इस विषय पर केंद्र सरकार के उपभोक्ता विभाग व बीआईएस की ओर से जारी आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। चूंकि अभी हर जगह हॉलमार्क केंद्र नहीं है और कोरोना काल में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना आसान नहीं है इसलिए ज्वेलर्स को कड़ी कार्रवाई से राहत दी जाती है। खंडपीठ ने इस मामले में सरकार को हलफनामा दायर कर स्पष्ट करने को कहा है कि वह कब तक महाराष्ट्र के उन जिलों में हॉलमार्क केंद्र उपलब्ध कराएगा जहां ऐसे केंद्र नहीं हैं। खंडपीठ ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई 29 जून 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   28 May 2021 5:29 PM IST