6 वर्षीय पीड़िता की गवाही पर अविश्वास दर्शाने से किया मना, दुष्कर्म के आरोपी के दस साल की सजा बरकरार

Refused to show disbelief on the testimony of 6-year-old victim, 10-year sentence of rape accused upheld
6 वर्षीय पीड़िता की गवाही पर अविश्वास दर्शाने से किया मना, दुष्कर्म के आरोपी के दस साल की सजा बरकरार
हाईकोर्ट 6 वर्षीय पीड़िता की गवाही पर अविश्वास दर्शाने से किया मना, दुष्कर्म के आरोपी के दस साल की सजा बरकरार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने 6 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता की गवाही पर अविश्वास दर्शाने से इनकार करते हुए नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी पाए गए एक आरोपी की दस साल की कारावास की सजा को कायम रखा है। निफाड की विशेष अदालत ने आरोपी किरण मोरे को इस मामले में सितंबर 2016 को दस साल के कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ मोरे ने हाईकोर्ट में अपील की थी। जिसे न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है। 

न्यायमूर्ति ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपी पर लगे आरोपों को संदेह से परे जाकर साबित किया है। ऐसे में भले ही डीएनए व सीए रिपोर्ट में आरोपी के खिलाफ कुछ नही। फिर भी आरोपी को सुनाई गई सजा को कामय रखा जाता है। क्योंकि हमारे सामने ऐसा कुछ नहीं है जिसके आधार पर पीड़िता की गवाही पर अविश्वास ठहाया जा सके।  इस तरह न्यायमूर्ति ने आरोपी की सजा को कायम रखते हुए उसकी अपील को खारिज कर दिया।

अभियोजन पक्ष के मुताबिक आरोपी पीड़िता का पडोसी था। 14 सितंबर 2014 को जब 6 वर्षीय पीड़िता अपने घर के बाहर खेल रही थी तो आरोपी उसे इमारत की छत पर बने मोबाइल कंपनी के मेंनटेंनेंस रुम में लेकर गया। जहां आरोपी ने नाबालिग का यौन उत्पीड़न किया। पुलिस ने पीडित बच्ची की मां की शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2),पाक्सों कानून व जाति उत्पीड़न कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया। जांच के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कोर्ट में आरोपपत्र दायर किया। 

न्यायमूर्ति के सामने सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने दावा किया कि मामले से जुड़ी डीएनए व सीए रिपोर्ट में उनके मुवक्किल के खिलाफ कुछ नहीं है। मेरे मुवक्किल इस झूठे मामले में फंसाया गया है। मामला दर्ज कराने में देरी हुई है। इसलिए मेरे मुवक्किल को मामले से बरी कर दिया जाए। सरकारी वकील ने इसका विरोध किया। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने व प्रकरण  से जुड़े सभी सबूतों व तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने आरोपी को राहत देने से मना कर दिया और उसकी अपील को खारिज कर दिया।

 

Created On :   23 Nov 2022 10:29 PM IST

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