तालाब में एकत्रित हुए क्षेत्रीय नागरिक, कहा- मिटने नहीं देंगे जल धरोहर

जनआंदोलन में शामिल हो रहे शहर के विविध संगठन तालाब में एकत्रित हुए क्षेत्रीय नागरिक, कहा- मिटने नहीं देंगे जल धरोहर

डिजिटल डेस्क जबलपुर। माढ़ोताल तालाब के संरक्षण की आवाज अब एक जन आंदोलन बन गई है। इसकी बानगी सोमवार को देखने को मिली, जब बड़ी संख्या में क्षेत्रीय नागरिक तालाब में एकत्रित हो गए और इस धरोहर को बचाने के लिए सार्वजनिक रूप से शंखनाद किया। जन आंदोलन में शामिल नागरिकों का कहना था कि माढ़ोताल की जल विरासत हमें पूर्वजों से सौगात में मिली है। इसकी वजह से न केवल क्षेत्र का जलस्तर बना हुआ है, बल्कि पर्यावरण भी स्वच्छ है। यह अनमोल जल विरासत हमारी आने वाली पीढ़ी को भी नसीब हो सके, इसके लिए प्रयास करना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है और हर हाल में हम अपनी इस जिम्मेदारी को निभाएँगे। यदि हम आज चुप रह गए तो हमारी आने वाली पीढ़ी के हिस्से में कांक्रीट का जंगल ही आएगा। लोगों ने यह भी कहा कि अब लाख कोशिशों के बाद भी हम शहर को भँवरताल, चेरीताल और तिलक भूमि तलैया जैसी जल विरासत दोबारा वापस नहीं लौटा सकते। शहर की सीमा में माढ़ोताल जैसे तालाब का िनर्माण कर पाना भी अब किसी के बस की बात नहीं है। यदि माढ़ोताल बच गया तो यह भी आने वाली पीढ़ी के लिए सबसे बड़ा उपहार होगा।
बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएँ भी शामिल
माढ़ोताल तालाब को बचाने के लिए सोमवार की शाम को माढ़ोताल क्षेत्र के बुजुर्गों, युवाओं, महिलाओं और बच्चों का उत्साह देखते ही बन रहा था। जन आंदोलन में शामिल सभी लोग अपने हाथों में शंख, सीटी, घंटा और थाली लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। सभी की यही आवाज थी कि शहर के जनप्रतिनिधियों, अधिकारी और जिम्मेदार नागरिक जागें, नहीं तो यह धरोहर हमारे देखते ही देखते खो जाएगी। तालाब के बीच में खड़े होकर लोग कह रहे थे कि माढ़ोताल तालाब को बचाने के लिए सभी लोगों को मिलकर मैदान में आना चाहिए, तभी हम जल विरासत को बचाने में सफल हो पाएँगे।
जनहित में किया जाए अधिग्रहण
जन आंदोलन में शामिल योगेन्द्र दुबे, पवन तिवारी, इंद्रेश दुबे, मनीष विश्वकर्मा, सुग्रीव पटेल, प्रकाश रैकवार, उत्तम पटेल और नारायण खलीफा का कहना है कि माढ़ोताल तालाब क्षेत्र की जल विरासत है। जिला प्रशासन को जनहित में माढ़ोताल तालाब का अधिग्रहण करना चाहिए। तालाब को पुनर्जीवित करने के लिए इसके कैचमेंट एरिया को खोलना चाहिए। इसके साथ ही माढ़ोताल तालाब के समग्र विकास की योजना बनानी चाहिए।
क्यों खामोश हैं जनप्रतिनिधि..?
अनीता रैकवार, ललिता रैकवार, अंजू कोल, नीतू कोल, संपत बाई, नन्ही बाई कोल, रामकली कोल, सुनैना सोनी, शीला कोल, रोशनी, गुडिय़ा और मोहनी का कहना था कि क्षेत्रीय लोग माढ़ोताल तालाब को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन हमने जिन्हें जिताकर लोकसभा और विधानसभा में भेजा है। अभी तक एक भी जनप्रतिनिधि माढ़ोताल तालाब को बचाने के लिए सामने नहीं आया। इस मामले में जनप्रतिनिधियों की खामोशी समझ में नहीं आ रही है। उन्हें भी जल धरोहर को बचाने के इस पुण्य कार्य में आगे आना चाहिए।
1909-10 के रिकॉर्ड में है तालाब
पूर्व पार्षद बेड़ी लाल पटेल, दीपक दुबे, राजेश तिवारी, विवेक साहू, विध्येश भापकर, सौरभ दुबे, अक्षय शुक्ला, गौरव श्रीवास्तव, राहुल गुप्ता, प्रहलाद पटेल, रामू केशरवानी, संदेश महाराज और छोटे लाल पटेल का कहना है कि माढ़ोताल तालाब का बटांक गैर कानूनी तरीके से किया गया है। वर्ष 1909-10 के रिकॉर्ड में पूरी जमीन तालाब के नाम पर दर्ज है। तालाब का बटांक जल्द निरस्त किया जाना चाहिए।
आज होगा सामूहिक चालीसा पाठ
जन आंदोलन के दूसरे दिन मंगलवार 10 मई को तालाब परिसर में हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा। जन आंदोलन में शामिल लोगों का कहना है कि हनुमान चालीसा का पाठ इसलिए किया जा रहा है, ताकि जिम्मेदारों को सद््बुद्धि आ सके। दिन मंगलवार का है इसलिए चालीसा पाठ का निर्णय लिया गया है।
बटांक मामले में पक्ष प्रस्तुत करने एक सप्ताह का समय
एसडीएम नम: शिवाय अरजरिया की कोर्ट में सोमवार को कुछ लोगों ने बटांक मामले में अपना पक्ष प्रस्तुत कर दिया, वहीं कुछ लोगों ने पक्ष प्रस्तुत करने के लिए समय दिए जाने का अनुरोध किया। एसडीएम ने पक्ष प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय देते हुए अगली सुनवाई 16 मई को नियत की है।

Created On :   9 May 2022 11:20 PM IST

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