फिल्मों-धारावाहिकों में 12-12 घंटे काम करने को मजबूर हैं बच्चे

Revealed in Crys survey - Children are forced to work 12-12 hours in films and serials
फिल्मों-धारावाहिकों में 12-12 घंटे काम करने को मजबूर हैं बच्चे
क्राई के सर्वे में खुलासा  फिल्मों-धारावाहिकों में 12-12 घंटे काम करने को मजबूर हैं बच्चे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शोहरत और पैसों की चमक दमक के बीच फिल्मी दुनिया में काम करने वाले बाल कलाकारों का किस तरह शोषण हो रहा है चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) के एक सर्वे में इसका खुलासा हुआ है। अध्ययन में पता चला है कि फिल्मों और धारावाहिकों में काम करने वाले बाल कलाकार दिन में 12 घंटे से अधिक समय तक काम करते हैं। बिना किसी आराम के लंबे समय तक काम करना ही एक मात्र परेशानी नहीं है एक बार बच्चों को काम मिलने लगे तो उनके अभिभावक शिक्षा को लेकर भी उदासीन हो जाते हैं।

क्राई के क्षेत्रीय निदेशक (पश्मिच) क्रिएन रबाडी ने कहा कि आंकड़ों और बातचीत के आधार पर जुटाई गई जानकारी से हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि बाल कलाकार अक्सर बाल मजदूरी के शिकार होते हैं लेकिन यह दूर से नजर नहीं आता। माता-पिता समेत इससे जुड़े सभी लोग बच्चों की देखभाल और उनकी सुरक्षा की उपेक्षा करते हैं। रबाडी के मुताबिक बच्चों की प्रतिभा को फलने फूलने का मौका दिया जाना चाहिए लेकिन उनके अधिकार और सुरक्षा का ध्यान रखा जाना चाहिए।  

6 हजार से ज्यादा बाल कलाकार

देश में बाल कलाकारों को लेकर कोई सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है लेकिन क्राई ने सात कास्टिंग एजेंसियों से 41392 कलाकारों के प्रोफाइल की जांच की तो खुलासा हुआ कि इनमें से 24.9 फीसदी बाल कलाकार थे जिनकी आयु 15 साल से कम थी। विभिन्न आंकड़ों के अध्ययन के बाद क्राई ने अनुमान लगाया है कि देश में बाल कलाकारों की संख्या 6059 हो सकती है। 

दिन में पांच घंटे से ज्यादा नहीं करा सकते काम

चाइल्ड एंड अडोलोस्केन्ट लेबर एक्ट के तहत बच्चों से दिन में 5 घंटे से अधिक समय काम नहीं लिया जा सकता। साथ ही एक साथ तीन घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकता। लेकिन क्राई ने पाया कि कई बाल कलाकार सप्ताह में छह दिन 12-13 घंटे काम करते हैं। अभिभावक भी इसमें हस्तक्षेप नहीं करते। अगर बच्चे नायक हों तो उनसे महीने में 25 दिन काम कराया जाता है। अक्सर ये बच्चे ही घर के कमाने वाले सदस्य होते हैं इसलिए माता-पिता भी शोषण से समझौता कर लेते हैं। सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (सिंटा) के सामने कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें माता-पिता ने बच्चों की औपचारिक शिक्षा बंद कर दी है। क्योंकि उन्हें लगता है कि शिक्षा रोजगार पाने का साधन है और अगर बच्चे को रोजगार मिल गया है तो शिक्षा की जरुरत नहीं है। नियमों के मुताबिक बच्चों की कमाई का 20 फीसदी हिस्सा राष्ट्रीयकृत बैंक में उनके नाम पर फिक्स डिपॉजिट किया जाना चाहिए लेकिन इसका भी उल्लंघन हो रहा है और अक्सर परिवार बच्चों की पूरी कमाई खर्च कर देते हैं। क्राई के मुताबिक बच्चों को उत्पीड़न से बचाने के लिए बाल कलाकारों का डेटाबेस तैयार किया जाना चाहिए। साथ ही बाल कल्याण समिति समेत सभी संबंधित पक्षों को नियमों का कड़ाई से पालन कराना चाहिए। 

Created On :   9 Jun 2022 8:55 PM IST

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