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राहुल बजाज की स्पष्टवादिता के कायल हैं आरएसएस कार्यकर्ता
डिजिटल डेस्क, नागपुर। गांधीवादी विचारक राहुल बजाज स्पष्टवादी थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने उनसे मिलने का निवेदन किया, तो वे तपाक से बोल पड़े थे-सर्वोदयी हूं। गांधीवादी हूं। विचारों से कांग्रेसी हूं। मुझसे मिलकर क्या करोगे, लेकिन बाद में उन्होंने स्वयं ही संघ कार्यकर्ताओं को सूचना देकर उनसे मुलाकात की। रेशमबाग स्थित हेडगेवार स्मृति भवन में उन्होंने करीब आधा घंटा बिताया था। महल स्थित मुख्यालय के बाद हेडगेवार स्मृति भवन को संघ का दूसरा मुख्यालय भी माना जाता है।
सुनना, पढ़ना पसंद करते थे
15 सितंबर 2019 को बजाज का वह दौरा काफी चर्चा में रहा था। उनके संघ से जुड़ाव के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे थे। इस मामले पर संघ के नागपुर महानगर संघचालक राजेश लोया कहते हैं कि बजाज के व्यक्तित्व में स्पष्टवादिता के साथ ही वैचारिकता थी। वे हर विचारों को सुनना व पढ़ना पसंद करते थे। लोया के माध्यम से ही बजाज का हेडगेवार स्मृति भवन का दौरा तय हुआ था। बकौल लोया- संघ में संपर्क अभियान चलते रहता है। ऐसे लोगों से संपर्क किया जाता है, जो संघ के स्वयंसेवक नहीं हैं, लेकिन राष्ट्रसेवा व समाजसेवा में योगदान देते रहते हैं। बजाज के सेवाकार्य की चर्चा सुनी जाती रही है। लिहाजा सेवाकार्य पर उनसे चर्चा के लिए संपर्क का प्रयास किया गया।
20 मिनट की जगह डेढ़ घंटे रहे
जनवरी 2019 में गांधीवादी नेता चंद्रशेखर धर्माधिकारी का निधन हुआ। उनके अंतिम दर्शन के लिए राहुल बजाज नागपुर आए थे। तब उनके सहयोगी पाटनी परिवार की सहायता से उनसे संपर्क किया। उनसे स्वयंसेवकों के साथ चर्चा का निवेदन किया गया। उस समय बजाज ने मुस्कुराते हुए कहा था- गांधीवादी से मिलकर क्या करोगे, लेकिन जब उन्हें चर्चा का उद्देश्य बताया गया, तो वे संघ भवन आने को तैयार हो गए। समयाभाव में उस दिन वे पुणे लौट गए थे। उन्होंने वादा किया था कि वे जल्द ही मिलने आएंगे। इस बीच इंटरनेट के माध्यम से संवाद चलता रहा। बाद में वादा निभाते हुए वे संघ कार्यकर्ताओं से चर्चा के लिए पहुंचे। हेडगेवार स्मृति में 20 मिनट चर्चा का समय दिया था, लेकिन करीब डेढ़ घंटे तक रहे। हेडगेवार प्रतिमा को अभिवादन किया। समाधि स्थल पर भी गए।
विजिट पुस्तिका में अपना मत लिखा
राहुल बजाज ने संघ की विजिट पुस्तिका में अपना मत भी लिखा। वे संयुक्त परिवार को भारत की महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर मानते थे। उन्होंने संघ के परिवार जागरण अभियान की सराहना की थी। पुणे लौटने पर जब संवाद माध्यम के प्रतिनिधि ने उनसे गांधीवादी होने के बाद भी संघ भवन में जाने का अभिप्राय पूछा, तो वे सहज ही कह गए थे- हिंदुत्व को समझोगे तो ऐसे सवाल नहीं करोगे। विचारों में मतभेद हो सकते हैं। समाज विकास में योगदान देनेवालों को नमन करने में भेदभाव नहीं होना चाहिए।
Created On :   12 Feb 2022 9:07 PM IST