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2 साल तक के बच्चों में आरएसवी संक्रमण, साँस लेने में तकलीफ
डिजिटल डेस्क जबलपुर। मौसम में बदलाव का असर बच्चों पर भारी पड़ रहा है। खासतौर पर छोटे बच्चों में साँस लेने की तकलीफ देखने मिल रही है। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी वजह ठंड के वक्त एक्टिव होने वाला आरएसवी वायरस है, जिसके चलते सर्दी-खांसी और फिर साँस की नली में सूजन के बाद श्वसन में समस्या देखने मिलती है। मेडिकल कॉलेज समेत जिला अस्पताल में इन दिनों में ऐसे मरीज लगातार देखने मिल रहे हैं। कुछ गंभीर मामलों में भर्ती करने के बाद उपचार दिया जा रहा है। दोनों ही शासकीय अस्पतालों के बच्चा वार्ड में बेड भरे हुए हैं। इसमें वायरल केसेस ज्यादा हैं, इसके अलावा लूज मोशन और निमोनिया के हल्के लक्षण वाले मरीज भी हैं। कई मामलों में पैरेंट्स को फीवर आने की वजह नहीं पता होती। सबसे ज्यादा 2 से 10 वर्ष के बच्चे प्रभावित हैं। जानकारों के अनुसार आने वाले दिनों में जैसे-जैसे ठंड जोर पकड़ेगी, बच्चों के साथ बुजुर्गों और खासकर ऐसे लोग जिन्हें साँस संबंधी समस्या है, उन्हें दिक्कतें होंगी। ऐसे में सावधानी बरतने की जरूरत है।
एक्यूट ब्रोन्क्यूलाइटिस की समस्या-
मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अव्यक्त अग्रवाल के अनुसार डेंगू के मामले कम होने के बाद अब छोटे बच्चों में एक्यूट ब्रोन्क्यूलाइटिस की समस्या देखी जा रही है। साँस लेने में तकलीफ इसका अहम लक्षण है। इसके अलावा सर्दी-खांसी, छाती से आवाज आना भी शुरुआती लक्षणों में हैं। इसके सबसे ज्यादा मामले 2 माह से 2 वर्ष के बच्चों में देखने मिल रहे हैं।
पैरेंट्स इन बातों का रखें ध्यान
- बदलते मौमस में बच्चे को सर्दी से बचाएँ, खासतौर पर रात में।
- खाना ताजा हो, साथ ही दूषित पानी पीने से बचाएँ।
- पानी खूब पिलाएँ।
- भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
विशेषज्ञ की सलाह पर ही खाएँ दवा
जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. केके वर्मा का कहना है कि वायरल के लक्षण आने के बाद विशेषज्ञ को दिखाकर ही दवाएँ दी जानी चाहिए, लेकिन कई मामलों में देखा गया है कि शुरुआत में पैरेंट्स सीधे केमिस्ट से दवा खरीदकर बच्चे को दे देते हैं, जो कि बच्चे के स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं है।
क्या है आरएसवी-
जानकारों के अनुसार आएसवी यानी रेस्पिरेटरी सिंसिशियल वायरस। यह वायु जनित वायरस है। शिशुओं और बच्चों में छाती के इनफेक्शन पैदा करने के लिए जिम्मेदार है। बड़े बच्चों और वयस्कों में इसका असर सर्दी-जुकाम के रूप में सामने आता है, जबकि शिशुओं और छोटे बच्चों में श्वसन मार्ग और फेफड़े छोटे होने कारण ज्यादा खतरा होता है।
Created On :   24 Oct 2021 10:02 PM IST