आरटीआई से खुलासा : इमरजेंसी में जेल गए लोगों की जानकारी नहीं, गृह विभाग का जवाब 

RTI : No information of the people arrested during emergency
 आरटीआई से खुलासा : इमरजेंसी में जेल गए लोगों की जानकारी नहीं, गृह विभाग का जवाब 
 आरटीआई से खुलासा : इमरजेंसी में जेल गए लोगों की जानकारी नहीं, गृह विभाग का जवाब 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बिना किसी सबूत सिर्फ हलफनामे के आधार पर इमरजेंसी के दौरान जेल गए लोगों को पेंशन देने के सरकार की योजना पर सवाल उठ रहे हैं। सामान्य प्रशासन विभाग को गृह विभाग उन सभी लोगों की जानकारी नहीं दे पाया जो राज्य में इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तार किए गए थे। आरटीआई कार्यकर्ता जीतेंद्र घाडगे ने सवाल किया है कि अगर सरकार के पास जानकारी ही उपलब्ध नहीं है तो वह इस बात की छानबीन कैसे की जाती सकती है कि आपातकाल के दौरान जेल जाने का दावा सही है या गलत। सवाल उठ रहे हैं कि अगर स्वतंत्रता सेनानियों को बिना सबूत पेंशन नहीं दी जाती तो आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों को यह छूट क्यों दी जा रही है।

इमरजेंसी के दौरान साल 1975 से 1977 के बीच गिरफ्तार किए गए लोगों को सरकार ने पेंशन देने का फैसला किया है। राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील की अध्यक्षता में बनी मंत्रियों की एक समिति ने सिर्फ 100 रुपए के स्टैंप पेपर पर हलफनामा देने वालों को पेंशन देने को मंजूरी दे दी है। सरकार लोगों से और कोई सबूत नहीं मांगेगी। लेकिन 1947 के स्वतंत्रता सेनानियों को ऐसी छूट नहीं है। उन्हें पेंशन के लिए स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के सबूत देने होते हैं। घाडगे के मुताबिक कई जिलों के जिलाधिकारियों ने भी इसी को आधार बनाते हुए सरकार के फैसले पर सवाल उठाए थे लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज कर इससे जुड़ा शासनादेश जारी कर दिया।

घाडगे के मुताबिक जिलाधिकारियों के लिए किसी भी हलफनामे के बाद उसकी जांच करना असंभव होगा क्योंकि सरकार के पास रिकॉर्ड ही नहीं हैं। इससे बड़े पैमाने पर धांधली संभव है क्योंकि कोई भी यह दावा कर सकता है कि वह इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तार हुआ था। आरटाई से मिली जानकारी के अनुसार गृह विभाग सामान्य प्रशासन विभाग को इमरजेंसी के दौरान जेल गए लोगों की पूरी जानकारी नहीं दे सका है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 21 मार्च 2017 को गृह विभाग को पत्र लिख कर आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों की पूरी जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन ने गृह विभाग को भेजे गए पत्र में कहा था कि आपातकाल में जेल गए लोगों के बारे में गृह विभाग ने जो जानकारी दी है वह अधूरी है। गृह विभाग ने जो जानकारी दी है वह आपातकाल में जेल गए लोगों के जेल से छूटने की तिथि नहीं है साथ ही उनके पते भी नहीं हैं। 


 

Created On :   1 Aug 2019 1:57 PM GMT

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