आरटीओ की महिला अधिकारी गिरफ्तार, 242 लाइसेंस फर्जी बनाने का लगा आरोप

RTO woman officer arrested, accused of making 242 fake licenses
आरटीओ की महिला अधिकारी गिरफ्तार, 242 लाइसेंस फर्जी बनाने का लगा आरोप
आरटीओ की महिला अधिकारी गिरफ्तार, 242 लाइसेंस फर्जी बनाने का लगा आरोप

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रादेशिक परिवहन विभाग में हुए ई-लर्निंग लाइसेंस घोटाले में विभाग की महिला अधिकारी संजीवनी चोपड़े को िगरफ्तार िकया गया है। अपराध शाखा के आर्थिक विभाग ने सोमवार की दोपहर अधिकारी को अदालत में पेश कर दो दिन के पीसीआर में लिया है। प्रकरण में अभी तक तीन दलालों समेत चार लोगों की गिरफ्तारी हुई है। अभी दर्जन भर लोगों की गिरफ्तारी होना बाकी है, जिसमें परिवहन विभाग के अधिकारी और ऑरेंज इंफोकाॅम का संचालक और इंटरनेट धारक शामिल हैं। 

निजी कैफे में बैठ कर किया घोटाला

संजीवनी चोपड़े प्रादेशिक परिवहन विभाग में सहायक मोटर निरीक्षक है। जून से सितंबर 2017 के बीच संजीवनी ने अपने पद का दुरुपयोग कर निजी इंटरनेट कैफे में बैठकर अपने पासवर्ड का इस्तेमाल किया और विभाग की सरकारी वेबसाइट खोल कर 242 ई-लर्निंग लाइसेंस बनाकर दिए। यह लाइसेंस बगैर िकसी परीक्षा के लाभार्थियों को 2 से 5 हजार रुपए में बेचे गए हैं। यह मामला ध्यान में आते ही शिवसेना शहर समन्वयक नितीन तिवारी ने प्रकरण की पुलिस आयुक्त डॉ. भूषण कुमार उपाध्यान समेत परिवहन आयुक्त से की थी। सरकारी प्रणाली का दुरुपयोग कर इसमें बड़ा घोटाला होने का संदेह होने पर सीताबर्डी थाने में प्रकरण दर्ज किया गया। अपराध शाखा के साइबर सेल और आर्थिक सेल को इसकी जांच सौंपी गई थी। 

अधिकारियों की उड़ी नींद

जांच के दौरान विभाग के कई अधिकारियों को दोषी पाया गया है, जिन्होंने दलालाेें की मदद से लर्निंग लाइसेंस बेचने का गोरखधंधा खोल रखा था। कहा जाता है कि विभाग में बगैर रुपए से कोई काम होता नही है। इस बात की पुष्टि इस घोटाले से हुई है। महिला अधिकारी की गिरफ्तारी से विभाग के कई अधिकारियों की नींद उड़ी हुई है। पुलिस ने ऐसे अधिकारियों को भी बहुत जल्द िगरफ्तार करने के संकेत दिए हैं। इसके पहले दलाल अश्विन सावरकर, आशीष भोयर और अमोल पानतावणे की िगरफ्तारी हुई है। पीसीआर में लेकर उन्हें जेल भेज दिया गया था। सोमवार को सहायक मोटर वाहन निरीक्षक चोपड़े को िगरफ्तार िकया गया है। अदालत में पेश कर उसे 2 दिन के पीसीआर में लिया गया है। 

प्रकरण में यह हैं आरोपी

प्रकरण में विभाग के अभिजीत खरे, शैलेष कोपुल्ला, विलास ठेंगणे, संजय पल्लेवाड़, मंगेश राठोड़, मिथुन डोंगरे शामिल हैं। यह सभी सहायक मोटर वाहन निरीक्षक हैं। लिपिक दीपाली भोयर और तत्कालीन अधिकारी प्रदीप लेहगांवकर हैं। ऑरेज इंफोकॉम प्राइवेट िलमिटेड के संचालक जेरॉम डिसूजा और ऑरेज इंफोकॉम को इटरनेट सेवा उपलब्ध करने वाला तथा दलाल राजेश देशमुख, अरुण लांजेवार और उमेश चिवदोंडे की िगरफ्तारी होना बाकी है। 

एप के तहत दिए जा रहे थे लाइसेंस

परिवहन विभाग ने प्रशिक्षु वाहन चालकों के लिए ‘सारथी’ नामक एप बनाया था। इससे ऑनलाइन अपाइमेंट और परीक्षा देनी होती थी। इसका पासवर्ड विभाग के मात्र 7 वाहन निरीक्षकों को ही पता था, जो प्रकरण में आरोपी हैं। सभी ने निजी इंटरनेट कैफे में बगैर परीक्षा के ई-लर्निंग लाइसेंस बनाकर बेचे हैं। 

Created On :   4 Nov 2019 5:43 PM GMT

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