ग्रीन क्रेकर्स के नाम पर प्रदूषणवाले पटाखाें की ब्रिकी, कार्रवाई को लेकर अब भी लापरवाही

Sale of polluting crackers in the name of green crackers, still negligence in action
ग्रीन क्रेकर्स के नाम पर प्रदूषणवाले पटाखाें की ब्रिकी, कार्रवाई को लेकर अब भी लापरवाही
नागपुर ग्रीन क्रेकर्स के नाम पर प्रदूषणवाले पटाखाें की ब्रिकी, कार्रवाई को लेकर अब भी लापरवाही

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दीपावली के दौरान आतिशबाजी के लिए शहर भर में सामान्य श्रेणी के पटाखों की की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। इतवारी, प्रतापनगर, महल, समेत सभी इलाकों में खुलेआम ठोक एवं खुदरा पटाखे बिक्री हो रहे है। पिछले तीन सालों से नीरी की तकनीकी वाले हरित पटाखों की पाबंदी की गई है, लेकिन पर्याप्त निरीक्षण और कार्रवाई के अभाव में प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे अब भी चल रहे है। पुलिस विभाग ने पटाखा बिक्री के लिए 756 विक्रेताओं को अस्थायी लाइसेंस जारी किया है, लेकिन फुटपाथ और रास्तों के किनारे भी अवैध रूप से सामान्य श्रेणी के पटाखों को लेकर दुकानें लग चुकी है। नागरिकों को ग्रीन पटाखों की मांग करने पर महंगे दामों में सामान्य पटाखे थमाएं जा रहे है। सबसे खास यह है कि इन पटाखों पर क्यूआर कोड की बजाय नीरी का स्टीकर लगाया गया है। । प्रदूषण नियंत्रण विभाग की ओर से सामान्य पटाखों की बिक्री पर पाबंदी के लिए कार्रवाई होना चाहिए, लेकिन बाजार में अब तक कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा है। ऐसे में इस साल दीपावली पर इन पटाखों से ध्वनि और वायु प्रदूषण बदस्तर जारी रहेगा।

प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से ग्रीन पटाखों को लेकर अब भी कोई पहल नहीं की गई है। शहर में ग्रीन पटाखों के नाम पर धड़ल्ले से सामान्य पटाखा बिक्री हो रही है। पुलिस विभाग की ओर से विक्रेताओं को अस्थायी और स्थायी लाइसेंस दिया जाता है, जबकि पटाखों की दुकानों के समीप आगजनी से सुरक्षा के उपायों को लेकर मनपा का अग्निशमन विभाग पर्यावरण शुल्क वसूल करता है। पर्यावरण शुल्क के नाम पर 4000 रुपए प्रति लाइसेंस लेकर भी कोई पर्यावरण सुरक्षा को लेकर प्रयास नहीं होता है। वहीं दूसरी ओर नागरिकों काे हरित पटाखों के नाम पर महंगे दाम चुकाने पड़ रहे है। सामान्य पटाखों को नीरी का स्टीकर लगाकर महंगे दामों पर ग्रीन पटाखे साबित कर बिक्री किया जा रहा है। स्टीकर को ग्रीन पटाखे मानकर नागरिक आसानी से खरीदी कर ले रहे है।

7000 से अधिक फुटपाथ पर दुकानें

शहर में पटाखा बिक्री के लिए इतवारी परिसर में बड़े पैमाने पर ठोक एवं चिल्लर दुकानें लगती है। इसके अलावा गांधीबाग, सक्करदरा, खामला, इंदौरा, जरीपटका समेत कई इलाकों में रास्तों के किनारे और फुटपाथ पर दुकाने लग जाती है। इन दुकानों पर केवल 10 दिनों के भीतर करोड़ों का पटाखा बिक्री हो जाता है। मनपा के अग्निशमन विभाग से उपाययोजना देने के बदले में 4,000 रुपए शुल्क लिया जाता है, इसमें से 3,000 रुपए पर्यावरण एवं 1,000 रुपए प्रोसेसिंग शुल्क के रूप में लिया जाता है। दुकानों के समीप आगजनी से सुरक्षा के उपायाें और उपकरणों को लगाने का निर्देश दिया जाता है। वहीं मनपा अथवा प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से पटाखों की जांच को लेकर कोई भी पहल नहीं होती है।

क्यूआर कोड नदारद

पिछले साल की भांति इस साल भी बाजार में नीरी का चिन्ह लगाकर सामान्य पटाखों की ही बिक्री हो रही है। नीरी के मानदंडों के मुताबिक निर्मित ग्रीन पटाखे पर रसायनिक तत्त्वों की जानकारी देने के लिए क्यूआर कोड रखा जाता है। इस क्यूआर कोड को अपने मोबाइल की सहायता से स्कैन कर निर्माण रसायन और सामग्री के बारे में जानकारी मिलती है, लेकिन बाजार में बिक्री होने वाले पटाखों में क्यूआर कोड मौजूद ही नहीं है। शहर में सभी छोटी और बड़ी दुकानों में पटाखों पर नीरी का स्टीकर लगा कर धड़ल्ले से बिक्री हो रही है।

क्या होते है ग्रीन पटाखे

राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नेशनल एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इन्स्टिटयुट) की ओर से साल 2018 में तीन श्रेणी में ग्रीन पटाखों को तैयार किया है। इनमें स्वास, स्टार सफल के रूप में अनार, फुलझड़ी और पटाखे को तैयार किया था। इन पटाखों में बेरियम नाइट्रेट को पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया है, जबकि एल्युमिनियम, सल्फर और पोटेशियम नाइट्रेट के भी प्रयोग को कम किया है। इन ग्रीन पटाखों की बदौलत आक्साइडस आफ नाइट्रोजन सल्फर, सल्फर डाइआक्साइड समेत धूलकाों के प्रभाव को 30 फीसदी तक कम किया है। ग्रीन पटाखों पर क्यूआर कोड दर्ज किया गया है, ताकि आम आदमी इस क्यूआर कोड को स्कैन कर निर्माण सामग्री के बारे में पूरी जानकारी पा सकते है। नीरी की ओर से शिवकाशी के 230 पटाखा निर्माताओं के साथ प्राथमिक तौर पर तकनीक देने को लेकर समझौता हुआ है, जबकि 165 निर्माताओं के साथ अनुबंध भी हुआ है।

अब भी नागरिक बेबस

पर्यावरण को सुरक्षित सुरक्षित रखने के लिहाज से नागरिकों की ओर से ग्रीन पटाखों को प्राथमिकता दी जा रही है। पर्यावरण सुरक्षा की खातिर महंगे दामों पर भी ग्रीन ही पटाखों को खरीदने का प्रयास हो रहा है। ऐसे में पटाखा विक्रेता सामान्य पटाखों को स्टीकर लगाकर महंगे दामों पर बिक्री कर रहे है। खास यह है कि वजनमाप के नियमों काे भी पटाखों के डिब्बों पर दर्ज नहीं किया गया है। नियमों के तहत वजन संख्या, एक्सपायरी डेट और निर्माण की तिथि डिब्बों पर अंकित होनी चाहिए, लेकिन वजनमाप विभाग से भी कोई जांच अभियान नहीं चलाया गया है। ऐसे में दीपावली पर प्रदूषण से निजात पाने को लेकर नागरिक परेशान नजर आ रहे है।

ग्रीन पटाखों का परीक्षण किया

शहर में बिक्री होनेवाले पटाखों के नमूनों को संकलित किया गया। इन नमूनों को फोड़कर निर्धारित शोर को लेकर परीक्षण किया गया। सभी नमूने मानक में साबित हुए है। शहर में ग्रीन पटाखों की ही बिक्री हो रही है।

अशोक करे, प्रादेशिक अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण मंडल, नागपुर

 

Created On :   23 Oct 2022 9:07 PM IST

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