दिव्यांग के जज्बे को सलाम, शिविर के लिए दिल्ली तक तय की थी दूरी

Salute to the spirit of Divyang, distance was covered for camp to Delhi
दिव्यांग के जज्बे को सलाम, शिविर के लिए दिल्ली तक तय की थी दूरी
दिव्यांग के जज्बे को सलाम, शिविर के लिए दिल्ली तक तय की थी दूरी

नब्बे किमी दूरी का समझा दर्द, यहीं पर दिलाई मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल
डिजिटल डेस्क कटनी ।
खुदगर्ज दुनिया में ये इन्सान की पहचान है, जो पराई आग में जल जाए वो इन्सान है। किसी शायर के द्वारा रचित इस पंक्ति को आज भी कुछ लोग चरितार्थ कर रहे हैं। शहर के 27 वर्षीय युवा संदीप रजक 17 वर्ष में दिव्यंगता का शिकार हो गए। इलाज के बाद भी अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सके,आने-जाने में परेशानी होने पर मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल की जानकारी जुटाई। स्वयं के प्रयासों से इन्होंने 2017 में शासन से नि:शुल्क मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल भी पा ली। 90 किलोमीटर दूर जाकर जबलपुर में शारीरिक परीक्षण कराना और वहां से ट्राइसाइकिल लेने में आई परेशानियों का सामना जिले के अन्य दिव्यांगों को न करना पड़े। इसे चुनौती के रुप में इस युवक ने लिया। इसके लिए वर्ष 2017 से ही स्वयं केन्द्रीय सामाजिक न्याय विभाग को पत्र लिखकर दिल्ली, जयपुर और हरियाणा तक दौड़ लगाई। जिसका सार्थक परिणाम यह है कि 274 दिव्यांगों में से करीब 150 दिव्यांग अब स्वयं के मोटराइज्ड ट्राइसाकिल से कहीं पर भी आराम से आ-जा सकते हैं।
दिव्यांग साथियों  को खोज निकाला
जिले में पहली मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल संदीप को ही मिली। इसके बावजूद इन्होंने खुशी नहीं मनाई और न ही आराम से घर में बैठ गए। अब युवा ने अपने जैसे अन्य साथियों को यह उपकरण दिलाने का सपना संजोया। इसके लिए अपने साथ शहर के अन्य दिव्यांगों की भी लिस्ट नगर निगम से उसी समय निकलवा ली थी। इसके बाद उपकरण दिलाने की पहल शुरु हुई। स्वयं लिस्ट लेकर कलेक्ट्रेट के सामाजिक न्याय विभाग में पहुंचे। यहां पर पहुंचने पर इन्हें पता चला कि इस शिविर के बारे में 27 फरवरी 2018 को ही भारत सरकार को पत्र लिखा गया है। इस संबंध में इस वर्ष दिसम्बर माह में भारत सरकार ने एलमिको को भी पत्र लिखा था।
समझा दर्द, शिविर  की मिली अनुमति
समय पर आगे की कार्यवाही नहीं होने की जानकारी लगने पर संदीप ने साथियों को साधन दिलाने का मन बना लिया। इसके लिए केन्द्रीय मंत्री सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय निशक्तजन कल्याण भारत सरकार को शिविर के लिए संदीप ने 24 जून 2019 को लिखा। संदीप की यह कोशिश तब रंग लाई, जब 18 जुलाई 2019 को केन्द्रीय मंत्रालय ने कैंप के संबंध में एलिमिको के मैनेजिंग डॉयरेक्टर को पत्र लिखा। इसकी जानकारी संदीप रजक को भी भेजी गई।
हर मानव को जीने का है अधिकार
इस संबंध में संदीप रजक ने बताया कि शासन, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने भी सार्थक पहल की थी। जिसने जन्म लिया है, उसे जीने का अधिकार है। यह वॉक्य केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को टीव्ही में कहते हुए सुना था। तबसे मेरे मन में औरों के लिए कुछ करने की प्रेरणा हुई। युवक ने बताया कि जबलपुर से मोट्रेट ट्राइसाइकिल लाने में उन्हें कई तरह की परेशानी हुई थी। जिसके बाद उन्होंने मन में ठान लिया था कि अब जिले के दिव्यांगों को यहीं पर उपकरण दिलाए जाने की पहल की जाएगी। इसमें सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारियों ने मदद की। साथ ही परिवार ने भी साहस दिया। पिता देवचंद रजक ऑटो रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण करते हैं। आर्थिक परेशानियों के बीच भी पिता ने मदद की। जिससे यह सपना साकार हो सका।
 

Created On :   12 Oct 2020 1:06 PM GMT

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