मोक्ष बनी सहारा, कोरोना से मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार करने का उठाया जिम्मा

Salvation became the task of cremation of those killed from Sahara, Corona
मोक्ष बनी सहारा, कोरोना से मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार करने का उठाया जिम्मा
मोक्ष बनी सहारा, कोरोना से मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार करने का उठाया जिम्मा


डिजिटल डेस्क जबलपुर। कोरोना से यदि किसी की मृत्यु होती है तो ऐसे में उसके शव का अंतिम संस्कार करने न तो मेडिकल कर्मी तैयार हैं और न ही निगम के कर्मचारी। ऐसे में विकट समस्या खड़ी हो गई थी जिस पर मोक्ष मानव सेवा सामने आई और उसने कहा कि हम इस संकट की घड़ी में पीछे नहीं हटेंगे चाहे जो हो। इसे देखते हुए नगर निगम ने तत्काल ही मोक्ष संस्था को 4 वाहन प्रदान करने की सहमति प्रदान की और दाह संस्कार के लिए चौहानी श्मशानघाट तय किया गया, जबकि शवों को दफनाने के लिए सूपाताल कब्रिस्तान तय किया गया है।
मृत्यु चाहे कोरोना से हुई हो या फिर कोरोना संदिग्ध हो उसका अंतिम संस्कार मोक्ष संस्था द्वारा ही किया जाएगा। इस कार्य के लिए नगर निगम के समन्वय अधिकारी अनिल बारी होंगे, जबकि अपर आयुक्त राकेश अयाची और स्वास्थ्य अधिकारी भूपेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में कार्य किया जाएगा। वर्षों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार और बीमारों, विक्षिप्तों की सेवा करने वाली मोक्ष संस्था के आशीष ठाकुर ने बताया कि कोरोना का संकट जब से शुरू हुआ है तब से उनकी पूरी टीम मदद में जुटी हुई है। यही कारण है कि शनिवार को निगमायुक्त आशीष कुमार ने उन्हें सभी मरीजों और संदिग्धों के अंतिम संस्कार का जिम्मा सौंपा है और 4 वाहन प्रदान किए हैं, पीपीई किट, सोडियम हाइपो क्लोराइड, हैंड सेनिटाइजर, हैंड ग्लव्ज, मास्क आदि उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मेडिकल कॉलेज डीन द्वारा भी आवश्यक साधन दिए जाएँगे।
24 घंटे में रैन बसेरा दिया जाए
 निगमायुक्त ने आदेश जारी कर उपायुक्त अंजु सिंह ठाकुर को निर्देश दिए  हैं कि 24 घंटे के अंदर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अंदर वाला रैन बसेरा खाली कराकर मोक्ष संस्था को दिया जाए, ताकि वहाँ इसके कार्यकर्ता रहें और वहाँ की आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए पर्यटन विभाग के प्रबंधक हेमंत सिंह को अधिकृत किया गया है। अंतिम संस्कार के लिए आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।पी-2
कोई सरकारी मदद नहीं िमलती
 मोक्ष संस्था के आशीष ठाकुर ने बताया कि उनकी संस्था को किसी प्रकार की सरकारी मदद नहीं मिलती है। वे हर तरह के सामाजिक कार्य को केवल अपने साथियों की मदद से ही करते आए हैं और आगे भी ऐसा ही िकया जाएगा। गरीबों को खाना खिलाना हो या शवों का अंतिम संस्कार करना हो, इसके लिए वे सरकारी मदद नहीं लेते हैं।  

 

Created On :   26 April 2020 10:49 PM IST

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