- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- कटनी
- /
- महिला सशक्तिकरण अभियान को लगा...
महिला सशक्तिकरण अभियान को लगा पलीता, जंग खा रही पांच लाख की नैपकिन मेकिंग मशीन
डिजिटल डेस्क, कटनी। जेल में सेनेटरी नैपकिन मेकिंग मशीन स्थापित करने के बाद अफसर आंख बंद कर तमाशबीन की भूमिका में हैं। महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में मशीन के नाम पर तो महिला सशक्तिकरण विभाग ने पांच लाख रुपए की होली खेली, लेकिन कैदी महिलाओं में स्वरोजगार का रंग नहीं भर सका। बंद मशीन को लेकर अब जेल प्रबंधन और महिला सशक्तिकरण विभाग एक दूसरे को ही जिम्मेदार बता रहे हैं।
दरअसल यहां पर एक वर्ष तीन माह पहले कैदी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो मशीन लगाई गई थी। वह मशीन कैदी महिलाओं को महज चार माह ही काम दे सकी। यह बात अलग रही कि नैपकिन बनाने के बाद भी उन्हें कमाई के रुप में फूटी कौड़ी भी नहीं मिली। चार माह का मेहनत प्रयोग में चला गया, लेकिन बाद में जब इसमें नैपकिन बनाकर उन्हें मेहनताना मिलना था। उस समय महिला सशक्तिकरण विभाग ने हाथ ही खड़ा कर दिया।
चार माह में ही फ्लाप
चार माह से कम समय में भी जिला प्रशासन की सार्थक योजना को महिला सशक्तिकरण विभाग ने धता बता दिया। जेल में यह मशीन 15 जनवरी 2018 को लगाई गई। उस समय अफसर कैदी महिलाओं को यह बताने से नहीं चूके कि मशीन में नैपकिन बनाकर उन्हें जेल के अंदर ही रोजगार मिल सकता है। सजा पूरी होने के बाद भी महिलाएं इस मशीन से स्वरोजगार में लग सकती हैं। यह बात अफसरों की उसी तरह से रही। जिस तरह से चुनाव के समय कोई प्रत्याशी करता है। फरवरी, मार्च और अप्रैल माह आते-आते जो कच्ची सामग्री दी गई थी, वह खत्म हो गई। इसके बाद महिला सशक्तिकरण विभाग के अफसर दोबारा लौटकर नहीं आए।
मेहनताना भी नहीं मिला
एक पैकेट में तीन पेड की पैकिंग रही, जिसकी कीमत 19 रुपए तय की गई थी। शुरुआती दौर में 14 में से 5 कैदी महिलाओं ने रुचि दिखाई। एक दिन में औसतन 100 से 120 पैड महिलाएं मशीन से बनाती थी। चार माह तक कच्ची सामग्री से महिलाओं ने पैड बनाई। इसके बाद जब पैड की बेचने की बारी आई, तो जेल प्रबंधन ने महिला सशक्तिकरण विभाग का सहारा लिया। महिलाओं के द्वारा बनाई गई पैड तो सशक्तिकरण विभाग ने ले लिया, लेकिन महिलाओं को मेहनताना के रुप में एक रुपए भी नहीं दिया। विभाग के अफसर यही कहते रहे कि पैड का प्रचार करने के लिए गर्ल्स हॉस्टल के साथ अन्य जगहों पर फ्री में दिया गया है।
खनिज मद का था बजट
यह बजट खनिज मद का रहा। जब जिला प्रशासन ने महिला सशक्तिकरण विभाग को महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दिया। मशीन की खरीदी विभाग के द्वारा ही की गई। प्रशासन ने साफ तौर पर निर्देश दे रखे थे कि मशीन के उपयोग की जिम्मेदारी विभाग की है। इसके बावजूद खरीदी और मशीन स्थापित करने के बाद विभाग इसे आगे चालू नहीं रख सका। मशीन स्थापना के समय जो रॉ-मटेरियल दिया गया था। उसके बाद दोबारा मटेरियल नहीं दिया गया। जेल प्रबंधन इधर रॉ-मटेरियल की मांग करता रहा, उधर महिला सशक्तिकरण विभाग बजट का रोना रोता रहा।
इनका कहना है
सेनेटरी नैपकिन मशीन के लिए महिला सशक्तिकरण विभाग दोबारा कच्ची सामग्री उपलब्ध नहीं करा सका। इस संबंध में अधिकारी बजट नहीं होने की बात कह रहे हैं। मशीन का संचालन महिला सशक्तिकरण विभाग के द्वारा ही किया जाना है।
- सुजीत खरे, जेलर
मशीन संचालन की जिम्मेदारी जेल प्रबंधन की है। मशीन स्थापित करने के बाद जेल प्रबंधन के हैण्ड ओव्हर इस मशीन को कर दिया गया है। सेनेटरी नैपकिन मशीन के बार में अधिक जानकारी जेल के अधिकारी ही दे सकते हैं।
- वनश्री कुर्वेती, महिला सशक्तिकरण अधिकारी
Created On :   26 March 2019 1:39 PM IST