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केन्द्र ने कहा- ओबीसी का इम्पिरिकल डेटा अशुद्धियों से भरा, नहीं दिए जा सकते आंकडे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में 2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना के आंकडों में त्रृटियों का हवाला देते हुए महाराष्ट्र सरकार को ओबीसी का इम्पिरिकल डेटा देने में असमर्थता जताई। लिहाजा ओबीसी पर जनगणना के आंकडों की मांग करने वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर विचार नहीं किया जाए। केन्द्र सरकार ने इस मसले पर दाखिल किए हलफनामे में कहा है कि राज्य सरकार को ओबीसी का इम्पिरिकल डेटा नहीं दिया जा सकता। यह डेटा अशुद्धियों से भरा है, इसका दोनों को परिणाम भुगतना पडेगा। इसके साथ ही केन्द्र ने कोर्ट को स्पष्ट कर दिया है कि उसके द्वारा 7 जनवरी 2020 को एक अधिसूचना जारी कर यह निर्णय ले लिया है कि 2021 की जनगणना में अनुसूचित जाति और जनजाति के अलावा अन्य समूह की जाति जनगणना नहीं की जाएगी। आगामी जनगणना के दौरान किसी भी अन्य जाति के बारे में जानकारी नहीं जुटाने का लिया गया एक सचेत नीतिगत निर्णय है।
2021 की जाति जनगणना में ओबीसी को शामिल करने के नहीं दिया जाए निर्देश
केन्द्र सरकार ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि वह जनगणना विभाग को आगामी 2021 की जनगणना में पिछड़ा वर्ग से संबंधित सामाजिक-आर्थिक डेटा की गणना को शामिल करने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं करें। यह इसलिए क्योंकि एससी-एसटी अधिनियम की धारा 8 के तहत तय किए गए नीतिगत निर्णय में हस्तक्षेप करने के समान होगा। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण की बहली के लिए ओबीसी का इम्पिरिकल डेटा उपलब्ध कराने के केन्द्र सरकार को निर्देश दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आज इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। पक्षकारों की दलीले सुनने के बाद कोर्ट ने इस मसले पर चार हफ्तों में अगली सुनवाई मुकर्रर की है
Created On :   23 Sept 2021 9:58 PM IST