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सुप्रीम कोर्ट ने बृहन्मुंबई नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की मांग वाली याचिका खारिज की
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें बृहन्मुबंई नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष (एलओपी) का दर्जा मांगा था। गौरतलब है कि साल 2017 में शिवसेना के साथ गठबंधन के कारण भाजपा ने यह पद अपने पास रखा था। प्रधान न्यायाधीश शरद बोबडे की अध्यक्षतावाली पीठ ने कहा कि यह राजनीति में एक रोजम र्रा की घटना है। हो सकता है कि आप आज दोस्त हैं और कल दोस्त न रहें। पार्टियों के बीच संबंध कानूनी अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकते। पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि इस आधार पर विपक्ष के नेता के पद के लिए दावा नहीं किया जा सकता है। गौरतलब है कि सिंतबर 2020 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भाजपा के पार्षद तुकाराम शिंदे की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि विपक्ष के नेता के दर्जे पर केवल ह्रदय परिवर्तन के आधार पर दावा नहीं किया जा सकता है। इस आदेश को भाजपा नेता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
मामले में आज हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि शिवसेना के साथ भाजपा का पहले करार था, जो अब नहीं है। इसलिए विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को संवैधानिक रुप से नेता प्रतिपक्ष का पद मिलना चाहिए। साथ ही यह भी दलील रखी सत्ताधारी गठबंधन में शामिल होने के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने विपक्ष के नेता के पद पर कब्जा किया हुआ है। लिहाजा राज्य में सत्तारुढ पार्टी शिवसेना के साथ गठबंधन करने वाली कांग्रेस को एलओपी पद नहीं मिलना चाहिए। हालांकि पीठ ने इस दलील को नहीं माना और याचिका खारिज कर दी
Created On :   16 Feb 2021 10:24 PM IST