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दूसरों को दे दी गई खाड़ी देश में कार्यरत भारतीयों के बच्चों की सीटें, अब अदालत के फैसले के अधीन होगा दाखिला
डिजिटल डेस्क, मुंबई। खाड़ी देशों में कार्यरत भारतीयों के बच्चों के साथ अन्याय न हो इसके मद्देनजर बांबे हाईकोर्ट ने राज्य में प्रबंधन शिक्षा के अग्रणीय संस्थान जमनालाल बजाज इंस्टीच्यूट ऑफ मैनेजमेंट में प्रबंधन पाठ्यक्रम में दाखिले को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि संस्थान में विद्यार्थियों को दिए गए दाखिले कोर्ट के फैसले के अधीन होगे। अवकाशकालीन न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने चार विद्यार्थियों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद उपरोक्त आदेश जारी किया है। अधिवक्ता अटल बिहारी दुबे के माध्यम से विद्यार्थियों की ओर से दायर याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि खाड़ी देशों में काम करनेवाले भारतीयों के बच्चों (सीआईडब्लूजीसी) को दाखिले से वंचित रखा गया है। इन बच्चों के लिए आरक्षित सीटे गलत तरीके से अप्रवासी भारतीय (एनआरआई) छात्रों को दे दी गई है। याचिका में दावा किया गया है कि भारत के बाहर रहनेवाले विभिन्न श्रेणियों के छात्रों के लिए जमनालाल बजाज की कुल सीटों में से 15 प्रतिशत सीटे (सुपरन्यूमरी कोटे) आरक्षित रखने का प्रावधान है। लेकिन संस्थान की ओर से दाखिले को लेकर दिए ब्रोसर के विपरीत एडमिशन दिया जा रहा है।
याचिका में दावा किया है कि 15 प्रतिशत के लिहाज से 6 सीटे खाड़ी देश में काम करनेवाले कर्मचारियों के बच्चों के लिए आरक्षित रखी जानी चाहिए। जबकि 12 सीटे अन्य श्रेणी के विदेशी छात्रों के लिए आरक्षित की जानी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। जिससे खाड़ी देशों में रहनेवाले भारतीयों के बच्चों का कैरियर दांव पर लगा हुआ है।
याचिकाकर्ता के वकील ने खंडपीठ को बताया कि जमनालाल बजाज संस्थान को काफी पहले याचिका की प्रति दे दी गई थी। किंतु सुनवाई के दौरान संस्थान की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें इस मामले में संस्थान की ओर से कोई निर्देश नहीं प्राप्त हुआ है। खंडपीठ ने याचिका व संस्थान की ओर से पैरवी कर रहे वकील की असमर्थता को देखते हुए कहा कि संस्थान की ओर से दिए गए दाखिले कोर्ट के फैसले के अधीन होंगे। इसकी जानकारी विद्यार्थियों को दी जाए। खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई 5 जनवरी 2021 को रखी है।
Created On :   30 Dec 2021 7:59 PM IST