विधवा प्रथा के खिलाफ कानून बनाने विधायकों का जुटा रहे समर्थन

Seeking support of MLAs to make laws against widow system
विधवा प्रथा के खिलाफ कानून बनाने विधायकों का जुटा रहे समर्थन
मानसून सत्र में होगी चर्चा विधवा प्रथा के खिलाफ कानून बनाने विधायकों का जुटा रहे समर्थन

डिजिटल डेस्क, मुंबई, विजय सिंह ‘कौशिक’। महाराष्ट्र में विधवा प्रथा के खिलाफ अभियान चला रहे सामाजिक संगठन ‘महात्मा फुले समाजसेवा मंडल’ सोलापुर के अध्यक्ष प्रमोद झिंजाडे इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए कानून बनाने विधायकों का समर्थन जुटा रहे हैं। अभी तक महाराष्ट्र विधानमंडल के करीब 80 विधायकों ने इन्होंने सम्पर्क किया है, जबकि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सहित सभी विधायकों को पत्र लिखा है। झिंजाडे की पहल पर पिछले दिनों कोल्हापुर के एक ग्राम पंचायत हेरवाड ने विधवा प्रथा के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था जिसके बाद राज्य सरकार ने एक परिपत्र जारी कर सरकारी अधिकारियों को राज्यभर में यह कुप्रथा समाप्त करने का निर्देश दिया था। 

बीते मई में कोल्हापुर के हेरवाड ग्राम पंचायत ने पति के निधन के बाद पत्नी का सिंदूर पोंछने, चुडियां तोड़ने और मंगलसूत्र निकालने जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए प्रस्ताव पारित किया था। इस का श्रेय विधवा प्रथा के खिलाफ अभियान चला रहे प्रमोद झिंजाडे को जाता है। ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में झिंजाडे ने बताया कि वर्ष 2020 में हमारे संस्था के एक कार्यकर्ता की मौत के बाद हमने उसकी पत्नी के साथ विधवा प्रथा की क्रूरता देखी तो बहुत दुखी हुआ। उसी समय कोरोना संकट आ गया।। कोरोना संकट के बाद मैंने महाराष्ट्र से  विधवा प्रथा समाप्त करने के लिए यह मुहिम शुरू की। शुरुवात में बहुत कम लोग समर्थन में आगे आए। मैंने हल्दी कुमकुम कार्यक्रम का आयोजन किया और उसमें विधवा महिलाओं को बुलाया। फिर एक दिन तहसील मुख्यालय जाकर 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर अपना प्रतिज्ञा पत्र तैयार किया की ‘मेरी मौत के बाद मेरी पत्नी अलका प्रमोद झिंजाडे को विधवा प्रथा के लिए मजबूर न किया जाए।’ प्रतिज्ञा पत्र वाले कागजात को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया तो सोलापुर के तत्कालिन पुलिस आयुक्त हरीश बैजल ने मुझे अपने कार्यालय बुला कर सम्मानित कर मेरी हौसला अफजाई की।

इसके बाद मैंने महाराष्ट्र की करीब सभी ग्राम पंचायतों को विधवा प्रथा समाप्त करने के लिए पत्र लिखा। सबसे पहले कोल्हापुर की एक ग्राम पंचायत हेरवाड ने ग्राम पंचायत की बैठक में विधवा प्रथा के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। इसके बाद अब तब महाराष्ट्र की एक हजार ग्राम पंचायतों ने यह प्रस्ताव पारित किया है जिसमें नागपुर, अकोला, वर्धा की भी कई ग्राम पंचायतें शामिल हैं। इस अभियान से जुड़े नाशिक के राजू शिरसाट कहते हैं कि इस प्रथा को समाप्त करने के लिए कानून बनाने की जरुरत है। इसके लिए हम विधायकों से मुलाकात कर रहे हैं। अब तक 80 विधायकों से मुलाकात कर हमने समर्थन जुटाया है। सीएम सहित सभी विधायको को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि दरअसल यह सिर्फ ग्रामीण इलाके की समस्या नहीं है। शहरों में भी यह कुप्रथा है। हम सभी समाज के लोगों से बात कर इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार करेंगे। इसे रोकने के लिए कानून बनाने की जरूरत है। यदि मौजूदा कानून में संशोधन से भी काम चलता है तो किया जाना चाहिए। उम्मीद है कि महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र में इसको लेकर सदन में चर्चा होगी। 

गोवा छत्तीसगढ़, कर्नाटक में भी चला रहे अभियान 

झिंजाडे ने बताया कि हेरवाड ग्राम पंचायत द्वारा विधवा प्रथा के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने और उसे प्रतिसाद देते हुए महाराष्ट्र सरकार की तरफ से सर्कुलर जारी करने से इस कुप्रथा को समाप्त करने को लेकर देशभर में जागरुकता पैदा हुई है। हम महाराष्ट्र के अलावा गोवा, कर्नाटक व छत्तीसगढ़ में भी अभियान चला रहे हैं। छत्तीसगढ़ के एक स्वमसेवी संगठन (एनजीओ) ने हमें आमंत्रित किया है। झिंजाडे बताते हैं कि पश्चिम बंगाल और राजस्थान में विधवा प्रथा की समस्या ज्यादा है। 

 

Created On :   13 Jun 2022 7:52 PM IST

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