भिण्ड: सहकारिता के बगैर आत्मनिर्भरता संभव नहीं सहकारिता - मंत्री डॉ अरविन्द भदौरिया

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भिण्ड: सहकारिता के बगैर आत्मनिर्भरता संभव नहीं सहकारिता - मंत्री डॉ अरविन्द भदौरिया

डिजिटल डेस्क, भिण्ड। भिण्ड प्रदेश के सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्री श्री अरविन्द सिंह भदौरिया ने कहा कि देश की मूल आत्मा सहकारिता है। सहकारिता के बगैर आत्मनिर्भता संभव नहीं। मंत्री श्री भदौरिया रविवार को कृषि उपज मंडी मेहगांव में आत्मनिर्भर भारत कृषक सहकारी सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। सम्मेलन में मेहगांव एवं गोहद के किसान मौजूद थे। इस अवसर पर नगरीय विकास एवं आवास राज्यमंत्री श्री ओपीएस भदौरिया, सांसद भिण्ड-दतिया संसदीय क्षेत्र श्रीमती संध्या राय, पूर्व विधायक श्री मुकेश चौधरी, श्री नाथू सिंह गुर्जर, श्री केपी सिंह भदौरिया, श्री कोक सिंह नरवरिया, श्री अशोक भारद्वाज, श्री रमेश दुबे, श्री संजीव कांकर, श्री मलखान सिंह, श्री केशव सिंह भदौरिया, श्री अजय सिंह भदौरिया, श्री केदारनाथ वर्मा, श्री देवेद्र नरवरिया, जनप्रतिनिधि सहित गोहद एवं मेहगांव क्षेत्र के किसान उपस्थित थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये सहकारिता मंत्री श्री अरविन्द सिंह भदौरिया ने कहा कि जब तक देश का किसान आत्मनिर्भर नहीं होगा, तब तक गांव, जिला, प्रदेश व देश ’’आत्मनिर्भर भारत’’ संभव नहीं। उन्होंने कहा कि हमे अपने अन्नदाता किसान, मजदूर, माता-बहनें, व्यक्ति, नौजवान को आत्मनिर्भर बनाना होगा। तभी हमारा गांव, जिला, प्रदेश और देश आत्मनिर्भर बन सकता है। इसके लिये केन्द्र व प्रदेश सरकार प्रयत्नशील है। गांव गरीब किसान की तरक्की के लिये हमारी सरकार अनेको योजनायें संचालित कर रही है कि किसी तरह देशव किसान आत्मनिर्भर बन सके। इसके लिये प्रधानमंत्री सम्मान निधि किसानों को 1 साल में दो-दो हजार के मान से 6 हजार रूपये दे रही है। ठीक उसी तर्ज पर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा प्रदेश के किसानो को दो-दो हजार रूपये के मान से चार हजार रूपये प्रति वर्ष उनके खातो भेजे जाएगे। इस योजना का शुभारंभ मुख्यमंत्री जी द्वारा किया जा चुका है। जिसके अन्तर्गत प्रदेश के 1.75 लाख किसानों के खातों में 2 हजार रूपये की सम्मान निधि उनके खातों में भेजी चुकी है। प्रधानमंत्री की सोच है कि हमारा किसान उन्नति करें, आत्मनिर्भर बनें। साथ ही 2022 तक किसानो की आय दो गुनी हो। तभी हमारा देश आत्मनिर्भर बनेगा और तभी आत्मनिर्भर भारत कहलायेगा। सहकारिता मंत्री श्री अरविन्द भदौरिया ने कहा कि प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थायें, जो किसानों की प्राथमिक ऋण आवश्यकताओं को पूरा करती है। सहकारी संस्थाओं को बहुसेवा केन्द्रों के परिवर्तित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है, ताकि वे अपने व्यापार में विविधता ला सकें और एक छत के नीचे अपने सदस्यों की आवश्यकतायें पूरी कर सकें। सहकारी संस्थाओं की कायापलट करने के लिये नावार्ड द्वारा कई पहल किये है। सहकारी संस्थायें आत्मनिर्भर संस्था बन सकें आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा सेन्ट्रल सेक्टर स्कीम के तहत 1 लाख करोड़ का कृषि अधोसंरचना कोष सृजित किया गया है। जिसमें कृषि एवं अनुशांसिक गतिविधियों को सम्मानित कर फसल उत्पादन उपरांत पोस्ट हार्वेस्ट प्रबंधन अधोसंरचना विकसित किया जाना है। इस योजना के क्रियान्वयन के लिये प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थायें, विपणन संस्थायें एवं अन्य संस्थाओं का चयन किया गया है। सहकारिता मंत्री श्री भदौरिया ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि पशु पालक एवं मत्स्य पालक हितग्राहियों को केसीसी वितरण एवं कृशकों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराने हेतु सहकारी बैंको, सहकारी समितियों को 800 करोड़ रूपये की शासकीय सहायता प्रदाय की गई है। जिसमें सबकों ’’साख-सबका विकास’’ संभव है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के 63 हजार 96 कृशकों के केसीसी में 335 करोड़ रूपये की साख सीमा स्वीकृत की गई है। स्वीकृत साख सीमा से 35 हजार 532 कृशकों को 120 करोड़ रूपये का फसल ऋण वितरण होगा। दुग्ध सहकारी समितियों से संबंध पशुपालकों को क्रेडिट कार्ड वितरण किये जायेंगे। मत्स्य सहकारी समितियों के सदस्यों को मछली पालन के लिये क्रेडिट कार्ड उपलब्ध होंगे। सहकारिता मंत्री श्री भदौरिया ने कहा कि हर व्यक्ति की उन्नति एवं विकास के लिये प्रधानमंत्री ने जनधन खाते खुलवाये। जिसमें प्रदेश सरकार की किसी भी योजना का एक भी रूपया हितग्राही को देना होता है तो वह राशि सीधे उसके खाते में डाली जाती है। अब बिचौलियों का उस राशि पर कोई अधिकार नहीं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं की राशि किसान के खातें में डाली जा रही है। अब यह राशि किसान को सीधे प्राप्त होगी और नौजवानों

Created On :   28 Sept 2020 8:48 AM GMT

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