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सीनियर एडवोकेट नामांकित होने 10 लाख रु. की आय की बाध्यता पर हाईकोर्ट को अभ्यावेदन देने का निर्देश
उच्च न्यायालय ने किया याचिका का निराकरण
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट नामांकित होने के लिए 10 लाख रुपए प्रतिवर्ष की आय की बाध्यता लागू किए जाने के मामले में हाईकोर्ट प्रशासन को अभ्यावेदन देने के निर्देश दिए हैं। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस संजय द्विवेदी की डिवीजन बैंच ने याचिका का निराकरण करते हुए कहा है िक अभ्यावेदन पर हाईकोर्ट की कमेटी द्वारा विचार किया जाएगा।
यह है मामला - तहसीली चौक निवासी अधिवक्ता पीसी पालीवाल और भोपाल निवासी अधिवक्ता अनिल चावला व योगिता पंत की ओर से अलग-अलग याचिका दायर कर सीनियर एडवोकेट नामांकित करने के लिए बनाए गए नियमों को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि मप्र हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट नामांकित करने के लिए 10 लाख रुपए प्रतिवर्ष की आमदनी होना अनिवार्य किया है। इसके साथ ही यह छूट दे दी कि सीनियर एडवोकेट नामांकित होने के बाद कोई भी अधिवक्ता अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद पर रह सकता है।
आय के आधार पर गुणवत्ता का आकलन करना गलत - अधिवक्ता अजय रायजादा, अंजना श्रीवास्तव और रविन्द्र नाथ त्रिपाठी ने तर्क दिया कि किसी भी अधिवक्ता की आय के आधार पर उसकी गुणवत्ता का आकलन नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2017 में इंदिरा जयसिंह बनाम केन्द्र सरकार मामले में कहा है कि सीनियर एडवोकेट की गुणवत्ता का आकलन उसकी आय से नहीं किया जा सकता है। इस निर्णय के आधार पर सुप्रीम कोर्ट और कई हाईकोर्टों ने नियमों में संशोधन कर लिया, लेकिन मप्र हाईकोर्ट में अभी भी 10 लाख रुपए सालाना आय की बाध्यता लागू है। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने हाईकोर्ट प्रशासन को इस संबंध में अभ्यावेदन देने का निर्देश देते हुए याचिका का निराकरण कर दिया है।
Created On :   10 April 2021 2:45 PM IST