शहडोल जिला अस्पताल में क्षमता 20 बेड की, 32 बच्चे भर्ती किए, इन्हीं में से आठ की मौत हुई

Shahdol District Hospital has a capacity of 20 beds, 32 children admitted, out of which eight died
शहडोल जिला अस्पताल में क्षमता 20 बेड की, 32 बच्चे भर्ती किए, इन्हीं में से आठ की मौत हुई
शहडोल जिला अस्पताल में क्षमता 20 बेड की, 32 बच्चे भर्ती किए, इन्हीं में से आठ की मौत हुई

सरकारी जांच दल ने कहा- बच्चों का इलाज ठीक था, कम बेड पर ज्यादा बच्चे भर्ती होने से स्थिति तो बिगड़ेगी ही
जबलपुर जांच टीम अब दे रही सुझाव - जगह, नर्स और स्टॉफ भी बढ़ाओ
डिजिटल डेस्क शहडोल/भोपाल ।
शहडोल के जिला अस्पताल में मंगलवार को दो और मासूमों की मौत हो गई। बीते पांच दिन में 8 बच्चों की जान जा चुकी है। इनमें चार ऐसे रहे, जो दो से पांच दिन पहले अस्पताल में भर्ती हुए थे। देर रात जिन दो बच्चों की मौत हुई है, वे दोनों अनूपपुर से रेफर होकर यहां आए थे। दोनों की हालत सुबह से गंभीर बनी हुई थी।
हैरान करने वाला तथ्य यह है कि इस अस्पताल में बच्चों के लिए 20 बेड ही हैं, जबकि यहां 32 बच्चों को रखा गया। इसके बावजूद अस्पताल जांच करने पहुंची सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के सीनियर डॉक्टरों डॉ. पवन घनघोरिया (पीडियाट्रिशनय विभाग के एचओडी) और सहायक प्राध्यापक डॉ. अखिलेंद्र सिंह परिहार की दो सदस्यीय टीम ने डॉक्टरों को क्लीन चिट दे दी। जांच दल ने कहा- डॉक्टर सही उपचार दे रहे हैं। स्टॉफ-नर्स की कमी जरूर है, जगह भी कम है, जिसे बढ़ाना होगा। दैनिक भास्कर से चर्चा में डॉ. घनघोरिया ने केवल इतना कहा कि हम अपनी रिपोर्ट बुधवार को राज्य शासन को भेज देंगे। 
सीएमएचओ डॉ. राजेश पांडे का कहना है कि हर साल इस तरह का सीजनल वेरीएशन (मौसमी परिवर्तन) होता है। इसलिए ऐसी स्थिति बनती है। जैसे- पिछले सप्ताह निमोनिया से पीडि़त बच्चे आए, अब संख्या घटी है।  यह तर्क भी तब दिए जा रहे हैं, जब जनवरी 2020 में इसी अस्पताल में छह मासूमों की मौत हो चुकी है। तब भी हल्ला मचा तो तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट मौके पर पहुंचे थे। इस बार भी आठ मासूम लापरवाही की भेंट चढ़ चुके हैं।  
सुलेमान-गोयल ने ली जानकारी
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान और आयुक्त संजय गोयल ने पूरी जानकारी ली। सुलेमान ने कहा कि मौत के कारणों की जांच के लिए टीम गई है। किन कारणों से मौत हुई, डॉक्टर और स्टॉफ का रवैया कैसा रहा है, देखभाल में कमी तो नहीं रही, इन सभी पहलुओं पर जानकारी मांगी है। इसके बाद आगे निर्णय करेंगे।
कब-किस बच्चे की किस कारण से मौत
- उमरिया के दो दिन की बच्चे की मौत। कारण- डिलेवरी के दौरान गंदा पानी पीया।
- शहडोल के अरझुला के 4 मार के बच्चे की मौत। कारण- निमोनिया।
- धनपुरी (शहडोल) के दो माह के बच्चे की मौत। कारण- निमोनिया।
- बुढऱी (शहडोल) के तीन माह के बच्चे का निधन। कारण- निमोनिया-बुखार।
- 27 नवंबर को भर्ती हुई शहडोल की तीन माह की बच्ची की 29 नवंबर को मौत।
- 25 नवंबर को भर्ती शहडोल के 3 माह के बच्चे की 30 नवंबर को मौत। कारण-मस्तिस्क बुखार, निमोनिया।
- अनूपपुर (ठाड़पाथर) निवासी शिवदास ने करीब छह दिन पहले अपनी तीन माह की बच्ची को भर्ती कराया था। हालत में सुधार नहीं होने पर सोमवार को उसे जबलपुर रेफर किया गया था। एंबुलेंस में बैठते ही बच्ची की सांसें उखडऩे लगी। तुरंत वापस पीआईसीयू में भर्ती कराया गया। देर रात बच्ची ने दम तोड़ दिया।
- अनूपपुर (हर्राटोला) निवासी शिवप्रसाद ने शनिवार को अपने तीन माह के बच्चे को भर्ती कराया था। उसे भी सोमवार को जबलपुर रेफर कर दिया गया था, लेकिन परिजनों के मना करने पर पीआईसीयू में ही इलाज चल रहा था। देर रात उसकी भी मौत हो गई।
अस्पताल का दावा- 8 में से 7 बच्चों को निमोनिया था, 1 की मौत गंदा पानी पीने से हुई
जांच दल ने पाया कि आठ में से सात बच्चे भर्ती होते वक्त निमोनिया से पीडि़त थे, जबकि एक नवजात की मौत डिलेवरी के दौरान गंदा पानी पीने से हुई है। बहरहाल, सोमवार देर रात दो और शिशुओं की मौत हो गई है। दोनों की उम्र करीब तीन माह थी। अभी तक जिन बच्चों की मौत हुई, वे गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) और बाल गहन चिकित्सा इकाई (पीआईसीयू) में भर्ती थे।
कलेक्टर का तर्क- इलाज में कमी नहीं, 32 बच्चे भर्ती होंगे तो दिक्कत होगी ही
डॉ. घनघोरिया की प्रारंभिक रिपोर्ट मिलने के बाद शहडोल कलेक्टर सतेंद्र सिंह ने कहा कि जिन बच्चों की मौत हुई, वे कुपोषित नहीं थे। एक-एक बच्चे की केस हिस्ट्री शासन को भेजी गई है। 20 बेड की क्षमता वाले अस्पताल में 32 बच्चे भर्ती हो जाएं तो दिक्कत तो होगी। शहडोल अस्पताल पर उमरिया, अनूपपुर और डिंडोरी जिले का भी दबाव होता है। बच्चे रेफर होकर आते हैं।
जिला स्तर पर जो सुविधा होनी चाहिए, उससे कहीं अच्छी शहडोल में है : डॉ. घनघोरिया
भास्कर से चर्चा में डॉ. घनघोरिया ने कहा कि जिला स्तर पर जिस तरह की सुविधा व इलाज मिलना चाहिए, उससे कहीं बेहतर सुविधा शहडोल जिला चिकित्सालय में है। डॉ. घनघोरिया ने इससे पहले सीएमएचओ डॉ. पांडे को बताया कि डॉक्टरों ने सही इलाज दिया। कुछ सुधार की जरूरत है। बकौल डॉ. पांडे, घनघोरिया ने कहा कि शहडोल के जिला अस्पताल पर आसपास के जिलों का भार है, इसलिए कुछ अपडेशन होना चाहिए। स्पेस के साथ स्टॉफ-नर्स की संख्या बढ़ानी होगी।
 

Created On :   2 Dec 2020 2:03 PM IST

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