शिवसेना सांसद राऊत को हाईकोर्ट की फटकार,  पूछा- महाराष्ट्रीयन होने का मतलब किसी का घर तोड़ दें ?

Shiv Sena MP Raut got rebuked by the High Court, asked- Being a Maharashtrian means breaking someones house?
शिवसेना सांसद राऊत को हाईकोर्ट की फटकार,  पूछा- महाराष्ट्रीयन होने का मतलब किसी का घर तोड़ दें ?
शिवसेना सांसद राऊत को हाईकोर्ट की फटकार,  पूछा- महाराष्ट्रीयन होने का मतलब किसी का घर तोड़ दें ?

डिजिटल डेस्क, मुंबई। फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के मामले को लेकर "हरामखोर’ शब्द के इस्तेमाल के बाद अब शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राऊत मंगलवार को "कानून क्या है ’शब्द के प्रयोग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट के निशाने पर नजर आए।  मंगलवार को सुनवाई के दौरान पेश किए गए दस्तावेजों व हलफनामे पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति एस जे काथावाला व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने कहा आप (राऊत) संसद के सदस्य हैं, आपको बयान देते समय सतर्क रहना चाहिए। आप कोई आम आदमी नहीं है आप एक राजनेता हैं। खंडपीठ ने कहा कि हम सभी को महाराष्ट्रीयन होने पर गर्व है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम जाए और उसका (रनौत) घर तोड़ दे। आपको (राऊत) नरमी दिखानी चाहिए थी। आपको इसे नजरअंदाज करना चाहिए था। लेकिन आपने पूछा कानून क्या है? आप इस तरह का उदाहरण दूसरों के लिए सामने रखना चाहते हैं। प्रकरण को लेकर इस तरीके से आपका पेश आना बिल्कुल भी अपेक्षित नहीं था, भले ही ट्वीट को लेकर असहमति थी। इससे पहले राऊत की ओर से पैरवी कर रही वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल का आशय कानून के प्रति अनादर व्यक्त करना नहीं था। 

खंडपीठ के सामने फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत की ओर से मुंबई महानगरपालिका द्वारा उनके बंगले के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में कंगना ने मनपा की कार्रवाई को अवैध ठहराने व दो करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की है। खंडपीठ ने मुंबई मनपा को भी फटकार लगाई। खंडपीठ ने कहा कि जब याचिकाकर्ता ने अवैध निर्माण किया था, उस समय मनपा ने अपनी आंखें बंद कर ली थी क्या?

मामले में कार्रवाई का आदेश देने वाले अधिकारी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने कहा कि याचिकाकर्ता का मामला कानून और तथ्यों की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है। इसलिए उन्होंने मनपा व अधिकारियों पर दुर्भावना के तहत कार्रवाई का आरोप लगाया है। जिससे मुख्य मामले से अदालत का ध्यान भटकाया जा सके।क्योंकि अस्पष्ट व आधारहीन आरोप लगाना बेहद सरल है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने दावे को लेकर कोई सबूत नहीं पेश किया है। इसलिए इस याचिका को खारिज किया जाए। मनपा अधिकारियों ने नियमों के तहत कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि कई बार निर्माण कार्य पतर के भीतर होता है। जिससे अधिकारियों का ध्यान नहीं जाता है। इस मामले का राजनीति से संबंध नहीं है। खंडपीठ ने अब मामले की सुनवाई 5 अक्टूबर 2020 को रखी है। 

Created On :   29 Sep 2020 2:55 PM GMT

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