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शिवसेना सांसद संजय राऊत को मिली जमानत, तीन महीने बाद जेल से बाहर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। विशेष अदालत से जमानत मिलने व बांबे हाईकोर्ट द्वारा जमानत के आदेश पर रोक लगाने के इनकार के बाद गोरेगांव के पत्रा चाल से जुड़े मनी लांड्रिंंग मामले में आरोपी शिवसेना सांसद संजय राऊत आर्थर रोड जेल से बाहर आ गए। तीन माह के लंबे इंतजार के बाद बुधवार को देर शाम जेल के बाहर आए राऊत का बड़ी संख्या में वहां मौजूद शिवसैनिकों ने उनका स्वागत किया। इससे पहले विशेष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) के उस आग्रह को भी अस्वीकार कर दिया है जिसके तहत ईडी ने कोर्ट से आग्रह किया था कि वह राऊत को जमानत देने के आदेश को शुक्रवार तक लागू न करें। किंतु कोर्ट ने जब ईडी के निवेदन को स्वीकार नहीं किया तो ईडी ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति भारती डागरे ने कहा कि उन्होंने अब तक इस मामले से जुड़े आदेश को नहीं देखा है। ईडी ने लंबी सुनवाई के बाद आरोपी को जमानत प्रदान की है। ऐसे में तुरंत निचली अदालत के आदेश पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। इसके लिए दोनों पक्षों को सुनना जरुरी है। न्यायमूर्ति ने कहा कि यदि सुनवाई के बाद आरोपी को हिरासत में लेने की जरुरत पड़ी तो इस संबंध निर्देश जारी किया जाएगा। न्यायमूर्ति ने गुरुवार को ईडी के आवेदन पर सुनवाई रखी है। ईडी ने राऊत को इस मामले में 31 जुलाई 2022 को गिरफ्तार किया था।विशेष अदालत ने इस मामले में राऊत के करीबी व आरोपी प्रवीण राऊत को भी जमानत प्रदान की है।
विशेष न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने 2 नवंबर 2022 को राऊत के जमानत आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। जिसे न्यायाधीश बुधवार को सुनाते हुए आरोपी संजय राऊत को जमानत प्रदान कर दी। इसके बाद ईडी ने न्यायाधीश से आग्रह किया कि वे अपने आदेश को तुरंत अमल में न लाए। कुछ समय के लिए इस पर रोक लगाए। ईडी की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि हम इस मामले में जमानत के आदेश का अध्ययन करना चाहते हैं। यह कोई अतार्किक आग्रह नहीं है। कोर्ट के पास अपने आदेश पर रोक लगाने का अधिकार है। ईडी को इस मामले में ऊपरी अदालत में जाने का अवसर मिलना चाहिए। किंतु कोर्ट ने ईडी के आग्रह को अस्वीकार कर दिया।
अदालत ने माना, राऊत की गिरफ्तारी अवैध
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा है कि जिस मामले में संजय राऊत को गिरफ्तार किया गया है वह सीविल स्वरुप का मामला है। इस मामले में राऊत की गिरफ्तारी अवैध नजर आ रही है।इस मामले में आधी रात को राऊत की गिरफ्तारी की जरुरत नहीं थी। ईडी की इस तरह की कार्ऱवाई के चलते राऊत उन कानूनी विकल्पों का भी इस्तेमाल नहीं कर पाए जो सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के तहत उपलब्ध कराए गए हैं। ईडी चाहती तो राऊत को गिरफ्तार करने की बजाय समन के जरिए उनकी उपस्थिति को सुनिश्चित कर सकती थी। इस मामले में राऊत को उनके अधिकारों से वंचित किया गया है। इस तरह से न्यायाधीश ने अपने आदेश में इस मामले में ईडी को कार्रवाई के लिए कड़ी फटकार भी लगाई है।
न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि ईडी ने चुनकर राऊत को निशाना बनाया है। न्यायाधीश ने इस मामले में आरोपी प्रवीण राऊत की गिरफ्तारी को भी गैर जरुरी माना है। वहीं राऊत ने अपने जमानत आदेश में दावा किया था कि मनीलांडरिंग मामले में उनकी गिरफ्तरी कानून प्रक्रिया के दुरुपयोग व राजनीतिक रंजिश का आदर्श उदाहरण है। वहीं ईडी ने राऊत की जमानत का कड़ा विरोध करते हुए कहा था कि राऊत इस मामले के मुख्य सूत्रधार हैं। उन्होंने परदे की पीछे रहकर अपना काम किया है।
क्या है पत्राचाल घोटाला मामला
गोरेगांव के सिद्धार्थ नगर इलाके में 47 एकड़ में स्थित पत्राचाल में 672 परिवार रहते थे। साल 2008 में महाराष्ट्र गृहनिर्माण व क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) ने इसके पुनर्विकास का काम शुरू किया और गुरूआशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी को इसका ठेका दिया गया। गुरूआशीष कंस्ट्रक्शन को 3000 से ज्यादा फ्लैट बनाने थे जिनमें से 672 घर पत्राचाल के निवासियों को दिए जाने थे लेकिन इसके बदले गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी को अतिरिक्त एफएसआई मिलनी थी लेकिन कंपनी ने पत्राचाल के निवासियों को घर दिए बिना अतिरिक्त एफएसआई दूसरे बिल्डरों को 1034 करोड़ रुपए में बेंच दी। मामले में दायर आरोपपत्र में प्रवीण राऊत, हाऊसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) के सारंग वधावन, राकेश वधावन और गुरूआशीष कंट्रक्शन का नाम भी आरोपियों में शामिल है।
Created On :   9 Nov 2022 9:49 PM IST