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दीपोत्सव के लिए सजने लगीं दुकानें, धान कटाई के कारण बाजारों में फिलहाल सन्नाटा
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। दीपावली पर्व को महज सप्ताह भर रह गया है। बाजार में छोटे-बडे व्यवसायियों ने ग्राहकों को आकर्षित करने सामानों को सजाकर रखा है। दूकानों में ग्राहक न के बराबर पहुंच रहे है। जिस पर व्यवसायियों ने खेद व्यक्त कर दिपावली के दो दिन पूर्व बाजार में रौनक लौटने की बात की। चर्चा दौरान उन्होंने नाम न बताने की शर्तो पर बाजार के उतार-चढाव भाव से अवगत किया। वहीं किसानों के प्रति संवेदना जताते हुये कहा कि, किसानों ने अब तक धान फसल बेची नही है। पैसा होंगा तभी बाजार में खरिदी करने पहुंचेंगे। फिलहाल बाजार में भीड नहीं होने से उठाव नहीं है। अब व्यवसायी ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों की प्रतिक्षा करते नजरे लगाए हुये है। यहा बता दे कि, जिले को धान का कटोरा कहा जाता है। इसमें 70 से 80 प्रतिशत किसान खेती पर निर्भर है। फिलहाल जिले के किसानों ने खेतों में खरीफ धान फसल को लगाया है। जिसकी कटाई का काम किसानों व्दारा शुरू किया जा चूका है। किंतु किसानों व्दारा अब तक बाजारों में धान बेचा नही गया है। बहरहाल किसानों के पास पैसा नहीं होने से शहर के बाजारों में रौनक दिखाई नहीं दे रही है। वहीं शहर में प्रतिवर्षानुसार धूमधाम से मनाने को लेकर छोटे-बडे व्यवसायियों ने अपनी दूकानों में कपडा, पूजा सामग्री, जुते-चप्पल, किराना दूकान, इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रीक सामानों से सजाया है। वहीं घरों के रंगरोगन को लेकर व्यवसायियों लाखों रूपये खर्च कर दूकानों में
चूना, डिस्टेम्पर, ऑईलपेंट बिक्री हेतु रखा है।
जिसे खरिदी करने ग्राहकों की भीड दूकानों में न के बराबर दिखाई दे रही है। इस संदर्भ में पूजा सामग्री विक्रेता व्यवसायी ने चर्चा में बताया कि, अगरबत्ती 5 से 60 रूपये प्रति पॅकेट, कपासबाती 5 से 20 रूपये पॅकेट, लुभान 100 से 150 रूपये प्रति किलो, धूपकांडी 10 से 20 रूपये पॅकेट, कपूर 1000 से 1200 रूपये प्रति किलों तथा अन्य सामग्रियों को रखा है। उसी तरह कपडा व्यवसायी से चर्चा दौरान 200 से 5 हजार रूपये तक कपडा बिक्री को रखा है। जिसमें महिला एवं बच्चों के कपडे भी सामिल है। वहीं इलेक्ट्रीक दूकान व्यवसायी ने 40 रूपये लेकर 600 तक रंगबिरंगी सीरिज तथा बल्प बिक्री हेतु रखा है। वैसे ही किराना व्यवसायी ने उतार-चढाव के मुताबिक सामान बिक्री की बात की है। बहरहाल शहर के व्यवसायी किसानों व्दारा खेतों में लगाई धान की फसलों की ओर नजर केंद्रित किया है।
Created On :   27 Oct 2021 7:00 PM IST