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विदर्भ की महिलाओं की वरिष्ठ मार्गदर्शक थीं सिंधुताई सपकाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर| अनाथों की मां के रूप में जाने जानी वाली वरिष्ठ समाजसेविका पद्मश्री सिंधुताई सपकाल के निधन से नागपुर के सामाजिक क्षेत्र में शोक की लहर है। उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए नागपुर में विभिन्न संस्थाओं की ओर से उनका सत्कार कर कृतज्ञता व्यक्त की गई। विदर्भ की महिलाओं की वरिष्ठ मार्गदर्शक थीं। समाजसेवा के क्षेत्र में काम करने वाले नए लोग उन्हें अपना आदर्श मानते थे। समाजसेवा का आदर्श रखा
वनराई के अध्यक्ष गिरीश गांधी ने आदरांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सेवा कार्यों के लिए पद्मश्री प्राप्त सिंधुताई सपकाल ने विपरीत परिस्थितियों में काम करते हुए समाजसेवा का आदर्श रखा। समाजसेवा के क्षेत्र में काम करने वाले नए लोग उन्हें अपना आदर्श मानते थे। विदर्भ में जन्मी सिंधुताई को ससुराल में काफी यातनाएं दी गई। हालात ऐसे बिगड़े कि श्मशानघाट में जलने वाली चिता की आग से उन्होंने खाना बनाना पड़ा। बावजूद इसके हिम्मत नहीं हारी। आश्रम की स्थापना कर न केेवल अनाथ बच्चों पर मातृत्व लुटाया, बल्कि अपने पति को भी बेटे जैसा पाला। मराठी भाषा पर उनका प्रभुत्व था। भाषण शैली इतनी प्रभावी थी कि लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। वे विदर्भ की महिलाओं की वरिष्ठ मार्गदर्शक थीं।
अनाथों को सनाथ करने वाली मातृहृदय
वरिष्ठ साहित्यकार व महाराष्ट्र सांस्कृतिक आघाड़ी के संयोजक श्रीपाद भालचंद्र जोशी ने कहा कि सिंधुताई सपकाल के निधन से समाज ने समाजसेवा का आदर्श और अनाथों को सनाथ करने वाली मातृहृदय खो दिया। उनसे मुलाकातों में उनकी अविरत समाजसेवा तथा संघर्षपूरर्ण जीवन के दर्शन हुए।
सिंधुताई ने नागपुर में दिया था जीवन जीने का मंत्र
संकट का सामना सभी को करना पड़ता है। प्रत्येक व्यक्ति के पैर के नीचे कांटे हैं और वे चुभेंगे भी। उसे सहन करने की क्षमता निर्माण करनी होगी। यह महत्वपूर्ण सलाह अनाथों की मां कहीं जाने वाली सिंधुताई सपकाल ने नागपुर में दी थी। माध्यम लोकसेवा प्रतिष्ठान, सेवाव्रत बहुउद्देशीय संस्था व महर्षि मार्कंडेश्वर प्रतिष्ठान की ओर से कविवर्य सुरेश भट सभागृह में ‘मी माईची वेडी’ पुस्तक के विमोचन समारोह का डेढ़ साल पहले आयोजन हुआ था। इससे पहले 2016 में मोहपा स्थित सुनील बाबू केदार मित्र मंडल द्वारा कुसुमताई कन्या विद्यालय मोहपा में सिंधुताई सपकाल के जीवनानुभवन कथन व समाज प्रबोधन व्याख्यान का आयोजन किया गया था। इस दौरान किसानों से संवाद साधते हुए सिंधुताई ने उन्हें संकटों का सामना बिना डरे करने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था कि हर रात के बाद सवेरा होता है। आपके जीवन का भी अंधेरा एक दिन खत्म होगा।
Created On :   5 Jan 2022 3:29 PM IST