लॉकडाउन के बाद व्यवसाय को पटरी पर लाने पीएम स्वनिधि योजना का नहीं मिल रहा लाभ, कर्ज के लिए भटक रहे छोटे दुकानदार

Small shopkeepers wandering for loans are not getting the benefit of PM Svanidhi Yojana
लॉकडाउन के बाद व्यवसाय को पटरी पर लाने पीएम स्वनिधि योजना का नहीं मिल रहा लाभ, कर्ज के लिए भटक रहे छोटे दुकानदार
सिबिल की चोट लॉकडाउन के बाद व्यवसाय को पटरी पर लाने पीएम स्वनिधि योजना का नहीं मिल रहा लाभ, कर्ज के लिए भटक रहे छोटे दुकानदार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पिछले दो सालों से कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन में बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट आ गया है। लंबे समय तक दुकानों और रोजगार के बंद होने से मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। दोबारा से रोजगार को आरंभ करने में निधि की कमी से दुकानदार परेशान हो रहे हैं। इस समस्या को देखते हुए केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय शहरी आजीविका अभियान को शुरू किया है, इसके तहत छोटे दुकानदारों को पीएम स्वनिधि योजना में 10,000 रुपए का कर्ज दिया जा रहा है। इस प्रक्रिया में उपराजधानी में 34,974 नागरिकों के आवेदन मिले हैं, लेकिन इनमें से केवल 16,526 दुकानदारों को ही कर्ज मिल पाया है। बैंकों की ओर से कर्ज देने में लापरवाही और सिबिल स्कोर की समस्या को बताकर बड़े पैमाने पर आवेदनों को रद्द कर दिया गया है। हालांकि कर्ज का नियमित भुगतान कर अब 59 दुकानदारों ने दोबारा से 20,000 रुपए कर्ज के लिए आवेदन किया है। इनमें से 37 आवेदकों को मान्य कर अब तक 15 को भुगतान किया गया है। वहीं दूसरी ओर अब बड़े पैमाने पर दुकानदार और हाॅकर्स कर्ज को पाने के लिए बैंकों के चक्कर काट रहे हैं। 

नहीं मिले अब तक पहचानपत्र

स्वनिधि योजना में कर्ज पाने में छोटे दुकानदारों के सिबिल रिकाॅर्ड से खासी परेशानी हो रही है। कई आवेदकों की ओर से छोटे कर्ज के भुगतान में देरी या लापरवाही प्रमुख कारण साबित हो रहा है। इसके साथ ही किसी अन्य के कर्ज में गारंटी लेने से भी सिबिल स्कोर खराब दर्शा रहा है। कई आवेदकों की ओर से इस साल के लॉकडाउन से पहले कर्ज पाने के लिए आवेदन किया गया है, लेकिन अपने मूल गांव लौट जाने के चलते आवेदन प्रलंबित बने हुए हैं। 7 साल पहले महानगरपालिका द्वारा शहर के फुटपाथ दुकानदारों सर्वेक्षण किया गया था। हाॅकर्स जोन बनाने की योजना में 40,000 से हॉकरों की पहचान कर पंजीयन हुआ था। हालांकि दुकानदारों को पहचानपत्र देने में लापरवाही की गई। अब कई दुकानदारों और हॉकर्स को पीएम स्वनिधि योजना में कर्ज पाने के लिए पहचानपत्र की समस्या आ रही है। 

20 हजार तक मिल सकता है कर्ज

कोरोना संक्रमण के बाद छोटे दुकानदारों और हॉकर्स को अपने रोजगार को पटरी पर लाने के लिए केन्द्र सरकार ने योजना आरंभ की है। 8 योजनाओं के समूह में पीएम स्वनिधि योजना में छोटे और फुटपाथ दुकानदारों को 10,000 रुपए का कर्ज देने का प्रावधान किया गया है। इस कर्ज को नियमित रूप से भुगतान करने के बाद 20,000 रुपए का दूसरा कर्ज भी दिया जाएगा, लेकिन इस कर्ज को पाने के लिए अब भी छोटे दुकानदारों और हॉकर्स को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। योजना के लिए आवेदन करने पर सिबिल स्कोर में कमी और हाॅकर्स के पास पहचानपत्र नहीं होने से बैंकों से खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। कई बार दस्तोवजों की खानापूर्ति के पूरा होने के बाद बैंकों की लापरवाह कार्यप्रणाली से भी आवेदकों को परेशान होना पड़ रहा है। मनपा का समाज कल्याण विभाग इस योजना में नोडल एजेंसी के रूप में भरपूर प्रयास कर रहा है, ताकि आवेदकों को योजनाओं का लाभ मिल सके। बावजूद इसके आवेदकों और मनपा को बैंकों की कार्यप्रणाली के आगे हार मानना पड़ रहा है। 

 शहर में अब तक करीब 34,974 स्ट्रीट वेंडर्स ने योजना का लाभ पाने के आॅनलाइन आवेदन किया है। इनमें से मंजूर और खारिज मामलों को लेकर मनपा के समाज कल्याण विभाग को भी जानकारी दी गई है। 17 जून 2020 से 20 अक्टूबर तक 16526 आवेदकों को बैंकों से कर्ज भुगतान किया जा चुका है, जबकि 20,960 आवेदनों को कई कारणों के चलते बैंकों ने नामंजूर कर दिया है। बड़ी संख्या में अब भी मामले राष्ट्रीयकृत बैंकों में प्रलंबित है। इसकी वजह यह है कि आवेदकों के सिबिल रिकाॅर्ड में कमी होने के चलते बैंकों से राशि भुगतान नहीं हो पा रहा है। आवेदकों को निधि भुगतान करने में सबसे अधिक देरी कैनरा बैंक से हो रही है। इस बैंक को 1570 प्रकरण भेजे गए थे, जिसमें से 742 मामलों को ही मान्य किया गया। बैंक से तकनीकी मान्यता के साथ 478 मामलों को मान्य कर 439 को निधि आवंटन किया गया है। यही स्थिति स्टेट बैंक आॅफ इंडिया को लेकर भी बनी हुई है। आवेदकों ने स्टेट बैंक को चयन में प्राथमिकता दी है, लेकिन बैंक की कार्यप्रणाली से अब आवेदक खासे परेशान हो रहे हैं। अब तक बैंक को 9,980 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसमें से 8515 को मंजूर कर केवल 4790 को ही निधि दी गई है, जबकि 3725 मामले अब तक प्रलंबित बने हुए हैं। करीब 4 माह बीत जाने के बाद भी बैंक से पहल नहीं हो रही है।   

1 जून 2020 को केंद्रीय आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय शहरी आजीविका अभियान को आरंभ किया है। इस अभियान में 8 योजनाओं को शामिल किया गया है। महिलाओं के कल्याण के लिए पीएम मातृवंदन योजना, मजदूरों को पेंशन के लिए श्रमयोगी मानधन योजना, मजदूरों के लिए जीवन बीमा के रूप में पीएम सुरक्षा बीमा योजना, स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए जीवनज्योति बीमा योजना, जनधन योजना, निर्माणकार्य मजदूरों के लिए शिष्यवृत्ति के लिए बीओसीडब्ल्यू योजना, राशन कार्ड को देशव्यापी करने के लिए वन नेशन वन रेशन कार्ड योजना और गर्भवती महिलाओं के लिए जननी सुरक्षा योजना का समावेश है। इसके साथ ही स्ट्रीट वेंडर्स को कोरोना के बाद स्वावलंबी बनाने के लिए प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना (प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि) भी आरंभ की गई है। इस योजना में कोरोना संकट से आर्थिक तंगी झेल रहे फुटपाथी रेहड़ी, पटरी वाले और छोटे दुकानदारों को सहायता देना है, ताकि दोबारा से रोजगार को आरंभ कर आजीविका पालन कर सकें। योजना में आवेदक को 10,000 रुपए का कर्ज दे रहे हैं। इस कर्ज को नियमित रूप से देने वाले दुकानदारों को दोबारा से 20,000 रुपए तक भी कर्ज दिया जा रहा है। आवेदक को सीधे तौर पर आॅनलाइन आवेदन करने के बाद नोडल एजेंसी के रूप में मनपा का समाज कल्याण विभाग कार्य कर रहा है। 

बैंकों से कर रहे समन्वय

राजेश भगत, उपायुक्त, समाज कल्याण विभाग, मनपा के मुताबिक छोटे दुकानदार और हाॅकर्स को योजना में आॅनलाइन आवेदन कर बैंक का चयन करना है। ऐसे में मनपा समाजकल्याण विभाग की प्रत्यक्ष कोई भूमिका नहीं होती है। बावजूद इसके बैंकों से समन्वय कर आवेदकों को कर्ज दिलाने का प्रयास कर रहे हैं, हालांकि बैंकों की ओर से सिबिल रिकार्ड की तकनीकी दिक्कतों का हवाला देने से मुश्किलें आ रही हैं। आवेदकों को आवश्यक दस्तावेज मुहैया कराने के साथ बैंकों के आला-अधिकारियों से संपर्क कर योजना को सफल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। 


 

 

Created On :   24 Oct 2021 2:21 PM IST

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