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वन परिक्षेत्र में तस्करों की नजर, वन्यजीवों को भी खतरा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। वन परिक्षेत्र में तस्करों की गतिविधियां बढ़ गई हैं, जिससे पेड़ों के साथ-साथ ही वन्यजीवों को भी खतरा बढ़ रहा है। कई बार वन विभाग के कर्मचारी व अधिकारियों से इनका आमना-सामना भी हो जाता है। ऐसे में वह हमला कर देते हैं। गत 5 वर्ष के आंकड़े देखें, तो विभिन्न वन परिक्षेत्र में हुए तस्करों के हमले में 200 से ज्यादा वन कर्मचारी व अधिकारी घायल हुए हैं, एक कर्मचारी की हमले में मौत भी हुई थी।
यहां मौजूद हैं दुर्लभ वन्यजीव
वन परिक्षेत्र में विभिन्न प्रकार की प्रजाति के पेड़ व दुर्लभ वन्यजीवों की मौजूदगी होती है। राज्य में कोर इलाकों के अलावा 6 व्याघ्र प्रकल्प हैं, जिसमें मेलघाट, ताडोबा अंधारी, पेंच, सह्याद्री, बोर, नवेगांव-नागझिरा शामिल हैं। केवल विदर्भ की बात करें, तो इसमें पेंच, ताडोबा, बोर, मेलघाट जैसे जंगल क्षेत्र आते हैं। जहां बड़ी संख्या में वन्यजीवों की उपस्थिति है। यहां विभिन्न प्रजाति के पेड़ भी मौजूद हैं, जिन्हें बेचने पर अच्छा पैसा मिल सकता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए कुछ तस्कर यहां सक्रिय हैं।, जो वन्यजीवों के साथ लकड़ियों की तस्करी करते हैं। हालांकि वन विभाग की ओर से स्पेशल टीम तैयार की गई है, जो समय-समय पर जंगलों में गश्त लगाकर ऐसी वारदातों को रोकती है।
कई बार होता है आमना-सामना
कई बार तस्कर व वन विभाग अधिकारी, कर्मचारियों का आमना-सामना होता है, जिसमें वे वन विभाग पर भारी पड़ जाते हैं। तस्कर कुल्हाड़ी, चाकू आदि हथियारों से हमला कर देते हैं।, जिससे कई बार अधिकारी व कर्मचारी बुरी तरह घायल हो जाते हैं। राज्य के अंतर्गत वर्ष 2015 से अब तक की बात करें, तो 200 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए, जिसमें वन अधिकारी व कर्मचारी तस्करों के हमले में घायल हुए हैं। अब हुई कार्रवाई में वन विभाग ने 150 के करीब ट्रक, ट्रैक्टर, मेटाडोर व एक हजार से ज्यादा साइकिलें भी जब्त की हैं।
Created On :   28 Jan 2020 2:06 PM IST