महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का कुछ ने किया स्वागत तो कुछ ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण

Some welcomed President rule in maharashtra and some said it was unfortunate
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का कुछ ने किया स्वागत तो कुछ ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का कुछ ने किया स्वागत तो कुछ ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण

डिजिटल डेस्क,नागपुर। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का जहां भाजपा ने स्वागत किया, वहीं विपक्ष ने सत्ता का दुरुपयोग बताते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। भाजपा विधायकों ने राष्ट्रपति शासन लगने का ठीकरा शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर फोड़ा है। 

तो जगह दिखा देंगे
भाजपा विधायक कृष्णा खोपड़े ने कहा कि राज्यपाल के पास कोई विकल्प नहीं था। शिवसेना व राकांपा सरकार बनाने का दावा पेश करने में नाकाम रही। राज्य की जनता ने सेना-भाजपा युति को जनादेश दिया था और शिवसेना ने जनादेश का अपमान किया। मध्यावधि चुनाव हुए तो जनता सेना को उसकी जगह दिखा देगी।  

सही फैसला
भाजपा विधायक विकास कुंभारे ने राज्यपाल के फैसले को सही बताया। कहा-शिवसेना व राकांपा सरकार बनाने का दावा पेश करने में  विफल रही, इसलिए राष्ट्रपति शासन के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। 

निर्णय का स्वागत
भाजपा विधायक मोहन मते ने राष्ट्रपति शासन का स्वागत करते हुए कहा कि इसके सिवाय दूसरा विकल्प नहीं बचा था। कोई पार्टी सरकार बनाने का दावा पेश नहीं कर सकी। राज्यपाल का निर्णय सही है। जनता ने महायुति को जनादेश दिया था। सरकार बननी चाहिए थी। 

विकल्प नहीं था
भाजपा विधायक समीर मेघे ने राज्यपाल के निर्णय को सही बताते हुए कहा कि इसके अलावा दूसरा विकल्प नहीं बचा था। अन्य पार्टियां दावा पेश करने में नाकाम रही, इसलिए राष्ट्रपति शासन की नौबत आई। 

मौका देना चाहिए था
कांग्रेस विधायक सुनील केदार ने कहा कि राज्यपाल ने सरकार बनाने का मौका कांग्रेस को भी देना चाहिए था। राष्ट्रपति शासन की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी का जो स्टैंड है, वहीं उनका भी स्टैंड है। 

जल्दबाजी में निर्णय
कांग्रेस विधायक विकास ठाकरे ने कहा कि राज्यपाल ने जल्दबाजी में निर्णय लिया। कांग्रेस को मौका देना चाहिए था। यह सत्ता का दुरुपयोग है। राष्ट्रपति शासन महाराष्ट्र के हित में नहीं है। भाजपा की तरह शिव सेना व राकांपा को भी दो दिन का समय मिलना चाहिए था। 

दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति
निर्दलीय विधायक आशीष जैस्वाल ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि शिवसेना को दो दिन का समय मिलना चाहिए था। राज्य में राष्ट्रपति शासन की जरूरत नहीं है। 

लोकतंत्र के खिलाफ
बसपा के उत्तम शेवडे ने राष्ट्रपति शासन को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया है। शिव सेना व राकांपा को समुचित समय नहीं देने पर भी सवाल उठाए हैं। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए जल्दबाजी की गई है। 

Created On :   13 Nov 2019 11:43 AM IST

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