13 साल बाद भड़काऊ भाषण मामले से बरी हुए सपा विधायक आज़मी, कोर्ट में नहीं चल सका सीडी-कैसेट

SP MLA Azmi acquitted of inflammatory speech case after 13 years
13 साल बाद भड़काऊ भाषण मामले से बरी हुए सपा विधायक आज़मी, कोर्ट में नहीं चल सका सीडी-कैसेट
13 साल बाद भड़काऊ भाषण मामले से बरी हुए सपा विधायक आज़मी, कोर्ट में नहीं चल सका सीडी-कैसेट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मझगांव मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने पुलिस की ओर से पेश की गई खाली सीडी व कैसेट को देखने के बाद 13 साल बाद समाजवादी पार्टी के नेता व विधायक अबू आसिम आजमी को भड़काऊ भाषण देने के मामले से बरी कर दिया है। हालांकि कोर्ट में सीडी व कैसेट को चलाने के लिए प्लेयर न उपलब्ध होने के चलते सीडी नहीं चलाई गई। आजमी पर शिवाजी पार्क में हिंदी में भड़काऊ भाषण देकर मराठी व उत्तर भारतीयों के बीच वैमनस्य व नफरत फैलाने का आरोप था। सुनवाई के दौरान अदालत ने अभियोजन पक्ष के उस दावे को भी खारिज कर दिया। जिसमें कहा गया था कि आरोपी के भाषण ने राष्ट्रीय एकता व अखंडता को प्रभावित किया है। मैजिस्ट्रेट के सामने आजमी के कथित भड़काऊ भाषण को लेकर चार सीडी पेश की गई। जिससे से एक खाली थी। जबकि दो सीडी मैजिस्ट्रेट के लैपटॉप में खुल नहीं सकी। एक सीडी में अग्रेजी न्यूज चैनल की क्लिप थी। इसके अलावा कैसेट चलाने के लिए उपकरण ही उपलब्ध नहीं थे।

महाराष्ट्र नहीं राज ठाकरे के खिलाफ था भाषण

इसके मद्देनजर मैजिस्ट्रेट ने कहा कि यह संदेह पैदा करता है कि क्या वास्तव में दादर में 3 फरवरी 2008 को आरोपी के भाषण की कोई सीडी रिकॉर्ड की गई थी। आखिर किस आधार पर सक्षम प्राधिकरण ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। अदालत ने कहा कि यह एक राजनीतिक भाषण था जो महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे व उनकी पार्टी के खिलाफ दिया गया था। यह भाषण महाराष्ट्र के लोगों के विरोध में नहीं था। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 117 (लोगों को अपराध के लिए उकसाना)  के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस धारा को तभी लगाया जा सकता है जब दस लोगों को आरोपी बनाया गया हो। इस मामले में पुलिस ने दस लोगों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पुलिस द्वारा मामला दर्ज करने में की गई एक सप्ताह की देरी पर भी सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि मामला दर्ज करने में की गई देरी को लेकर भी कोई उचित सफाई व स्पष्टीकरण नहीं दिया है। 

कोर्ट ने मामले से जुड़े शिकायतकर्ता उप पुलिस निरीक्षक के बयान पर गौर करने के बाद पाया कि आजमी ने 3 फरवरी 2008 को शिवाजी पार्क में "देश बचाओ" रैली की थी। शिकायतकर्ता रैली के दौरान स्टेज पर सादे कपड़ों में ड्यूटी पर मौजूद था। इस दौरान कई नेताओं की मौजूदगी में आजमी ने लोगों में वैमनस्य फैलाने वाला भड़काऊ भाषण दिया। जिसका आजमी ने राजनीतिक फायदा लिया। 

शिकायत के मुताबिक आजमी ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे के भाषण के एक दिन बाद रैली की थी और भड़काऊ भाषण दिया था। इस भाषण के बाद कुलाबा इलाके में लोगों ने मनसे प्रमुख  राज ठाकरे के पोस्टर फाड़े थे। स्थानीय लोगों पर हमले किए गए थे। इसके अलावा राज ठाकरे का पुतला भी घाटकोपर में जलाया गया था। इसके बाद आजमी के भाषण की ऑडियो क्लिप सुनने व सत्यापित करने के बाद 10 फरवरी 2003 को पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। आजमी ने सारे आरोपों का खंडन किया था। इस तरह मैजिस्ट्रेट ने सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद पर्याप्त सबूतों के अभाव में समाजवादी पार्टी के विधायक आजमी को बरी कर दिया। 
 

Created On :   25 April 2021 5:37 PM IST

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