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शिक्षक दिवस पर विशेष - संक्रमण के खतरे के बीच मैदान में उतरकर सरकारी शिक्षक जला रहे शिक्षा की अलख
डिजिटल डेस्क कटनी । कोरोना संक्रमण के चलते निजी स्कूलों में अध्यापन का काम रुका हुआ है। ऐसे में सरकारी स्कूल के शिक्षक मैदान में मुस्तैद होकर शासकीय विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जलाए हुए हैं। कोविड का भय इन्हें भी सताता है। डर के आगे जीत है के वाक्य को कई शिक्षक सार्थक कर रहे हैं। कोविड के चलते स्कूलों में भले ही बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं। इसके बावजूद शिक्षक मोहल्लों, घरों, मैदान में बच्चों की टोली बनाकर पढ़ाई करा रहे हैं। यह कार्य शिक्षकों और बच्चों में पढ़ाई के प्रति बदले हुए परिवेश में एक नया जुनून पैदा कर रहा है। शिक्षक दिवस के अवसर पर जब दैनिक भास्कर ने मैदानी हकीकत पता कि तो सूची में कई शिक्षक ऐसे रहे। जिन्होंने आपदा को अवसर में बदलने का काम कर दिखाया है। शिक्षिका की दिलचस्पी, अभिभावक ने खरीदा मोबाइल शहर के अंतिम छोर में रार्बट माध्यमिक स्कूल है। यह स्कूल मुख्यालय के उन टॉप फाइव स्कूलों में शुमार हैं। जहां पर अध्ययनरत बच्चों की संख्या अधिक है। हमारा घर हमारा विद्यालय की शुरुआत हुई तो स्कूल की शिक्षिका निधि चतुर्वेदी के साथ स्टाफ ने इसे चुनौती के रुप में लिया। शिक्षिका अभियान के पहले दिन से ही बच्चों के बीच पहुंचने लगी। जिसका सार्थक परिणाम यह आया कि शिक्षिका की मेहनत देख रजनी चौधरी जैसे कई अभिभावकों ने स्मार्ट फोन खरीद लिए। रेडियो से पढ़ाई शुरु हुई तो शिक्षिका ने स्वयं मोहल्ले में बच्चों को रेडियो उपलब्ध कराई और स्वयं की उपस्थिति सुनिश्चित की। जिसका परिणाम आया कि यहां पर दर्ज 250 बच्चों में से अधिकांश बच्चे अध्यापन की नई व्यवस्था से जुड़े चुके हैं।
चुनौती पर राज्य स्तर से मिला प्रशंसा पत्र
खरखरी प्राथमिक शाला में शिक्षक मनीष सोनी के द्वारा किए गए शैक्षणिक कार्य को राज्य स्तर के अधिकारियों ने भी सराहना की और सम्मान के लिए प्रशंसा पत्र भेजा। स्कूल में दर्ज 102 बच्चों के बीच पहुंचना स्टाफ के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रहा। इसके लिए शिक्षक ने गांव के उन पढ़े लिखे युवाओं को स्वयंसेवक के रुप में चुना। जिनकी इच्छा पढ़ाने की रही। शिक्षक का यह प्रयास ही रहा कि इनकी टीम में गांव के कई ऐसे युवा जुड़ गए। जिनके पास स्मार्ट फोन रहा। जिसके बाद अब यहां पर 70 प्रतिशत बच्चों की पढ़ाई स्मार्ट फोन से हो रही है। हमारा घर हमारा विद्यालय के तहत शिक्षक ने एक वीडियो बनाकर यह संदेश अपने शिक्षकों के बीच पहुंचाया।
नीति आयोग ने बीआरसी की मेहनत को सराहा अप्रैल माह में जब कोरोना का भय अधिक रहा। टोटॅल लॉकडाउन के कारण लोग घरों से नहीं निकल रहे। यहां तक कि यदि कोई अधिकारी या अंजान उनके बीच पहुंचता तो वे दरवाजा बंद कर लेते। ऐसे में जनपद शिक्षा केन्द्र के बीआरसी विवेक दुबे स्वयं ही स्टाफ के साथ गांव-गांव पहुंचे। हीरापुर कौडिय़ा में ग्रामीणों को कोरोना की जानकारी देने के साथ बच्चों को पढ़ाने की प्रेरणा दे रहे थे। उसी समय किसी ग्रामीण ने फोटो खींचकर नीति आयोग को ट्वीट की। जिस पर नीति आयोग ने सराहना कि और कहा कि सरकारी शिक्षक अब मैदान पर उतर चुके हैं। पीएमओ कार्यालय के द्वारा किए गए ट्वीट के बाद इसकी जानकारी कटनी तक पहुंची।
Created On :   5 Sept 2020 3:49 PM IST