विशेष पैकेज कोई स्थाई समाधान नहीं, स्वाभिमानी है किसान कभी पलायन नहीं करते

Special package is not a permanent solution for farmers- Gautam
विशेष पैकेज कोई स्थाई समाधान नहीं, स्वाभिमानी है किसान कभी पलायन नहीं करते
MP विधानसभा अध्यक्ष गौतम से खास बातचीत विशेष पैकेज कोई स्थाई समाधान नहीं, स्वाभिमानी है किसान कभी पलायन नहीं करते

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा है कि कृषि विकास की योजनाओं के अमल का ऑडिट होना चाहिए। केवल योजनाएं बनाने से काम नहीं चलता है, ऑडिट से वस्तुस्थिति का सही आंकलन हो पाता है। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के लिए विशेष राहत व पैकेज स्थाई समाधान नहीं है। स्थाई उपाययोजनाएं आवश्यक हैं। कृषि क्षेत्र की भौगोलिक व सामाजिक स्थिति को देखते हुए कृषि विकास की योजनाओं का नियोजन होना चाहिए। बकौल गौतम-किसान स्वाभिमानी होते हैँ। वे पलायन नहीं करते हैं। गांव व खेत को किसी भी स्थिति में छोड़ना नहीं चाहते हैं। मजबूरी में ही वे दूसरे काम करने लगते हैं। लिहाजा किसानों के विकास के लिए गांव व खेत को सरकार से अधिक आधार मिलना चाहिए। शहरों व औद्योगिक क्षेत्रों को ही रोजगार के केंद्र मान लेना पूरी तरह से सही नहीं है। शहरों में ही रोजी रोटी मिलती तो आर्थिक राजधानियों में बेरोजगारी नहीं होती। दैनिक भास्कर से विशेष चर्चा में उन्होंने विविध विषयों पर मत साझा किए।

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विंध्य क्षेत्र की तस्वीर बदल रही है

रोजगार व कृषि संकट के मामले में मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र को पिछड़ा क्षेत्र माना जाता रहा है। मैँ भी इसी क्षेत्र से हूं। विंध्य क्षेत्र की औसतन जनसंख्या कृषि कार्य पर आधारित रही है। पर्याप्त रोजगार नहीं मिलने से वहां के नागरिक नागपुर, मुंबई,दिल्ली के अलावा कोलकाता जैसे बड़े शहरों में में जाकर रोजी रोटी कमाते रहे हैं। शिक्षा संस्थाओं की भी कमी रही है। लिहाजा इस क्षेत्र की स्थित देश के उन क्षेत्रों की तरह ही रही है जहां अशिक्षा व असुविधाओं के कारण सामाजिक व आर्थिक स्तर पर में गिरावट रही है। कुशल कारीगर नहीं होने से वहां के बेरोजगार शहरी क्षेत्रों में जाकर फेरीवाले, रसोईया, सुरक्षा रक्षक या होटल में वेटर की भूमिका पाते रहे हैं। लेकिन दोबारा दोहराना चाहूंगा कि इस क्षेत्र के नागरिकों ने पलायन नहीं किया। वे गांव,जमीन से जुड़े रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में जाकर तरक्की करने के बाद भी गांव, खेत से दूर नहीं हुए।क्षेत्र की समस्याओं को लेकर लंबे समय तक आंदोलनकारी भूमिका में रहा हूं। अब दावे के साथ कह सकता हूं कि विंध्य क्षेत्र की तस्वीर बदल रही है। पहले इस क्षेत्र में उद्योग नहीं थे। सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। अब सीमेंट कारखाने हैं।

विद्युत | जिला रीवा , मध्यप्रदेश शासन | भारत

एशिया का सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट अर्थात सौर ऊर्जा परियोजना रीवा जिले के गुड़ कस्बे में हैँ। 2 हजार से 3 हजार एकड़ क्षेत्र में यह परियोजना है। 750 मेगावाट की इस परियोजना को और भी विस्तारित किया जा रहा है। सिंगरौली का विकास ऊर्जा हब के तौर पर हुआ । कृषि सिंचाई के लिए बाण सागर बांध का विस्तार किया जा रहा है। सीधी, शहडोल, सतना, रीवा जिले में सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था हो रही है। साढ़े तीन लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित करने का लक्ष्य है। नहरें बनायी जा रही हैं। रोजगार केवल सरकारी नौकरियों में ही नहीं,छोटे व्यवसाय,उद्योग में उपलब्ध हो रहे हैं। रीवा क्षेत्र में जलप्रपात काफी हैं। व्हाइट टाइगर इस क्षेत्र की पहचान है। पर्यटन विकास के माध्यम से भी विंध्य क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

 

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आंदोलन का स्वरुप बदला

न्याय के आंदोलनों से डरे नहीं। अनुभव के आधार पर कहता हूं,सही मांगें हो तो उसे पूरी कराने के लिए जनता और सरकार भी झुक जाती है। नए दौर में आंदोलनों का स्वरुप अवश्य बदला है। पहले वाहनों में जोखिम उठाते हुए लोग आंदोलन में शामिल होने पहुंचते थे। आज नकारात्मकता अधिक भीड़ जुटाती है। आंदोलनकारी किसी कानून या सरकार के दबाव की चिंता व्यक्त करने के बजाय यह देखें कि जनता उनकी मांग को कितना उचित मानती है।
बाक्स मैटर

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विधानसभा में नवाचार लाने के प्रयोग

प्रत्येक क्षेत्र में स्पर्धा है। राजनीति में भी। अध्ययन आत्मविश्वास देता है। तर्क के साथ रखी बातों को नजरअंदाज करने का प्रयास किया जा सकता है लेकिन उसके प्रभाव को रोका नहीं जा सकता है। विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद मैंने विधायकों को प्रोत्साहन देने के लिए नवाचार लाने का प्रयास किया। महिला दिवस को विधानसभा की कार्यवाही संचालित करने की जिम्मेदारी महिला सदस्यों की दी। प्रश्नकाल अध्यक्ष की उपस्थिति में होता है। लेकिन अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी एक दिन के लिए महिला सदस्य को ही दिलायी। उस दिन का कामकाज बेहतर चला। प्रश्नकाल के लिए लाटरी पद्धति से प्रश्न चयन के मामले में केवल पहली बार चुने गए विधायक को शामिल करने का प्रयोग किया। 25 नए विधायकों के प्रश्न ही मंजूर कराए। तय किया गया कि प्रश्न पूछने के लिए विधायक अन्य वरिष्ठ विधायक की सहायता न लें। अवसर का लाभ नए विधायकों ने अपेक्षा के अनुरुप ही लिया। सभी प्रश्न पूछने के बारे में तैयारी करके आए थे। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति कल्याण व अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण संबंधी समितियों को अलग कराया। ओबीसी को उनके प्रतिनिधि सभापति पद पर मिलने लगे। समिति विभाजन से उनमें सदस्यों की भागीदारी भी बढ़ी। विधायक सत्कार अनुरक्षण समिति का गठन कराकर विधायक के प्रोटोकाल संबंधी अधिकार का विशेष संरक्षण कराया। विधायक से यही आव्हान रहता है कि वे सभा में शब्दों की मर्यादा को न भूले।


 

Created On :   12 Sept 2021 6:27 PM IST

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