नहीं निकल सका एसटी कर्मचारियों की हड़ताल का हल, 10 नवंबर को अगली सुनवाई

ST employees strike could not be resolved, next hearing on November 10
नहीं निकल सका एसटी कर्मचारियों की हड़ताल का हल, 10 नवंबर को अगली सुनवाई
हाईकोर्ट नहीं निकल सका एसटी कर्मचारियों की हड़ताल का हल, 10 नवंबर को अगली सुनवाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम(एसटी महामंडल) के कर्मचारियों की हड़ताल जारी रहेगी। सोमवार को कर्मचारियों के संगठन ने बांबे हाईकोर्ट में अदालत के निर्देश के तहत राज्य सरकार की ओर से उठाए गए कदम को अस्वीकार कर दिया और उसको लेकर असंतोष व्यक्त किया। इसे देखते हुए हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई दस नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। इसलिए तब तक कर्मचारियों की हड़ताल जारी रहेगी। इससे पहले हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों की मांग से जुड़े मुद्दे पर विचार करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने को कहा है और कर्मचारियों की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का निर्देश दिया । इसके साथ कोर्ट ने कहा कि सोमवार को ही कमेटी के गठन को लेकर शासनादेश जारी किया जाए और कमेटी की बैठक ली जाए। हाईकोर्ट में एसटी महामंडल की ओर से कर्मचारियों की हड़ताल के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। कर्मचारियों की मांग है कि एसटी कर्मचारियों के साथ राज्य सरकार के कर्मचारियों जैसा बर्ताव किया जाए। हड़ताल के चलते एसटी के बहुत से डिपो बंद है। जिससे आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अवकाशकालीन न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति एसपी तावडे की खंडपीठ के सामने सरकार की ओर से जारी शासनादेश की प्रति व बैठक में हुई चर्चा की जानकारी पेश की गई। जिस पर गौर करने के बाद यूनियन की ओर से पैरवी कर रहे वकीलों ने असहमति व्यक्त की और सरकार के शासनादेश को नकार दिया और हड़ताल जारी रखने के अपने फैसले को कायम रखा। महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल के वकील जीएस हेगड़े ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि कर्मचारी सरकार की ओर से उठाए गए कदम से सहमत नहीं है। इसलिए अब खंडपीठ ने बुधवार को सुनवाई रखी है। 

सरकार जारी करे अध्यादेश

वहीं कर्मचारियों के एक संगठन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता गुणरत्ने सदाव्रते ने कहा कि सरकार को कर्मचारियों की मांग को लेकर अध्यादेश जारी करना चाहिए। क्योंकि सरकार ने जाति के मुद्दे पर अध्यादेश जारी किया है। हमें सरकार का शासनादेश मंजूर नहीं है।  गौरतलब है कि खंडपीठ ने कमेटी में राज्य के मुख्य सचिव, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को शामिल करने को कहा है और परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को कमेटी के समन्वयक के रुप में कार्य करने व जरुरी सहयोग प्रदान करने का निर्देश दिया है। परिवहन निगम के निदेशक की निर्णय लेने में कोई भूमिका नहीं होगी। खंडपीठ ने सोमवार को कमेटी के गठन का निर्देश देते हुए कहा कि कमेटी कर्मचारियों के 28 यूनियन के प्रतिनिधियों से बात करें। इसके बाद कमेटी अपनी सिफारिशों को मुख्यमंत्री के सामने रखे। मुख्य़मंत्री इन सिफारिशों पर विचार करने के बाद क्या मत व्यक्त करते है। इसकी जानकारी अदालत को अगली सुनवाई के दौरान दी जाए। खंडपीठ ने मामले से जुड़ी सारी प्रक्रिया को 12 सप्ताह के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया है। और कमेटी को हर 15 दिन में उसके कार्य में हुई प्रगति की सूचना अदालत को देने को कहा है। खंडपीठ ने सुनवाई के बाद कहा कि सरकार को कर्मचारियों की मांग पर विचार करने के लिए कमेटी के गठन को लेकर सोमवार को ही शासनादेश जारी करने का निर्देश दिया था।  

 

Created On :   8 Nov 2021 8:38 PM IST

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