उद्यानों की खूबसूरती में इस तरह लग रहे हैं दाग

Stains on the beauty of gardens like this
उद्यानों की खूबसूरती में इस तरह लग रहे हैं दाग
उद्यानों की खूबसूरती में इस तरह लग रहे हैं दाग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महानगर पालिका और नागपुर सुधार प्रन्यास द्वारा शहर में बनाए गए अधिकतर उद्यान रखरखाव के अभाव में बदहाल हो रहे हैं। सुयोगनगर श्रीनगर में नागपुर महानगर पालिका द्वारा कुछ साल पहले काफी खूबसूरत उद्यान का निर्माण किया गया था। उद्यान अब भी खूबसूरत है, लेकिन अब इस पर समय की मार पड़ने लगी है। इस उद्यान का नाम महात्मा ज्योतिबा फुले उद्यान है। प्रवेशद्वार पर ही मेटल अक्षर से नाम लिखा गया था। यहां से अधिकतर अक्षर गायब हो चुके हैं। फुले का ले और उद्यान का द्यान गायब है। सूत्रों ने बताया कि सालभर से एक-एक अक्षर गिरने लगे हैं। अगर समय पर ध्यान नहीं दिया गया तो बचे हुए अक्षर भी गिरकर गुम हो जाएंगे। उद्यान जितना सुंदर है, प्रवेश द्वार उतना ही खराब हो चुका है। बरसों से प्रवेश द्वार का रंगरोगन नहीं होने से वह खराब दिखता है। प्रवेश द्वार के साथ ही छत का रंग उखड़ चुका है। अनेक स्थानों पर काई चढ़ चुकी है। प्रवेश द्वार पर ही लोग अपने अपने कार्यक्रमों के पोस्टर चस्पा कर देते हैं। इससे प्रवेश द्वार और खराब दिखता है। सूत्रों ने बताया कि कुछ लोग इस बात का विरोध करते हैं, लेकिन उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं देता। उद्यान के भीतर नागपुर महानगर पालिका ने सूचना फलक लगाया है। टिन के बोर्ड पर ग्रीन शीट पर आठ तरह की सूचनाएं लिखी गई हैं। उद्यान में आने वालों के समय के साथ उद्यान के उपयोग और सुरक्षा की जानकारी दी गई है। जिस ग्रीन शीट पर सूचनाएं लिखी गई हैं, वह फटने लगी हैं। इसके साथ सूचनाओं के अक्षर भी गायब हो चुके हैं।

चंद्रमणिनगर उद्यान में कचरा व गंदगी

रामेश्वरी रोड पर स्थित चंद्रमणिनगर उद्यान का भी हाल खराब है। अक्सर उद्यानों में लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए जाते हैं, लेकिन चंद्रमणिनगर उद्यान में कचरा और गंदगी का ऐसा आलम है कि नाक दबाकर लोगों को आना-जाना करना पड़ता है। यह नागपुर सुधार प्रन्यास का उद्यान है। लोगों ने यहां की सफाई के लिए संबंधित कर्मचारियों को कई बार बताया है, लेकिन कोई सुनने को तैयार ही नहीं है। परिणामस्वरूप दिन ब दिन कचरा व गंदगी बढ़ती ही जा रही है। नागरिकों ने बताया कि उद्यान की सफाई एक-एक सप्ताह तक सफाई नहीं होती। पानी डालने का भी समय निश्चित नहीं है। बताया जाता है कि पानी क्यारियों में डालने की बजाय उद्यान के बीचोबीच डाला जाता है। इस कारण उद्यान हमेशा गीला रहता है। ऐसे में लोगों काे उद्यान में घूमने-फिरने में समस्या आती है। उद्यान में योग कक्षाएं और स्वास्थ्य लाभ को देखते हुए विविध कार्यक्रम चलाए जाते हैं। उद्यान गीला होने के कारण नियमित चलने वाली कक्षाएं प्रभावित होती हैं। उद्यान का नियमित रखरखाव करने के लिए कई बार कहा गया है, लेकिन कोई ध्यान नहीं देता। एक बार साफ-सफाई कर सप्ताहभर ध्यान नहीं दिया जाता। स्थानीय निवासी सचिन देशभ्रतार, विलास बहादुरे, सुवर्णा डोंगरे, मीना शेंद्रे, अस्मिता बोरकर, करुणा मून और सुनीता बहादुरे ने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से उद्यान की हालत को कई बार शिकायतें कीं लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।

भापकर उद्यान में पड़ा है मलबा

सुभाष रोड स्थित कॉटन मार्केट से सटा भापकर उद्यान प्रशासन की उदासीनता का शिकार बना है। असामाजिक तत्वों ने उद्यान को खराब कर दिया है। दो महीने पहले यहां वॉकिंग ट्रैक बनाया गया था। पुराना ट्रैक खराब हो गया था। ट्रैक की पुरानी टाइल्स निकालकर उद्यान में ही प्रवेशद्वार के समीप रख दी गई है। यह करीब एक ट्रक मलबा है। इसके अलावा उद्यान की हरियाली पर भी मिट्टी का ढेर लगा दिया गया है। तीन सप्ताह पहले यहां नए ट्रैक का काम पूरा हो चुका है लेकिन मलबा जहां के तहां ही पड़ा है। नागरिकों ने इस बारे में ठेकेदार को बताया तो ठेकेदार ने भी मलबा जल्द हटाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक मलबा हटाया नहीं गया। इससे उद्यान की संुदरता नजर नहीं आती। यहीं पर गोल आकार का पानी का फव्वारा बनाया गया है। यह फव्वारा बरसों से बंद है। अब इसमें कूड़ा करकट डाला जाता है। कर्मचारी उद्यान का कचरा इसी में जलाते हैं। बताया जाता है कि शाम होते ही यहां कुछ असामाजिक तत्व आते हैं। यह लोग इसी फव्वारे के पास बैठकर शराब का सेवन करते हैं। खाली बोतलें, गिलास और स्नैक्स के खाली पैकेट फव्वारे के भीतर ही डाल देते हैं। कॉटन मार्केट की दिशा में उद्यान की सुरक्षा दीवार गिर गई है। वहां टिन लगाकर सुरक्षा का जुगाड़ किया गया है। जब उद्यान बंद होता है, तब इस टिन को पार कर असामाजिक तत्व बड़ी आसानी से भीतर पहुंच जाते हैं। उद्यान के कर्मचारी उनका विरोध करते हंै, तो वे उन पर ही हावी हो जाते हैं। डर के कारण अब कर्मचारियों ने भी उन्हें कुछ कहना बंद कर दिया है। समय रहते उद्यान विभाग ने सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए तो यह उद्यान असामाजिक तत्वों का शिकार बन जाएगा।

गौरतलब है कि नागपुर में मनपा के 125 और नागपुर सुधार प्रन्यास के 67 उद्यान हैं। इनमें से अधिकतर बदहाल हैं। समझ में ही नहीं आता कि वे उद्यान हैं या मैदान। उद्यानों में अनेक कमियां हैं। कहीं हरियाली गायब है तो कहीं स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से साधनों का अभाव है। कुछ उद्यान तो ऐशगाह बन चुके हैं। इनका नियमित रखरखाव व मरम्मत नहीं किया जाता। वजह यह है कि मनपा के पास फंड का अभाव है। इसलिए नागपुर महानगर पालिका ने शहर के 50 उद्यानों का पालकत्व निजी संस्थाओं को देने का फैसला किया है। उद्यान विभाग इसका प्रस्ताव तैयार कर रहा है। प्रस्ताव को मनपा की सभा में मान्यता मिलने के बाद टेंडर प्रक्रिया की जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया में दो महीने का समय लगने का अनुमान है। फिलहाल प्राथमिक प्रारूप का काम चल रहा है। पालक संस्था को उद्यान का विकास और रखरखाव दोनों की जिम्मेदारी दी जाएगी। मनपा के अधिकार क्षेत्र के 125 उद्यानों के रखरखाव के लिए बजट में सालाना 1.50 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जाता है, जबकि सालाना 4 करोड़ रुपए की आवश्यकता होती है। इसलिए विभाग को दूसरे मदों की राशि में से रखरखाव पर खर्च करना पड़ता है। इस कारण उद्यान विभाग का बजट बिगड़ जाता है।

परिणामस्वरूप कुछ उद्यानों के साथ न्याय होता है तो कुछ विकास की बाट देखते रहते हैं। साल दर साल उद्यान विभाग को इस स्थिति से गुजरना पड़ता है। उद्यानों का पालकत्व देने के बाद मनपा को अच्छी आय होने की उम्मीद है। प्रस्ताव तैयार होने के बाद मनपा की सभा में इसकी मंजूरी ली जाएगी। मंजूरी मिलते ही इसकी टेंडर प्रक्रिया की जाएगी। इस प्रक्रिया के दौरान जो सर्वाधिक बोली लगाएगा, उसे उद्यान का पालकत्व दिया जाएगा। उद्यानों में सुबह सैर-सपाटा करने वाले से शुल्क वसूलने का अधिकार पालकत्व लेने वाली संस्था को नहीं दिया जाएगा। यह सुविधा नि:शुल्क रहेगी। सुबह 10 के बाद उद्यानों में आने वालों से संस्था शुल्क वसूल सकेगी। यह शुल्क भी मनपा के नियमानुसार ही लेना होगा। पालकत्व तीन साल के लिए दिया जाने वाला है। पालक संस्था को उद्यानों की मरम्मत और रखरखाव करना होगा। तीन साल में परिणाम सकारात्मक हुए तो आगे और तीन साल के लिए उसी संस्था को पालकत्व देने पर विचार किया जाएगा। इस योजना के लागू होते ही मनपा उद्यानों का कायापलट होने की आशा व्यक्त की जा रही है।

 

Created On :   24 Feb 2020 6:04 PM IST

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