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मामूली बुखार का हवाला देकर क्लेम रिजेक्ट कर दिया स्टार हेल्थ ने...
डिजिटल डेस्क जबलपुर। पॉलिसी कराने के बाद भूल जाओ कि आपको कैशलेस में इलाज कराने मिलेगा। बीमा कंपनी ने पॉलिसी देते समय जो वादे किए थेे वे पूरी तरह कोरे कागज की तरह थे। अस्पताल में भर्ती होते ही कैशलेस से इनकार कर दिया जाता है और अस्पताल का बिल भरने के बाद जब बीमा कंपनी में क्लेम किया जाता है तो बीमा कंपनी के क्लेम डिपार्टमेंट तथा उनके यहाँ पर पदस्थ चिकित्सक यह कहते हुए क्लेम रिजेक्ट करने में जुट जाते हैं कि आपको घर पर ही रहकर इलाज कराना था, अस्पताल में इलाज कराने की जरूरत नहीं थी। पॉलिसी धारकों का आरोप है कि जिन चिकित्सकों की डिग्री की जानकारी बीमा कंपनी नहीं दे पा रही है, उन चिकित्सकों की परीक्षण रिपोर्ट पर कैसे तय किया जा रहा है कि घर पर रहकर इलाज कराना चाहिए था। कुछ भी तर्क देकर बीमा कंपनियों का एक ही उद्देश्य होता है कि किसी भी तरह क्लेम न देना पड़े। पीडि़त जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से कार्रवाई की लगातार माँग कर रहे हैं पर अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हुए हैं।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ-
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
केस.1
बीमा कंपनी के जिम्मेदारों ने कहा- घर पर रहकर कराना था इलाज..!
शहडोल निवासी राजेन्द्र मिश्रा ने बताया कि विद्या भारतीय के सभी सदस्यों की ग्रुप पॉलिसी स्टार हेल्थ से थी। उन्हें 23 नवंबर को बुखार आया था। बुखार आने पर दो दिन शहडोल के निजी अस्पताल में वे भर्ती रहे और जब बुखार नहीं उतरा तो नागपुर इलाज कराने जाना पड़ा। वहाँ पर 2 से 7 दिसम्बर तक लगातार इलाज चला। स्टार हेल्थ का कैशलेस कार्ड दिया और बीमा कंपनी ने मेल के माध्यम से कैशलेस से इनकार कर दिया। पॉलिसी धारक को अपने इलाज में 65 हजार रुपए खर्च करने पड़े। इलाज के बाद जब बीमा कंपनी में क्लेम किया गया तो अनेक क्वेरी निकाली गईं और उसके बाद अचानक बीमा कंपनी के जिम्मेदारो ने लैटर भेजा, जिसमें लिखा था कि मामूली बुखार का इलाज घर पर रहकर कराना था, अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत ही नहीं थी। पीडि़त का आरोप है कि बीमा कंपनी के इस जवाब से ऐसा लगता है कि पॉलिसी धारक को इलाज नहीं कराना था बल्कि घर पर ही रहकर मर जाना था। क्लेम न देना पड़े इसके लिए बीमा कंपनी अपने बीमित को कई तरह से मानसिक प्रताडऩा देने में लगी हुई है।
केस.2
पॉलिसी रिन्यू कराने पहुँच गए पर क्लेम आज तक नहीं दिया
विजय नगर निवासी सीमा पचौरी ने अपनी शिकायत में बताया कि केयर हेल्थ इंश्योरेंस से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी ली है। पति श्रीकांत पचौरी को बीमार होने पर स्वास्तिक अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। बीमा कंपनी ने अस्पताल में कैशलेस नहीं किया और जब बिल सबमिट किया तो बीमा कंपनी ने क्लेम रिजेक्ट कर दिया। क्लेम के लिए टोल फ्री नंबर के साथ ही लोकल ऑफिस में संपर्क किया पर जिम्मेदारों द्वारा किसी तरह का उत्तर नहीं दिया जा रहा है। पीडि़ता कहना है कि बीमा कंपनी ने क्लेम देने का वादा करके अनेक क्वेरी निकाली थीं और उसके बाद बीमा कंपनी मेल का जवाब ही नहीं दे रही है। बीमा कंपनी की तरफ से फोन आया था कि आप पॉलिसी रिन्यू करा लें हम जल्द ही क्लेम को सेटल कर देंगे। पॉलिसी धारक को उम्मीद थी कि पॉलिसी रिन्यू कराने के बाद कुछ राहत मिल जाएगी पर महीनों बीत जाने के बाद भी बीमा कंपनी के जिम्मेदार मदद नहीं कर रहे हैं। बीमित का आरोप है कि बीमा कंपनी के क्लेम डिपार्टमेंट से लेकर पॉलिसी रिन्यू कराने वाले सभी मिले हैं और पॉलिसी धारकों के साथ धोखा कर रहे हैं।
इनका कहना है-
हमारी कंपनी के पॉलिसी धारक को क्लेम क्यों नहीं मिला, इस बारे में हम जल्द ही परीक्षण कराने के बाद क्लेम का जल्द ही सेटलमेंट कराने का प्रयास करेंगे।
-राजीव सिंह, केयर हेल्थ
पॉलिसी धारक को अस्पताल से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कहा गया और जैसे ही हमारी कंपनी में आएगा वैसे ही हम क्लेम सेटल करने की प्रक्रिया शुरू कर देंगे।
-माधवेन्द्र सिंह गौतम, स्टार हेल्थ
Created On :   18 July 2021 9:12 PM IST