स्टेट बार का खजाना खाली, उठी आय-व्यय का ऑडिट कराने की माँग

State Bar Treasury vacant, demand for audit of raised income expenditure
स्टेट बार का खजाना खाली, उठी आय-व्यय का ऑडिट कराने की माँग
स्टेट बार का खजाना खाली, उठी आय-व्यय का ऑडिट कराने की माँग

डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोरोना संकट के दौरान घोषित लॉकडाउन के दौरान आर्थिक रूप से कमजोर वकीलों को मदद पहुँचाने का मुद्दा गरमा गया है। भोपाल जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष, महाधिवक्ता और जिला बार एसोसिशन जबलपुर के पूर्व सचिव द्वारा जारी पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं। स्टेट बार काउंसिल का खजाना खाली होने और आय-व्यय का ऑडिट कराने की माँग  से संबंधित ये तीनों पत्र फिलहाल वकीलों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। दरअसल, भोपाल जिला बार के अध्यक्ष विजय चौधरी ने महाधिवक्ता व स्टेट बार काउंसिल की विशेष समिति के अध्यक्ष पुरुषेन्द्र कौरव को विस्तृत पत्र लिखकर सरकार से जिला व तहसील स्तर पर वकीलों को आर्थिक सहायता देने की माँग की थी। श्री चौधरी का यह भी कहना था कि जिला अधिवक्ता संघ भोपाल की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वे योजना बनाकर वकीलों की मदद नहीं कर सकते। इसके जवाब में महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया उनके (श्री चौधरी के) और बार एसोसिएशन से भेजे जा रहे प्रस्तावों पर उन्होंने काउंसिल के सचिव से चर्चा की। इस पर उन्हें पता चला कि अभी स्टेट बार का खजाना खाली है। अधिवक्ता चिकित्सा मद में सिर्फ एक लाख और मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण मद में मात्र 32 हजार रुपए हैं। निवर्तमान समिति द्वारा समस्त मदों में उपलब्ध राशियों का समय रहते सदुपयोग किए जाने के कारण किसी भी मद में सम्मानजनक राशि उपलब्ध नहीं है। पत्र में श्री चौधरी से अपेक्षा की गई कि राज्य स्तर पर कारपस फंड बनाकर सक्षम अधिवक्ताओं से उसमें सहयोग लेकर आर्थिक रूप से कमजोर वकीलों की मदद की जाए। इसी कड़ी में जिला बार जबलपुर के पूर्व सचिव मनीष मिश्रा ने महाधिवक्ता को पत्र भेजा। श्री मिश्रा का कहना है कि महाधिवक्ता द्वारा भोपाल बार के अध्यक्ष को भेजे पत्र को पढऩे के बाद उनका मन काफी विचलित हो गया। श्री मिश्रा का कहना है कि स्टेट बार काउंसिल में हर साल करोड़ों रुपए अधिवक्ता कल्याण मेमो के रूप में जमा किए जाते हैं, उसके मद में कोई भी सम्मानजनक राशि उपलब्ध न होना काफी चिंता का विषय है। श्री मिश्रा ने माँग की है कि नई कार्यकारिणी का गठन होने तक स्टेट बार काउंसिल के आय-व्यय का ऑडिट कराया जाए, जिससे राज्य के अधिवक्ताओं को पता चल सके कि उनके द्वारा खरीदे जाने वाले मेमो टिकिट से प्राप्त करोड़ों रुपए की राशि का किस तरह से सदुपयोग किया गया है। 
 

Created On :   7 April 2020 2:08 PM IST

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